मनुष्य की जिंदगी में खेलों की खास अहमियत होती है। खेल हमें प्रसन्न, चुस्त एवं तंदुरुस्त रखते हैं। खेलने की कोई उम्र नहीं होती है। खेलों का बचपन से लेकर बुढ़ापे तक हमारी जिंदगी से सरोकार होता है। जब तक जीवन का खेल खत्म नहीं हो जाता है तब तक खेल हमारे जीवन में कायम रहते हैं। खेल खेल में जिंदगी कट जाती है पर खेल का खेल चलते ही रहता है।
खेलों के बारे में अकसर यह कहा जाता है कि खेल एक नशा होता है। 3 अक्तूबर 1967 के "दि न्यूयार्क टाइम्स" में रसेल बेकर ने बहुत ही अच्छी टिप्पणी की थी कि अमेरिका में तो खेल ही जनता का नशा है। जब कोई खेल नशा बन कर जनता पर हावी हो जाता है तब जनता को मिलने वाले असीम आनंद का अंदाजा लगाया जा सकता है। खेल के मैदान में खिलाडियों की हौसला अफ़जाई आखिर जनता ही तो करती है।
खेल में "खेल भावना" बहुत अहम होती है। कोई भी खेल अगर खेल भावना से खेला जाए तो खेल खेलने का वास्तविक आनंद आता है। ओविड ने इस संबंध में बहुत ही अहम बात कही है कि खेल में हम प्रकट कर देते हैं कि हम किस प्रकार के लोग हैं। खेल में व्यक्ति के स्वभाव की असली पहचान हो जाती है। वह खेल धन्य है जो प्रेम रस के साथ खेला जाए।
ऑलिंपिक खेलों का महाकुंभ है। मैं हालांकि खिलाड़ी नहीं हूँ पर अगर मुझे ऑलिपिंक में बतौर खिलाड़ी शिरकत करने का अवसर नसीब होता तो मैं धन्य हो जाता। ऑलिंपिक खेल हजारों संस्कृतियों का महासम्मेलन होता है। दुनिया भर के सर्वश्रेष्ठ खिलाडी इस महासम्मेलन में शामिल होकर स्वयं को गौरन्वानित महसूस करते हैं। खेल, संस्कृति और दोस्ती का त्रिवेणी संगम ऑलिंपिक में देखा जा सकता है।
खेलों में अपनी प्रतिभा का विश्वस्तर पर प्रदर्शन करने की प्रबल महत्वकांक्षा रखनेवाले खिलाडी उम्मीदों और उमंगों के साथ आलिंपिक का रुख करते हैं। ऑलिंपिक में शरीक होने वाला प्रत्येक खिलाडी चाहता है कि गोल्ड, सिल्वर या ब्रांज मेडल उसके गले का हार बने और उसके देश का नाम रोशन हो तथा दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाडियों की श्रेणी में उसका नाम शामिल हो।
इस बार ऑलिपिंक खेल चीन में हो रहे हैं। यह हमारा पड़ोसी देश है। हमारे और चीन के रिश्ते बड़े मधुर रहे हैं। एक समय हिंदी-चीनी भाई-भाई का नारा बुंलदियों पर था। दोनों देशों ने ही मिलकर के सिद्धांत का विश्व को पैगाम दिया था।
आज विश्व में आतंकवाद का शैतान अपना सिर उठा रहा है, उसके नापाक इरादों के फ़न को कुचलना हम सब का मकसद होना चाहिए। इसमें कोई संदेह नहीं कि पंचशील एवं विश्व बंधुत्व के सिद्धांतों की बुनियाद पर विश्व के विशालतम देश में आयोजित खेलों का महाकुंभ अर्थात ऑलिंपिक भय और आतंक के साये से मुक्त होगा एवं कामयाबी के नए रिकार्ड तथा विश्व के समक्ष दोस्ती की एक नई मिसाल कायम करेगा।
बहनो और भाइयो , अभी आप ने सी .आर .आई श्रोता चुन्नीलास कैवर्त और ताराचंद मकसाने द्वारा भेजे गए आलेख सुने , उन्हों ने अपने अनुभवों के आधार पर ओलंपिक खेल समारोह के महत्व और पेइचिंग ओलंपिक के प्रति अपना प्यार और उम्मीदें जतायीं और पेइचिंग ओलंपिक की सफलता की कामना की है । इन दोनों मित्रों के समर्थन और आशीर्वाद के लिए हम उन के बहुत बहुत आभारी हैं । हमारी कामना है कि हमारे ये मित्र अपने सभी कामकाज में सफल होंगे ।
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