2008-08-26 16:24:02

चीनी किसानों की हालात

रामपुरफुल पंजाब के बलवीर सिंह, मऊ नाथभंजन उत्तर प्रदेश के अंसारी रेडियो लिस्नर्स क्लब के सदस्यों,सीमापुरी दिल्ली के अनिल सिंह, आजमगढ़ उत्तर प्रदेश के मसूद अहमद आजमी और मऊ उत्तर प्रदेश की मुसर्रत जहान के पत्र शामिल हैं।

रामपुरफुल पंजाब के बलवीर सिंह ने हम से चीनी किसानों की स्थिति बताने का अनुरोध किया.

पिछली शताब्दी के 70 वाले दशक के अंत में चीन में आर्थिक सुधार शुरू होने के बाद चीनी किसान का जीवन-स्तर ऊचा होता गया है.चीन के पूर्वी व दक्षिणी समुद्रतटीय क्षेत्रों में बहुत से किसान शहरी लोगों जैसे आधुनिक सुविधाओं से लैस समृद्ध जीवन बिता रहे हैं,उत्तर व पश्चिमी क्षेत्रों में बसे किसान आम तौर पर पर्याप्त खाने व पहनावे पाने वाली जिन्दगी जी रहे हैं.इने गिने पिछड़े व दूरदराज पहांडी गांवों को छोड बाकी सभी देहाती क्षेत्रों में स्कूली उम्र वाले बच्चों की स्कूल-दाखिला-दर सौ फीसदी हो गयी है.2004 में चीन सरकार ने ग्रामीण इलाके के विकास को प्राथमिकता देने पर जोर दिया और किसानों की आय बढाने को ग्रामीण आर्थिक कार्य का बुनियादी लक्ष्य तय किया.कुछ समय पहले पेइचिंग में आयोजित एक राष्ट्रीय कृषि कार्य सम्मेलन में एक उच्च पदाधिकारी ने कहा कि इस लक्ष्य से इन्सान को मूलाधार मानने वाली कार्यधारणा जाहिर हुई है.कृषि की बुनियादी क्षमता समाज को खाद्य पदार्थ प्रदान करना है.इस क्षमता के अच्छे विकास के लिए किसानों के आर्थिक लाभ सुनिश्चित करना जरूरी है.किसानों की आय में लगातार इजाफ़ा होने और जीवन में निरंतर सुधार आने से ही कृषि-उत्पादन तेजी से बढ सकता है.किसानों के आर्थिक हितों और उन की उद्योगधंधे चलाने की स्वतंत्रता का सम्मान करने से समाजवादी बाजारी अर्थव्यवस्था के तहत ग्रामीण व कृषि कार्य को बखूबी अंजाम देने की आवश्यकता प्रतिबंबित हुई है.

किसानों के जीवन में नये सुधार के लिए उन की आमदनी बढाने के केंद सरकार के लक्ष्य देश में भूरि भूरि प्रशंसा हो रही है.कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि इस लक्ष्य से विकास का वैज्ञानिक दृष्टिकोण अभिव्यक्त हुआ है.चीन में किसानों की आबादी कुल जनसंख्या का करीब 80 प्रतिशत बनती है.किसानो की आय अधिक न होने से कृषि-उत्पादन व ग्रामीण विकास पर दुष्प्रभाव पड़ेगा ही नहीं,बल्कि पूरे घरेलू बाजार के विस्तार की संभावना भी कम हो जाएगी.इस से अंतत: राष्ट्रीय आर्थिक वृद्धि की गति को सीमित किया जाएगा.संक्षेप में कहा जाए,चीन तब तक समृद्धशाली हो जाएगा,जब तक उस के तमाम विसान खुशहाली की राह पर चल निकलेंगे.

मऊ नाथभंजन उत्तर प्रदेश के अंसारी रेडियो लिस्नर्स क्लब के सदस्यों ने पूछा है कि किस बात को लेकर चीन और जापान के बीच युद्ध हुआ? उस युद्ध में चीन और जापान के कितने व्यक्ति मारे गए थे और क्या उस युद्ध के शिकार व्यक्ति अब भी है?

दोस्तो,चीन और जापान के बीच जो युद्ध हुआ था,वह चीन के विरूद्ध जापान का आक्रमणकारी युद्ध था.पिछली सदी के आरंभ से ही जापानी सैन्यवादी चीन पर गिद्ध दृष्टि रखने लगे थे.तीसरे दशक में जापान के प्रधान मंत्री ने दुनिया पर चौधराहट जमाने की बदनयीत से चीन को हड़पने की दुराकांक्षी योजना प्रस्तुत की थी.उस ने कहा था कि चीन को काबू में करने के लिए पहलेपहल उत्तर-पूर्व चीन पर अधिकार करना चाहिए और पूरी दुनिया को वशीभूत करने के लिए सर्वप्रथम चीन पर ही कब्जा करना चाहिए.इसी योजना की तहत जापानी सैनय्वादियों ने 1931 में उत्तर-पूर्वी चीन के तीन प्रांतों पर कब्जा किया और कथित मंचूरिया राज्य की स्थापना करा दी.इस के बाद सात जुलाई 1937 को जापान सैन्यवादियों ने पूरे चीन पर कब्जा कने के दुराशय से पेइचिंग के पास लुको पुल पर युद्ध की आग सुलगा दी.तब जापान के आक्रमण का मुकाबला करने के लिए चीन का देशव्यापी युद्ध शुरू हो गया.चीन कमजोर था औऱ जापान ने चीन की आधी से अधिक भूमि पर कब्जा किया.जापान सैन्यवादियों ने सब कुछ को आग लगाकर राख रखने,हर किसी को मार डालने और हर चीज लूट ले जाने की घृणित नीति अपनाई तथा यहां तक कि जीवाणु व रासायनिक हथियारों का प्रयोग करने का अमानुषिक अपरोध भी कर डाला.चीनी जाता ने जापानी आक्रमणकारियों के विरूद्ध 8 सालों तक कठोर लड़ाई लड़ी औऱ भारी कीमत भी चुका दी.आखिरकार 1945 में चीनी जनता ने जापानी आक्रमणकारियों को आत्मसमर्पण करने विवश किया और इस प्रकार चीन ने दूसरे विश्व महायुद्ध में फासिस्टों पर विजय पाने में महत्वपूर्ण योगदान किया.जापान के आक्रमणकारी युद्ध के दौरान साढ़े दो करोड़ चीनी लोग मारे गए और चीन को 1 खरब अमरीकी डालर का आर्थिक नुकसान हुआ.युद्ध में मारे गए जापानियों की संख्या 30 लाख है.लेकिन आज भी जापान में मुठ्ठी भर के दक्षिणपंथी व्यक्ति जापान के आक्रमण के इतिहासक की लिपा-पोती करने या पूरी तरह नकारने की कुचेष्टा कर रहे हैं.

चीन-जापान युद्ध को समाप्त हुए 60 वर्ष से अधिक समय बित चुके हैं.दुर्भाग्यवश:उस युद्ध के शिकार लोग अब नहीं के बराबर हो गया है.