2008-08-25 14:52:40

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मैं और ओलंपिक

आधुनिक ओलंपिक का जनक बैरोन पियरे डि कूबेर्टन को माना जाता है कि लेकिन असल में वह यूनान के कवि पैनाजाइटिस सातोस थे जिन्होंने सबसे पहले ओलंपिक खेलों की परिकल्पना करके उसे अपनी कविता में पिरोया था।

बीजिंग में मंगलवार से ठीक एक महीने बाद 8 अगस्त को जब 29वें ओलंपिक खेलों की शुरुआत होगी तो शायद कूबेर्टन को हमेशा की तरह याद किया जाएगा लेकिन सातोस अपने युग की तरह एक गुमनाम कवि ही रहेंगे। पैनाजाइटिस सातोस एक समाचार पत्र के संपादक थे और उन्होंने सबसे पहले 1833 में अपनी कविता 'डायलाग ऑफ द डेड' में आधुनिक ओलंपिक खेलों की परिकल्पना की थी।

पुरानी कहानियों के अनुसार ओलंपिक खेल पहली बार 776 ईसा पूर्व ओलंपिया में आयोजित किए गए थे और इसके बाद हर चार साल बाद इनका आयोजन किया जाने लगा था। रोमन सम्राट थियोडोसियस ने 393 ईसवीं में इन खेलों को बंद करा दिया था। इसके बाद ओलंपिक खेलों की किसी को सुध नहीं आई और वह सातोस थे जिन्होंने लोगों को इन खेलों की याद दिलाई। यूनान के व्यवसायी इवानजेलिस जापास ने इन खेलों के आयोजन की बीड़ा उठाया और इसलिए उन्हें आधुनिक ओलंपिक खेलों का संस्थापक माना जाता है। उन्होंने बाकायद एक आयोजन समिति गठित की जिसके एक सदस्य सातोस थे।

जापास के प्रयासों से 1859 में पहले अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक खेल हुए जिनका पूरा खर्चा इस व्यवसायी ने उठाया। इसके बाद उन्होंने 1870 और 1875 में पैनाथिनाको स्टेडियम में आयोजित खेलों के लिए भी धन मुहैया कराया। असल में जापास ओलंपिक खेलों के पहले आयोजक और वर्तमान शब्दों में प्रायोजक थे। इन ओलंपिक खेलों का जिक्र तब के समाचार पत्रों में भी हुआ था। लंदन रिव्यू ने तब लिखा था 'सदियों से भुला दिए गए ओलंपिक खेलों का हाल में पुनर्जीवन हुआ। इन खेलों का पुनर्जीवन एथेंस के करीब हुआ।'

जापास ने ओलंपिक खेलों की जो नींव रखी थी कूबेर्टन ने उसी का सहारा लेकर 1894 में अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति [आईओसी] की स्थापना की और इसलिए उन्हें ओलंपिक खेलों का जनक कहा जाता है। आईओसी ने पहले ओलंपिक खेलों का आयोजन 1896 में यूनान की राजधानी एथेंस में किया और तभी से आधुनिक ओलंपिक खेलों की शुरुआत मानी जाती है। पहले ओलंपिक खेलों में 14 देशों के 241 खिलाड़ियों ने भाग लिया लेकिन इसके बाद इसमें लगातार भागीदारी बढ़ती गई जबकि बीजिंग में 200 से अधिक देश और लगभग 11 हजार खिलाड़ी शिरकत करेंगे।

भारत ने आधिकारिक रूप से 1928 एम्सटर्डम ओलंपिक खेलों में पहली बार भाग लिया लेकिन इससे पहले 1900 में पेरिस ओलंपिक में नार्मन प्रिचार्ड ने भारत का प्रतिनिधित्व करके दो रजत पदक जीते थे। पहले और दूसरे विश्व युद्ध के कारण 1916 तथा 1940 और 1944 के ओलंपिक खेलों का आयोजन नहीं हो पाया। दूसरे विश्व युद्ध के बाद राजनीति के कारण कई अवसरों पर कुछ देशों ने ओलंपिक खेलों का बहिष्कार भी किया।

ओलंपिक आतंकवाद से भी अछूता नहीं रहा जिसमें सबसे दर्दनाक घटना 1972 के म्यूनिख ओलंपिक में घटी। तब ब्लैक सेप्टेम्बर नामक आतंकी गुट ने इजरायल के नौ खिलाड़ियों की हत्या कर दी थी। इन सबके बावजूद ओलंपिक का सफर हर बार इन खेलों में एक नया अध्याय जोड़ता गया।

अब बीजिंग की बारी है जो ओलंपिक खेलों के लिए तैयार है। इसमें 28 खेलों की कुल 302 स्पर्धाएं होंगी। 8 से 24 अगस्त तक खेलों के इस महाकुंभ का आयोजन होगा। इसको देखने मैं स्वयं तो बीजिंग नहीं जा सकता पर टी. वी. पर इसे देख सकता हूं और अपने प्यारे चाइना रेडियो इंटरनेशनल के माध्यम से इसकी हलचलों के बारे में जान सकता हूं। इन खेलों के सफल आयोजन की कामना करता हूं।

प्रेषक:

उमेश कुमार यादव

मुंबई 400 063 भारत