राकेशः राकेश का भी सभी श्रोताओं को प्यार भरा नमस्कार। आइए, कार्यक्रम की शुरुआत में करें इस गीत से।
गीत के बोलः
कैसे कहें हम, प्यार ने हमको, क्या क्या खेल दिखाये
यूं शरमाई, किस्मत हमसे, खुद से हम शरमाए
बागों को तो पतझड़ लूटे, लूटा हमें बहार ने
दुनिया मरती मौत से लेकिन, मारा हमको प्यार ने
अपना वो हाल हैं बीच सफ़र में जैसे कोई लुट जाये
कैसे कहें हम प्यार ने हमको क्या क्या खेल दिखाये
तुम क्या जानो
तुम क्या जानो, क्या चाहा था क्या लेकर आये हम
टूटे सपने घायल नगमे कुछ शोले कुछ शबनम
इतना सब है पाया हमने कहो तो कहाँआ जाये
कैसे कहें हम प्यार ने हमको क्या क्या खेल दिखाये
ऐसे बाजी शहनाई घर में, अब तक सो ना सके हम
अपनों ने हमको इतना सताया, रोये तो रो ना सके हम
अब तो करो कुछ ऐसा यारों होश ना हमको आये
कैसे कहें हम प्यार ने हमको क्या क्या खेल दिखाये
यूं शरमाई किस्मत हमसे खुद से हम
राकेशः यह गीत था फिल्म "शरमीली" से। इसे गाया था किशोर कुमार ने और सुनने की फरमाइश की थी हमारे इन श्रोताओं ने शिवाजी चौक, कटनी से अनिल ताम्रकार, अमर ताम्रकार, संतोष शर्मा, रज्जन रजन, राजू ताम्रकार, दिलीप वर्मा, प्रकाश पेंटर, पवन यादव, सत्तू सोनी, अरुण कनौजिया, संजय सोनी, लालू, सोना, मोना, हनी, यश, सौम्या और उन के मम्मी-पापा। मनकारा मन्द्रिर बी. डी. ए. कालौनी करगैना बरेली से पन्नी लाल सागर, बेनीसिंह, धर्मवीर मनमौजी, आशीष कुमार सागर, कु. रूबी भारती, कु. एकता भारती, कु. दिव्या भारती, श्रीमती ओमवती भारती और बहिन रामकली देवी।
ललिताः श्रोताओ हमें उम्मीद है कि आप ने भी पेइचिंग ऑलंपिक का उद्घाटन समारोह देखा होगा और चीन की संस्कृति और आधुनिक चीन की रंग-बिरंगी झलकियों में ऑलपिंक की मैत्री की, आपसी भाईचारे की और शांति की भावना महसूस की होगी। हमारी तरह आप भी अब अपने देश के खिलाड़ियों की प्रतिस्पर्धा देखने के इंतजार में होंगे। हमारी ओर से सभी खिलाड़ियों को शुभकामनाएं। लीजिए, कार्यक्रम का अगला गीत सुनिए।
गीत के बोलः
आगे भी जाने न तू, पीछे भी जाने न तू
जो भी है, बस यही एक पल है
अन्जाने सायों का राहों में डेरा है
अन्देखी बाहों ने हम सबको घेरा है
ये पल उजाला है बाक़ी अंधेरा है
ये पल गँवाना न ये पल ही तेरा है
जीनेवाले सोच ले यही वक़्त है कर ले पूरी आरज़ू
आगे भी
इस पल की जलवों ने महफ़िल संवारी है
इस पल की गर्मी ने धड़कन उभारी है
इस पल के होने से दुनिया हमारी है
ये पल जो देखो तो सदियों पे वारि है
जीनेवाले सोच ले यही वक़्त है कर ले पूरी आरज़ू
आगे भी
इस पल के साए में अपना ठिकाना है
इस पल की आगे की हर शय फ़साना है
कल किसने देखा है कल किसने जाना है
इस पल से पाएगा जो तुझको पाना है
जीनेवाले सोच ले यही वक़्त है कर ले पूरी आरज़ू
आगे भी
राकेशः यह गीत था फिल्म "वक्त" से। इसे गाया था आशा ने और सुनना चाहा था हमारे इन श्रोताओं ने परमवीर हाऊस, आदर्श नगर, बठिंडा से अशोक ग्रोवर, प्रवीन ग्रोवर, नीति ग्रोवर, पवनीत ग्रोवर, क्रमजीत ग्रोवर। गांव भगता भाई से हरिन्द्र सिंह बराड़, कुलदीप कौर बराड़, डालर, रुबल बराड़। और चतुपुर कुन्दरकी से एम. मुनाजिर खान, निजाबूल हसन, फिरासत फारूकी, जुम्मा हलवाई और मुस्लिम अनस।
ललिताः श्रोताओ, ऑलंपिक का आयोजन करना चीनी जनता का सौ साल पुराना सपना रहा है। और इस सपने को साकार करने के लिए पिछले सात साल से चीन सरकार और चीनी जनता ने बहुत कोशिश की है। और इस समय सारी दुनिया से न केवल खिलाड़ी चीन में मैडल पाने के अपने सपने को साकार करने की कोशिश कर रहे हैं, बल्कि दुनिया भर से हजारों लोग ऑलंपिक और चीन की संस्कृति को करीब से देखने के लिए चीन आए हैं।
राकेशः जी हां। इस समय पेइचिंग में जगह-जगह सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जा रहे हैं और पेइचिंग की जनता मेहमानों का खुले दिल से स्वागत कर रही हैं। चीन के सामने यह एक सुनहरी मौका है दुनिया के सामने अपनी संस्कृति, अपने विकास को दिखाने का। और यह भी बताने का चीनी लोग कितने मेहमाननवाज होते हैं।
ललिताः जी हां। यह बात तो है। भारत के लोगों की तरह चीनी लोग भी बहुत मेहमाननवाज होते हैं।
![]() |
![]() |
16A Shijingshan Road, Beijing, China. 100040 |