2008-06-24 10:52:44

हिन्दी कार्यक्रमों पर औरेया उत्तर प्रदेश के काल्क प्रसाद कीर्ति प्रिय की राय

उन्हों ने अपने पत्र में कहा कि सिन्चांग का दौरा कार्यक्रम में ऊंट को भूना जाना और सुनहरा रंग का ऊंट देखने में अच्छा लगना और ऊंट के भुने मांस की महक मुझे भी पसंद आ रही है।

बैल की पूंछ और खुर आदि फेंक दिए जाते थे , लेकिन अब उन को भी पाक विद्या से महका दिया जाता है और पौष्टिक होते हैं । ऊंट की तरह बकरी और बैल को भून कर खाया जाता है , रिपोर्ट मन को खुश करके अन्दर घूस गयी ।

माननीय बुजुर्ग संस्थापक , दोस्ती का पुल बनाने वाले सच्चे कामरेड सुन पाओ कांग के मुख से बड़ी मूल्यवान वार्ता को सुना , उन्हों ने 15 मार्च 1959 से जो नींव डाली , वह आज विशाल महल कम्प्युटर की दुनिया से चल रहा है । श्री सुन पाओ कांग को लाल सलाम ।

दिनांक 14 अप्रैल 2006 को चाओ ह्वा जी द्वारा सिन्चांग का दौरा सुना , सुन कर खुशी हुई ।

ली युसिंग एक विकलांग पुरूष है , उन की टांगों में फालिज मार गया , गरीबी के कारण उन के इलाज देर में हुआ , अतः फालिज का उपचार कामयाब नहीं हुआ । 12 वर्ष की उम्र में उन के पिता का देहांत हो गया , ली सब से बड़े भाई थे , उन के ऊपर घर का बोझ आ गया , वह अपनी चेअर पर बैठ कर बनिया जैसी वस्तुएं बेच कर गुजारा करते थे , उन्हों ने कड़ी मेहनत से अध्ययन किया और दूसरों की पुस्तकें मांग कर पढ़ते । इस तरह वे एक प्राइवेट अंग्रेजी टीचर हो गए , लोग उन से ज्ञान प्राप्त करके प्रशंसा करते हैं । उन की पत्नी उन की हर तरह सेवा करती हैं , पत्नी भी महान है , क्योंकि पत्नी इतनी अच्छी मिलना मुश्किल है । इस दंपति को हार्दिक प्रणाम ।

सी आर आई हिन्दी सेवा का कार्यक्रम सिन्चांग का दौरा प्रसारित होने के बाद वह बहुत से श्रोताओं को बहुत पसंद आया और उन्हों ने इस के अन्तर्गत प्रसारित रिपोर्टों की विस्तार से चर्चा कर अपनी राय लिख कर हमें भेजा । आजमगढ़ उत्तर प्रदेश के मोहम्मद शाहिद आजमी को सिन्चांग का दौरा में प्रसारित विकलांग ली युसिंग की कहानी पसंद आयी और पत्र लिख कर अपना अनुभव बताया , जो इस समय आप के सामने है।

दिनांक 14 अप्रैल 2006 को आप का कार्यक्रम चीन की अल्पसंख्यक जाति सुना , आज के कार्यक्रम में सिन्चांग का दौरा श्रृंखला के तहत ऊरूमुची के 42 वर्षीय विकलांग श्री ली युसिंग के जीनव की कहानी सुनी । उन की कहानी से हमें प्रेरणा मिली कि कठिन संघर्ष से अपना जीवन सफल बनाया जा सकता है । गरीबी मानव के जीवन की सब से बड़ी बाधा है , ली युसिंग के जीवन को बाधा पहुंचाने में गरीबी आयी , जब ली 2 वर्ष के थे , तो उन को पोलियो से लकवा लग गया, कहानी से मालूम हुआ कि अगर समय पर श्री ली का सही इलाज किया जाता , तो उन को विकलांग से बचाया जा सकता था , मगर गरीबी के कारण उन का ठीक इलाज नहीं हो सका । तारीफ करूंगा मैं ली युसिंग की , जिन्हों ने विकलांग को कभी बाधा नहीं बनने दिया , खुली मिजाजी ली हाई स्कूल में श्रेष्ठ अंक प्राप्त करने के बाद विश्वविद्यालय में विदेशी भाषा विभाग में दाखिल हो गए । उन्हों ने कहा कि विकलांग पर उन को अफसोस नहीं है । कहानी में बताया गया कि उन्हों ने किसी भी कठिनाई में कभी क्लास नहीं छोड़ा , नियमित क्लास करते रहते थे और यही कारण है कि अंग्रेजी भाषा पर पूरी पकड़ बना ली । वर्ष 1984 में उन्हों ने प्रथम ट्युसन के लिए छात्र लियी । ली सदैव छात्रों को अंग्रेजी सीखने के लिए उत्साहित करते रहे हैं । ली युसिंग ने दो हजार छात्रों को अंग्रेजी की शिक्षा दे कर एक महान काम किया है । ली यु सिंग एक प्राइवेट ट्युसन क्लास चलाते हैं , उन के क्लास में एक साथ 80 छात्र पढ़ सकते हैं । ली का उन की पत्नी पूरा सहयोग करती है । श्री ली की कहानी सुन कर हमें भी अपने जीवन में संघर्ष कर सफलता पाने की प्रेरणा मिली है । दीदी चाओ ह्वा की पेशकश लाजवाब थी , आप का यह कार्यक्रम बहुत ही पसंद आया । वर्तमान समय में सी आर आई हिन्दी सेवा में सब से सपल और श्रेष्ठ कार्यक्रमों की सूची में चीन की अल्पसंख्यक जाति कार्यक्रम प्रथम स्थान पर है । चीन की अल्पसंख्यक जाति कार्यक्रम श्रोताओं में सब से अधिक लोकप्रिय है ।

ऊपर दो श्रोता भाइयों ने चीनी विकलांग ली यु सिंग के जुझारू जीवन की कहानी की बड़ी तारीफ की और कहा कि इस प्रकार की कहानी से अपने जीवन के लिए बड़ी प्रेरणा भी मिली । यह पढ़ कर हमें बड़ी खुशी हुई और प्रेरणा भी प्राप्त हुई । सच है कि श्री ली की संघर्षरत कहानी हम सभी के लिए प्रेरक है । भविष्य में हम इस प्रकार का कार्यक्रम बनाने की कोशिश करेंगे , जिस से ज्यादा से ज्यादा श्रोताओं को सुन कर पसंद आयेगा और उत्साहन मिल सकेगा ।