राइपुर छत्तीसगठ के आनंद मोहन बैइन का सवाल है कि क्या चीन में नारी उत्पिड़न की घटना अधिक है? उत्तर प्रदेश के अनेक श्रोताओं ने भी चीन में स्त्रियों के अधिकारों व हितों की रक्षा के बारे में जानकारी हासिल करने की इच्छा व्यक्त की.
चीन में नारी उत्पीड़न की घटना ज्यादा नहीं है.कामकाजी महिलाओं के साथ जैसा ही बर्ताव किया जाता है,वैसा पुरूषों के साथ.कभी महिलाओं के साथ जो अन्याय हो जाता है,उसे सुलह या कानूनी तरीके से दूर किया जा सकता है.चीन में नारी-उत्पीड़न आम तौर पर घरों तक सीमित है और गांवों में ही देखा जा सकता है.पर हर गांव में नारी रक्षा कार्य-दल है.जो नारी घर में हिंसक कार्यवाही की शिकार बनती है,उसे बचाने के लिए कार्यदल हिंसा करने वाले के खिलाफ कानूनी दंडात्मक कार्रवाई करता है.
चीन में स्त्री-पुऱूष समानता और महिलाओं के अधिकारों व हितों की रक्षा की आम स्थिति अपेक्षाकृत अच्छी कही जा सकती है.2004 में अखिल चीन महिला संघ द्वारा देश भर में किए गए एक सर्वेक्षण से पता चला है कि देश के अधिकांश नागरिक देश में स्त्री-पुरूष समानता औऱ स्त्रियों के अधिकारों व हितों की रक्षा की स्थिति से संतुष्ट हैं.वास्तव में चीन सरकार हमेशा से विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं का खासा ख्याल रखती है और उन की प्रतिभा के विकास औऱ स्वस्थ जीवन के लिए प्रयासरत रही है.इस समय चीन के विभिन्न व्यवसायों में महिला कार्यकर्त्ता देखी जा सकती हैं.अधिकाश संस्थाओं में स्त्री-पुरूष अनुपात बराबर है.कुछ संस्थाओं में तो स्त्री कर्मचारियों की संख्या पुरूषों से भी ज्यादा है.विभिन्न स्तर के नेतृत्वकारी समूहों मे महिला सदस्य कम नहीं है.पूरे देश के मंत्री स्तरीय पदाधिकारियों में से 134 महिलाए है.
चीन में महिलाओं के अधिकारों व हितों की रक्षा और स्त्री-पुरूष समानता की कानून व्यवस्था कायम हो चुकी है , जिस से राजनीतिक,आर्थिक,सांस्कृतिक,शैक्षिक,सामाजिक व पारिवारिक स्तर पर महिलांओं के अधिकारों व हितों की रक्षा सुनिश्चित हो गयी है.चीनी संविधान,चीनी विवाह कानून,चीनी महिलाओं की रक्षा संबंधी नियम,चीनी महिलाओ के विकास संबंधी कार्यक्रम,श्रम कानून आदि राष्ट्रीय कानून-कायदे व दस्तावेज महिलाओं के अधिकारों व हितों की रक्षा पर जोर देते हैं.
बांका बिहार के कुमोद सिंह ने पूछा कि चीन में कृषि संबंधी क्या क्या पत्रिकाएं छपती हैं और क्या किसानों की सबसिडी भी दी जाती है?
भया,चीन सरकार अपने किसानों की शिक्षा को भारी महत्व देती रही है.उन्हें कृषि की जानकारी उपलब्ध कराने के लिए देश में सैंकड़ों किस्मों के सरकारी पत्र-पत्रिकाए छपती हैं.उन में से किसान दैनिक,ग्रामीण उपक्रम दैनिक,पशु-पालन दैनिक, खेतीबारी व विज्ञान-तकनीक जर्नल,सब्जी जर्नल, कृषि उत्पाद प्रसंस्करण जर्नल, बागबानी मासिक आदि बहुत लोकप्रिय हैं.2005 में ही देश के 260 प्रमुख प्रकाशनगृहों ने कृषि संबंधी 4077 विषयों पर पत्रिकाएं और पुस्तकें प्रकाशित कीं.
चीन की 1 अरब 28 करोड़ 45 लाख 30 हजार आबादी में से 80 करोड़ किसान हैं.उन्हें आधुनिक तकनीकें और सूचनाएं उपलब्ध कराए बगैर देश का आधुनिकीकरण करना रिक्त बात रह जाएगी.
इसलिए चीन सरकार ने प्रकाशन जगत में किसान,कृषि और गांव विषयक अभियान चलाया है,ताकि प्रकाशनगृह किसानों के लिए और अधिक उपयोगी पुस्तकों और पत्रिकाओं का प्रकाशन करें.
कुमोद सिंह जी,हम समझते हैं कि आप के सवाल में किसानों की सब्सिडी का मतलब कृषि संबंधी सब्सिडी है.हां,चीन में कृषि उत्पादों को सब्सिडी दी जाती है.2001 के दिसम्बर में विश्व व्यापार संगठन की सदस्यता पाने से पहले चीन सरकार द्वारा किए गए वायदे के अनुसार इस समय चीन में कृषि उत्पादों के लिए सब्सिडी की दर 8.5 प्रतिशत है.
विश्व व्यापार संगठन में शामिल होने के बाद चीन ने अपने कृषि उत्पादों के आयात की चुंगी को पहले की 21.3 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत कर लिया है.विश्व व्यापार संगठन के नियम के अनुसार संगठन के सभी सदस्यों को कृषि उत्पादों के आयात की मात्रा पर कोई पाबंदी लगाने की अनुमति नहीं है.चीन इस से अछूता नहीं है.मतलब है कि चीन उन कृषि उत्पादों का बड़ी मात्रा में आयात करने के लिए मजबूर हो सकता है,जिन की देशी बाजारों में भरमार है.इस से देशी कृषि उत्पादों की बिक्री प्रभावित हो सकती है और ये उत्पाद बनाने वाले किसानों को नुकसान हो सकता है.इन की क्षति-आपूर्ति के लिए कृषि-सब्सिडी व्यवस्था लागू करना लाजिमी है.
डब्ल्यूटीओ के नियम के अनुसार विकसित देशों औऱ विकासशील देशों को अपने कृषि उत्पादों के लिए अलग अलग रूप से 5 प्रतिशत और 10 प्रतिशत स्तर पर सब्सिटी देनी चाहिए.इस के हिसाब से चीन सरकार द्वारा अपने कृषि उत्पादों के लिए दी जाने वाली सब्सिटी का प्रतिशत बिल्कुल जायज है.