राकेशः राकेश का भी सभी श्रोताओं को प्यार भरा नमस्कार।
ललिताः पिछले लगभग तीन सप्ताह से आप आप की पसंद कार्यक्रम नहीं सुन पाए, क्योंकि अचानक चीन में बड़े पैमाने पर प्राकृतिक विपदा से सारे देश को निबटना पड़ा।
राकेशः पिछले माह की 12 तारीख को चीन के छंगतू में वनछ्वान काऊंटी में रियक्टर स्केल पर 8 डिग्री वाला भयानक भूकंप आया और उस में जान-माल का बहुत अधिक नुकसान हुआ है।
ललिताः चीन सरकार, चीनी जनता और अंतराष्ट्रीय समुदाय ने संकट की इस घड़ी में चीन के भूकंप राहत कार्य में पूरी तरह से सहायता की है। भारत ने भी राहत कार्य में सहायता की है और संकट से जल्दी ही उबरने के लिए भूकंप पीड़ित लोगों को अपनी शुभकामनाएं दी हैं।
राकेशः भूकंप में मृत लोगों को अपनी श्रद्धाजंलि देते हुए हम आज के कार्यक्रम की शुरुआत करते हैं।
गीत के बोलः
ओ रे माझी ओ रे माझी ओ ओ मेरे माझी
मेरे साजन हैं उस पार, मैं मन मार, हूँ इस पार
ओ मेरे माझी, अबकी बार, ले चल पार, ले चल पार
मेरे साजन हैं उस पार
हो मन की किताब से तू, मेरा नाम ही मिटा देना
गुन तो न था कोई भी, अवगुन मेरे भुला देना
मुझको तेरी बिदा का
मुझको तेरी बिदा का मर के भी रहता इंतज़ार
मेरे साजन
मत खेल जल जाएगी, कहती है आग मेरे मन की
मत खेल
मत खेल जल जाएगी, कहती है आग मेरे मन की
मैं बंदिनी पिया की चिर संगिनी हूँ साजन की
मेरा खींचती है आँचल
मेरा खींचती है आँचल मन मीत तेरी हर पुकार
मेरे साजन हैं उस पार
ओ रे माझी ओ रे माझी ओ ओ मेरे माझी
मेरे साजन हैं उस पार
राकेशः यह गीत था फिल्म "बंदिनी" से, शैलेंद्र के लिखे इस गीत को गाया था एस. डी. बर्मन ने और इसे सुनने की फरमाइश की थी हमारे इन श्रोताओं ने मोजाहिदपुर, पूरबटोला भागलपुर से मोहम्मद खालिद अन्सारी, ताहिर अन्सारी, शमीम नवाब, कादिर, जोवेद और आलम। और कबीरपुर, भागलपुर से मुन्ना खान मुन्ना, तारा बेगम, आजम अकेला, शबनम और शहजादे। मंसूरी रेडियो श्रोता संघ राम चबूतरा, कालपी, जिला जालौन यू. पी. से मों जाकिर मंसूरी, कमरुन निशा, बेबी शबिस्ता, मों साकिर, मों जाविद, मों सईद, मो शरीफ, मो अनीश, मुकेश कुमार, सोनू, गोलू, राज, लकी एवं यश मंसूरी।
ललिताः यह एक बहुत सुंदर पत्र हमारे श्रोता मेहदी हसन ने हमें भेजा है बिहार, कृष्ण बाग, बेतिया से और ये लिखते हैं कि इन्हें पुरानी हिंदी फिल्मों के गीत बहुत पसंद हैं। इन्होंने हमारे कार्यक्रम में एक गीत सुना था, जिसे ये अच्छी तरह नहीं सुन पाए। इस के बारे में ये जानना चाहते हैं कि वो गीत किस फिल्म का था, गीत के बोल हैं नज़र को संभालो, यह क्या हो रहा है।
राकेशः मेहदी हसन जी पत्र लिखने के लिए धन्यवाद और कार्यक्रम को पसंद करने के लिए भी। आप ने जिस गीत के बारे में पूछा है वह गीत है सन् 1963 में बनी फिल्म "कोबरा गर्ल" से और इसे गाया है सुमन कल्याणपुर और मुकेश ने। लीजिए आज फिर पेश है आप की और हमारे इन श्रोताओँ की पसंद का यही गीत, नैनीताल, उत्तरांचल से रमेश सिंह नेगी, किशोर सिंह नेगी, भुवन, ज्योति, पवन और कमला। कलेर बिहार से मों आसिफ, बेगम निकहत प्रवीन, सदफ आरजू, अजरफ अकेला और तहमीना मशकर। नारनौल हरियाणा से उमेश कुमार शर्मा, राजेश गुप्ता, विजय शर्मा, शैलेंद्र शर्मा, रमेश यादव, देशराम, हुकुम सैनी, बंटी और बिटटू।
ललिताः यह पत्र भेजा है हमें श्री पवन कुमार जी ने, गांव व डाकखाना, खन्नी, तहसील नूरपुर, जिला कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश से। और इन्होंने पत्र के ऊपर बहुत ही खूबसूरती से सी. आर. आई. और हिंदी सेवा लिखा है और उसे अनेक रंगों से भरा है। ये लिखते हैं कि आप की पसंद कार्यक्रम ये नियमित रूप से सुनते हैं और पुराने गीत इन्हें बहुत अच्छे लगते हैं। हम ने मुकेश, सुमन कल्याणपुर और रफी पर जो कार्यक्रम पेश किए, वे भी इन्हें बहुत अच्छे लगे। इन्होंने और इन की भतीजी भावना ने फिल्म "उपकार" और "दो बदन" के गीत सुनने की फरमाइश की है।
राकेशः पवन कुमार जी, आप को हमारे कार्यक्रम पसंद आते हैं इस के लिए और इतना सुंदर पत्र लिखने के लिए बहुत धन्यवाद। हम जल्द ही आप की पसंद के गीतों को सुनाएंगे। अभी सुनिए यह गीत, निश्चय ही आप को और आप की भतीजी भावना को भी यह गीत पसंद आएगा।
गीत के बोलः
जिन्हें हम भूलना चाहें वो अक्सर याद आते हैं
बुरा हो इस मोहब्बत का वो क्यूँ कर याद आते हैं
जिन्हें हम भूलना
बुलाएँ किस तरह उनको कभी पी थी उन आँखों से
छलक जाते हैं जब आँसू वो साग़र याद आते हैं
जिन्हें हम भूलना
किसी के सुर्ख़ लब थे या दिए की लौ मचलती थी
जहां की थी कभी पूजा वो मंज़र याद आते हैं
जिन्हें हम भूलना
रहे ऐ शम्मा तू रोशन दुआ देता है परवाना
जिनकी क़िस्मत में जलना है वो जल कर याद आते हैं
जिन्हें हम भूलना
राकेशः यह गीत था फिल्म "आबरु" से और इसे गाया था मुकेश ने और सुनना चाहा था हमारे इन श्रोताओं ने इस्लामनगर बदायूं उत्तर प्रदेश से रतनदीप आर्य, बिपिन गुप्ता, राघव आर्य, कपिल गुप्ता, अमित गुप्ता और जी. बी. धाकड़। मौहल्ला भूड़ा, कस्बा सैफनी से मौ. आरिफ, मौ. यूनुस, शहनाजपखीन। दुर्गा कालोनी हांसी से राजू मिगलानी, बबीता मिगलानी, बजरंग वर्मा, साधु राम वर्मा, सुभाष योगी। रामनाथपूरा राजकोट से अहमद हसन अजमेरी, खतीजा अजमेरी, इरफान अहमद, लियाकत अजमेरी।
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16A Shijingshan Road, Beijing, China. 100040 |