बेगम हसीना शाहिद ने अपने एक लम्बे पत्र में सी . आर .आई हिन्दी सेवा के मानिटर श्री मोहम्मद शाहिद आजमी की पिछले साल की मुफ्त चीन यात्रा पर भी अपना अनुभव बताया । उन्हों ने कहा कि चीन भारत मैत्री ज्ञान प्रतियोगिता में विशेष पुरस्कार के लिए श्री मुहम्मज शाहिद आजमी को चुना गया और चीन के दौर पर भी गए ।
चीन दौर के पहले दिन अपने साक्षात्कार में आजमी जी ने खुद कहा था कि चीन को मन की आंखों से तो बहुत देखा था , मगर सचमुच देख पाऊंगा और वास्तविक रूप से देख पाऊंगा , यह मुझे एक ख्वाब , एक सपना सा मालूम होता था । मालूम नहीं था कि यह सपना साकार हो जाएगा , अपने सपने को सच होते देख कर जो खुशी हुई , उसे शब्दों में नहीं कह सकता । कुछ इस प्रकार की भावनाएं आजमी जी ने अपने पहले साक्षात्कार में प्रकट की थी ।
वैसे भी जब वे मुझ से मिलते थे या तेलीफोन पर बातें करते थे , तो अपनी खुशी का इजहार बराबर करते थे । सात दिन की चीन यात्रा के बाद जब वे अपने देश वापल लौटे , तो मुझे फोन के जरिए वहां की पूरी तफसील बताई । यात्रा के दौरान लिए गए साक्षात्कार सुन कर भी मैं ने महसूस कर लिया था कि वह वहां काफी मजे में है और बहुत खुश हैं ।
चीन में जहां जहां आजमी जी गए , जिन स्थलों को देखा , उन की सुन्दरता और विशेषता अपने साक्षात्कार में बता दिया करते थे , यह मुझे बहुत अच्छा लगता था । आजमी जी जो कुछ देखते थे , इतना विस्तार से बताते थे कि लगता था मानो हम ने खुद अपनी आंखों से देखा हो । इतने खूबसूरत साक्षात्कार पर आजमी को हम बधाई देते हैं ।
श्री अमीर अहमद साहब इंटरव्यू लेने के लिए मुबारकपुर आए थे , उन्हों ने वह फोटोग्राफ भी दिखाये , जो आजमी जी के साथ चीन के विभिन्न स्थलों के लिए गए हैं। फोटोग्राफ देख कर हमें यह अंदाजा हो गया है कि चीन बहुत खूबसूरत देश है । वहां के एतिहासिक स्थलों में बहुत सी खुबियां और बहुत सी विशेषताएं हैं । इन के पीछे एक एक लम्बी चोड़ी दास्तान है , जिसे जानने की हर किसी को उत्सुकता रहती है । इन फोटोग्राफ को देख कर यकीन मानिए , हम भी कुछ समय के लिए ख्यालों की दुनिया में खो गए ।
हम आभारी है सी .आर.आई के कि उस ने मोहम्मद शाहिद आजमी को यह सुनहरा और यादगार मौका प्रदान किया । ऐसे मौके मुबारकपुर के अन्य जागरूक श्रोताओं को भी देना चाहिए ,इसी आशा के साथ अपनी बातों को खत्म करती हूं ।
सी.आर .आई हिन्दी सेवा के नियमित व सक्रिय श्रोता श्री मोहम्मद शाहिद आजमी की चीन यात्रा के बारे में बेगम हसीना शाहिद ने जो उत्साह से भरे और भावभीने शब्दों में विस्तार से अपना अनुभव बताया , उस पर हम अपनी तरफ और कुछ कहने को अनावश्य समझते हैं , बेगम हसीमा शाहिद का यह पत्र वाकई तारीफ के काबिला है । ऐसे जोश बढाने वाले पत्र के लिए हम बेगम हसीना शाहिद के आभारी हैं ।
अब आप के सामने है शेखपुरा बिहार के कृष्णा मुरारी सिंह किसान का पत्र । उन्हों ने पत्र में श्रोता वाटिका के अंक नौ के बारे में अपना अनुभव बताया है ।
अंक नौ श्रोता वाटिका मिला , इस में भारत से जुड़ी हुई सामग्री ज्यादा है । कारण संपादिका चंद्रिमा जी भारत में रहीं । अपने अनुभवों की अभिव्यक्ति पत्रिका में देकर भारत चीन मैत्री में अहम भूमिका निभाई है । संपादकीय में सारी बातों को कह दिया है . यह बात सही है कि भारत के लोग आस्तिक हैं और किसी न किसी धर्म से जुड़े हुए भी है । धर्म से ही परहित की भावना जगती है । शांति , मैत्री और सहयोग प्रकट होता है । संपादकीय का विचार काफी सटीक लगा । आप का सभी छाया चित्र भी रोचक है । जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय पर जिवंत आलेख गागर में सागर है ।
बौद्ध धर्म के चार स्थलों का यात्रा वृतांत मर्मस्पर्शी लगा , सत्य ,अहिंसा से जुड़े ये सारे स्थल भारत ही नहीं , बल्कि विश्व के धरोहर है । भारत के जानवरों का खुलासा किया गया , दिवाली और होली का विवरण अपने अपने अनुभव पर आधारित दिया है , जो अच्छी बात है । भारतीय व्यंजन का तो कहना ही क्या । अगर मेरे गांव आ जाती , तो और भी तरह तरह के पकवान का मजा आ जाता । भारत को समर्पित यह अंक काफी अच्छा लगा ।
श्रोता वाटिका पर श्री कृष्णा मुरारी सिंह किसान की विस्तृत और सटीक समीक्षा यकीनन् काबिले तारीफ की है । इस बारीकी समीक्षा पढ़ कर हमें अपनी पत्रिका के बारे में श्रोताओं की रायें अच्छी व साफ साफ मालूम हो गयी , जो श्रोता वाटिका बेहतर करने के लिए लाभदायी सिद्ध होगा । श्री कृष्णा मुरारी सिंह को कोटि कोटि धन्यावाद।