2008-05-21 15:51:59

उतांग पर्वत का विवरण

होसखास नयी दिल्ली के दीपक ठाकुर पूछते हैं कि चीन में ऊतांग पर्वत किस प्रकार का है?ऊतांग पर्वत मध्य चीन का एक रमणीक स्थल है,जो हूपे प्रांत के उत्तर पश्चिमी भाग में स्थित है और 400 किलोमीटर के घेरे में फैला है.इस पर्वत की मुख्य चोटी समुद्र की सहत से कोई 1612 मीटर ऊंची है.चोटी पर खड़े होकर दूर तक नजर दौड़ाई जाए,तो मध्य चीन के खूबसूरत प्राक़ृतिक दृश्यों का अवलोकन किया जा सकता है.उत्तर में हानश्वई नदी एक पट्टी की तरह नजर आती है और पानी से लबलबा भरा हुआ तानच्यांग जलाश्य जेड की प्लेट का आभास देता है.दक्षिण में मध्य चीन की छत कहलाने वाली शननुंगच्या पर्वतमाला सादे रंगों वाला चित्र जैसा मालूम पड़ती है.पूर्व की ओर देखने पर च्यांगहान मैदान अन्नत सीमा तक फैला हुऐ है,जब कि पश्चिम की तरफ छिनलिंग व पाशान पर्वत श्रृंखलाए आगे रंगते हुए दो नीले नागराज की तरह दिखाई देती हैं.पैरों तले तमाम चोटियों के अपने अपने अजीबोगरीब रंगरूप सामने उपस्थित हैं. "ताओ बालक" और "बालिका"चोटियों की शक्ल एकदम सुन्दर व लुभावना है. "धमबत्ती" व "धूपदान" चोटियों पर बैंगनी बादल छाए हुए है. "स्वर्गिक अश्व" चोटी दौड़ते व हिनहिनाते घोड़े की तरह नजर आती है. "पांच बुजुर्ग"चोटी लाठी टेककर लड़खडाते हुए पांच पृद्धों का भ्रम देती है.फंगलाई की प्रथम चोटी तो बादलों से घिरी हुई है.जब कि ऊंची-नीची तमाम 72 चोटियां"थ्येनचू" यानी आकाश का अवलम्ब चोटी की ओर ऐसी खडी नजर आती हैं.मानो वे " दैव-सम्राट" को प्रणाम कर रही हों.

ऊतांग पर्वत-क्षेत्र में समशीतोष्ण जलवायु होने के कारण वर्षा भरपूर होती है औऱ सदाबहार मौसम रहता है तथा चोरों मौसमों में खूब फल-फूल होते है.यहां भरपूर जडी-बुटियां होती हैं.किसान अक्सर चोटियों अथवा कगारों पर गेनोडर्मा,चिनछाए,चूशाकन,गैस्ट्रोडिया इलेटा व नकली जिनसंग इत्यादि बेशकीमती जड़ी-बुटियां चुन लेते हैं,जिन में य्वीलुंग गेनोडर्मा व होच्ये जड़ियां दुनिया भर में दुर्लभ है.मिंग राजवंश (1368-1644) के महान चिकित्सक ली शीचन भी यहां जड़ी-बुटियां चुना करते थे.उस की विशाल रचना" पन छाओ कांग मू "यानी जड़ी-बुटियों की रूपरेखा में कुल 1800 से अधिक जड़ी-बुटियों का उल्लेख किया गया है,जिन में 400 से अधिक जड़ी बुटियां ऊतांग पर्वत-क्षेत्र में मिल सकती हैं.

अजीबोगरीब चोटियां,खतरनाक घाटियां औऱ अनेक गहरी व शांत गुफाएं मौजूद होने के कारण ऊतांग पर्वत में प्राचीन काल से ही ताओ धर्म के अनेक विख्यात गुरू अध्ययन-मनन करते थे.यही कारण है कि यह ताओ धर्म का पवित्र स्थल बन गया.ईसा की 7वीं सदी में यहां ताओ धर्म के ऊलुंग मंदिर का निर्माण हुआ.इस के बाद धर्म के अनेक मंदिर निर्मित होते गए.मिंग राजवंश के युंगलो के शासन-काल के 10वें वर्ष (1412)में सम्राट चू-ती की आज्ञा के अनुसार यहां फिर बड़े पैमाने पर निर्माण-कार्य किए गए.इस कार्य के लिए रोज करीब 3 लाख मजदूर व कारीगर जुटाए गए और 10 वर्ष का समय लगाया गया.कुल 8 महल,ताओ धर्म के 2 मंदिर,36 भवन और 72 पहाड़ी मंदिर,39 पुल व 12 मंडप निर्मित किए गए.इन का कुल क्षेत्रफल 16 लाख वर्गमीटर तक पहुंच गया और इन में कुल 20 हजार कमरे थे.आज तक इन इमारतों का पूरा समूह बुनियादी तौर पर सुरक्षित है और अत्यंत भव्य हैं.

इस पर्वत पर भरपूर प्राचीन सांस्कृतिक अवशेष सुरक्षित हैं.यहां हर जगह थांग राजवंश(618 ई0-907ई0) के जमाने से सुरक्षित रखे गए शिलालेख व खुदे हुए पत्थर मौजूद हैं,जिन पर गीत,कविताएं और धार्मिक सूत्र खुदे हैं.ऊलुंग मंदिर के अवशेष पर थांग राजवंश के विख्यात कवि मंग हाओरान की पत्थर-मूर्ति औऱ उन की लिखी कविता का शिलालेख अब भी सुरक्षित है.य्वानहो मंदिर में सुंग राजवंश के महान लिपिकार मी-फू की लिपि निया का प्रथम पर्वत खुदा हुआ शिलालेख सुरक्षित है.नानयेन,चिश्याओ और थाएहो मंदिर में बड़ी संख्या में मिंग व छिंग राजवंशों के जमाने से सुरक्षित रखे गए ऐसे अभिलेख व शिलालेख मौजूद हैं.

ऊतांग पर्वत चीन के परंपरागत कसरत ऊंशू की कलाओं में विख्यात ऊतांग मुक्केबाजी का जन्म-स्थल भी है.पिछले कुछ वर्षों में इस कला का प्रचार व विकास विदेशों में भी तेजी से हुआ है.

ऊतांग पर्वत पर्यटकों का मनपसन्द स्थल रहा है.आज वहां जाने के लिए सड़क व रेल की बड़ी सुविधाएं हैं औऱ विशेष बस से सीधे सब से ऊंची चोटी पर स्थि चिश्याओ मंदिर तक पहुंचा जा सकता है. बस ऊतांग पर्वत पर इतनी लम्बी चर्चा यहीं तक खत्म करें.आशा है कि आप इस से नहीं उब जाएंगे.