राकेशः राकेश का भी सभी श्रोताओं को प्यार भरा नमस्कार।
ललिताः पिछली बार हम ने दो किश्तों में प्रसिद्ध एंव लोकप्रिय गायक, अभिनेता किशोर कुमार के जीवन पर आधारित कार्यक्रम पेश किए थे। आशा है आप को पसंद आए होंगे।
राकेशः इस बारे में हमें एक ई-मेल भी मिली है, श्री चुन्नीलाल कैवर्त जी की। इन्हें किशोर कुमार पर आधारित कार्यक्रम पसंद आए और इन्हें गीतों का चुनाव भी अच्छा लगा। ललिता जी इन्होंने यह भी पूछा है कि क्या हम ने पहेली कार्यक्रम बंद कर दिया है।
ललिताः चुन्नीलाला कैवर्त जी, आप की ई-मेल के लिए धन्यवाद और कार्यक्रम को पसंद करने के लिए भी। जहां तक पहेली कार्यक्रम का सवाल है, निश्चित रूप से हमारा उसे बंद करने का कोई विचार नहीं है। आप तो जानते ही हैं कि अगस्त में पेइचिंग में ऑलंपिक खेल होने जा रहे हैं। हमारी व्यस्तता भी ऑलंपिक खेलों के कारण कुछ अधिक है। इसलिए पहेली कार्यक्रम को हम ऑलंपिक के बाद फिर शुरू करेंगे।
राकेशः इन्होंने किशोर कुमार की आवाज़ में "पड़ोसन" फिल्म का गीत सुनने की इच्छा जाहिर की है।
ललिताः जरूर। लीजिए आप की पसंद का गीत पेश है, जिसे हमारे इन श्रोताओं ने भी सुनना चाहा है, इस्लामिक पब्लिक स्कूल, मुस्तफाबाद, करावल नगर, दिल्ली से आसमा खातून, बर्स कुलासर, बेला औरेय्या, यू. पी. से देशपाल सिंह सेंगर, रचना सेंगर, पवन सिंह सेंगर, भीम सिंह सेंगर, आन्नद, सितम और सुधीर।
गीत के बोलः
कहना है, कहना है
कहना है, कहना है, आज तुमसे ये पहली बार, हो
तुम ही, तो लाई हो, जीवन में मेरे, प्यार प्यार प्यार
तुमसे, कहने वाली, और भी हैं, प्यारी बातें
सामने सबके कैसे, कह दूं मैं वो, प्यारी बातें
आज मुझे बस इतना ही अब करना है इक़रार
तुम ही तो लाई हो
कब से, दिल ने मेरे, मान लिया है तुझको अपना
आँखें मेरी देख राही हैं सोते उठते ये सपना
मेरे गले में डाल राही हो तुम बाहों का हार
तुम ही तो लाई हो
राकेशः अगला गीत हम अपने श्रोताओं की पसंद पर सुना रहे हैं फिल्म "गाईड" से। शैलेंद्र के लिखे इस गीत को संगीतबद्ध किया है एस. डी. बर्मन ने और आवाज़ दी है लता मंगेशकर ने। और इस गीत को सुनना चाहा है हिसार, सेक्टर 15, हाउसिंग बोर्ड हरियाणा से चंद्र भान ढिंढोरिया, श्रीमति सुनीता ढिंढोरिया, प्रीति ढिंढोरिया और गुंजन ढिंढोरिया। बड़ोदा मकरपुरा से अशोक लाधे, संगीता लाधे, कोमल, शीतल, सागर, मनोज और समस्त लाधे परिवार।
गीत के बोलः
पिया तोसे नैना लागे रे, नैना लागे रे
जाने क्या हो अब आगे रे, नैना लागे रे
पिया तोसे नैना लागे रे, नैना लागे रे
हो, जग ने उतारे हो, धरती पे तारे
पर मन मेरा मुरझाये
हो, उन बिन आई हो, ऐसी दीवाली
मिलनेको जिया तरसाये, आ साजन पायल पुकारे
झनक झन झन झनक झन झन, पिया तोसे
पिया तोसे नैना
भोर की बेला सुहानी, नदिया के तीरे
भर के गागर जिस घड़ी मैं चलूँ धीरे धीरे
तुम पे नज़र जब आई, जाने क्यों बज उठे कंगना
छनक छन छन छनक छन छन, पिया तोसे
पिया तोसे नैना
हो, आ, हो, आई होली आई हो, सब रंग लाई
बिन तेरे होली भी न भाए, हो
भर पिचकारी, हो, सखियों ने मारी
भीगी मोरी सारी हय हय
तन-बदन मेरा कांपे थर-थर
धिनक धिन धिन धिनक धिन धिन, पिया तोसे
पिया तोसे नैना
रात को जब चाँद चमके जल उठे तन मेरा
मैं कहूँ मत करो चंदा इस गली का फेरा
आना मेरा सैयाँ जब आए
चमकना उस रात को जब
मिलेंगे तन-मन मिलेंगे तन-मन
पिया तोसे
पिया तोसे नैना
पिया
हो हो पिया
ललिताः सबिना रेडियो श्रोता संघ के मोहम्मद जमाल खान जी का एक खत हमें मिला है। ये लिखते हैं कि आप की पसंद कार्यक्रम में पुराने गीतों को सुन कर बहुत अच्छा लगता है, और संगीत की दुनिया की मशहूर हस्तियों के बारे में जानकारी बढ़िया होती है। सुमन कल्याणपुर के बारे में कार्यक्रम इन्हें पसंद आया और गीतों का चयन भी अच्छा लगा। ये लिखते हैं कि हो सके तो कभी इस कार्यक्रम में किशोर कुमार के बारे में श्रोताओं को जानकारी दें।
राकेशः मोहम्मद जमाल खान जी आप की पसंद कार्यक्रम आप को अच्छा लगता है इस के लिए शुक्रिया और हमारी हौंसला अफजाही के लिए भी। आप की फरमाइश हम ने पिछले दो कार्यक्रमों में पूरी कर दी है। किशोर कुमार पर आधारित पिछले दो कार्यक्रम आप ने जरूर सुने होंगे।
ललिताः इन्होंने अपनी पसंद का यह गीत सुनने की इच्छा जाहिर की है।
गीत को बोलः
कभी कभी मेरे दिल में, ख़याल आता है
के जैसे तुझको बनाया गया है मेरे लिये
तू अबसे पहले सितारों में बस रही थी कहीं
तुझे ज़मीं पे बुलाया गया है मेरे लिये
कभी कभी मेरे दिल में, ख़याल आता है
कभी कभी मेरे दिल में, ख़याल आता है
के ये बदन ये निगाहें मेरी अमानत हैं
ये गेसुओं की घनी छाँव हैं मेरी ख़ातिर
ये होंठ और ये बाहें मेरी अमानत हैं
कभी कभी मेरे दिल में, ख़याल आता है
कभी कभी मेरे दिल में, ख़याल आता है
के जैसे तू मुझे चाहेगी उम्र भर यूँही
उठेगी मेरी तरफ़ प्यार की नज़र यूँही
मैं जानता हूँ के तू ग़ैर है मगर यूँही
कभी कभी मेरे दिल में, ख़याल आता है
कभी कभी मेरे दिल में, ख़याल आता है
के जैसे बजती हैं शहनाइयां सी राहों में
सुहाग रात है घूँघट उठा रहा हूँ मैं
सिमट रही है तू शरमा के मेरी बाहों में
कभी कभी मेरे दिल में, ख़याल आता है
राकेशः लता और मुकेश की आवाज़ में यह गीत था फिल्म "कभी-कभी" से और इसे सुनना चाहा था हमारे इन श्रोताओं ने भी गणेशपुर, गंजडुंडवारा, यू. पी. से एम फारुक शेख, शेख शमा परवीन, भुवन प्रकाश, सरिता गौतम, सायमा फारुक, सर फराज शेख और बेबी मुस्कान। मोजाहिदपुर, पूरबटोला भागलपुर से मोहम्मद खालिद अन्सारी, ताहिर अन्सारी, शमीम नवाब, कादिर, जोवेद और आलम। और कबीरपुर, भागलपुर से मुन्ना खान मुन्ना, तारा बेगम, आजम अकेला, शबनम और शहजादे ने।
ललिताः और मंसूरी रेडियो श्रोता संघ राम चबूतरा, कालपी, जिला जालौन यू. पी. से मों जाकिर मंसूरी, कमरुन निशा, बेबी शबिस्ता, मों साकिर, मों जाविद, मों सईद, मो शरीफ, मो अनीश, मुकेश कुमार, सोनू, गोलू, राज, लकी एवं यश मंसूरी ने।
इस लेख का दूसरा भाग अगली बार प्रस्तुत होगा, कृप्या इसे पढ़े।
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