राकेशः चुन्नीलाल कैवर्त जी आप ने कार्यक्रम इतने ध्यान से सुना, आप को अच्छा लगा, उस के लिए धन्यवाद और हमारी गलती की ओर ध्यान दिलाने के लिए भी आप का शुक्रिया। आप ने ठीक कहा, "मिस्टर मेरी" नहीं फिल्म का नाम "मिस मेरी" है। और इस बार हम ने अधिक श्रोताओं के पत्र शामिल किए हैं। लीजिए अभी सुनिए किशोर कुमार की आवाज में ये गीत।
गीत के बोलः
फूलों के रंग से, दिल की कलम से
तुझको लिखी रोज़ पाती
कैसे बताऊँ, किस किस तरह से
पल पल मुझे तू सताती
तेरे ही सपने, लेकर के सोया
तेरी ही यादों में जागा
तेरे खयालों में उलझा रहा यूँ
जैसे के माला में धागा
हाँ, बादल बिजली चंदन पानी जैसा अपना प्यार
लेना होगा जनम हमें, कई कई बार
हाँ, इतना मदिर, इतना मधुर तेरा मेरा प्यार
लेना होगा जनम हमें, कई कई बार
साँसों की सरगम, धड़कन की वीना,
सपनों की गीताँजली तू
मन की गली में, महके जो हरदम,
ऐसी जुही की कली तू
छोटा सफ़र हो, लम्बा सफ़र हो,
सूनी डगर हो या मेला
याद तू आए, मन हो जाए, भीड़ के बीच अकेला
हाँ, बादल बिजली, चंदन पानी जैसा अपना प्यार
लेना होगा जनम हमें, कई कई बार
पूरब हो पच्छिम, उत्तर हो दक्खिन,
तू हर जगह मुस्कुराए
जितना भी जाऊँ, मैं दूर तुझसे,
उतनी ही तू पास आए
आँधी ने रोका, पानी ने टोका,
दुनिया ने हँस कर पुकारा
तसवीर तेरी, लेकिन लिये मैं, कर आया सबसे किनारा
हाँ, बादल बिजली, चंदन पानी जैसा अपना प्यार
लेना होगा जनम हमें, कई कई बार
हाँ, इतना मदिर, इतना मधुर तेरा मेरा प्यार
लेना होगा जनम हमें, कई कई बार
कई, कई बार
कई, कई बार
गीत के बोलः
कैसे कहें हम, प्यार ने हमको, क्या क्या खेल दिखाये
यूं शरमाई, किस्मत हमसे, खुद से हम शरमाए
बागों को तो पतझड़ लूटे, लूटा हमें बहार ने
दुनिया मरती मौत से लेकिन, मारा हमको प्यार ने
अपना वो हाल हैं बीच सफ़र में जैसे कोई लुट जाये
कैसे कहें हम प्यार ने हमको क्या क्या खेल दिखाये
तुम क्या जानो
तुम क्या जानो, क्या चाहा था क्या लेकर आये हम
टूटे सपने घायल नगमे कुछ शोले कुछ शबनम
इतना सब है पाया हमने कहो तो कहाँआ जाये
कैसे कहें हम प्यार ने हमको क्या क्या खेल दिखाये
ऐसे बाजी शहनाई घर में, अब तक सो ना सके हम
अपनों ने हमको इतना सताया, रोये तो रो ना सके हम
अब तो करो कुछ ऐसा यारों होश ना हमको आये
कैसे कहें हम प्यार ने हमको क्या क्या खेल दिखाये
यूं शरमाई किस्मत हमसे खुद से हम
ललिताः ये गीत थे फिल्म "प्रेम पुजारी" और "शरमीली" से, और इन्हें सुनना चाहा था, कस्बा शीशगढ़ मौहल्ला गौड़ी से इलियास इदरीसी, सददाम इदरीसी, फजील इदरीसी और नईम इदरीसी। सिरिसा औरंगाबाद, बिहार से अफजल हुसैन, शहनाज परवीन, आसिफ हुसैन, हेना परवीन, आरिफ हुसैन और मन्नी।
राकेशः "आराधना" से किशोर कुमार ने सफलता की जो सीढ़ियां चढ़नी शुरू कीं, उस के बाद कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। वे उस समय के चोटी के सभी नायकों की आवाज़ थे, राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र, जितेंद्र, शशिकपूर, रणधीरकपूर, रिशि कपूर और भी कई अन्य।
ललिताः चाइना रेडियो इंटरनेशनल से आप सुन रहे हैं हिंदी फिल्मी गीत-संगीत पर आधारित कार्यक्रम आप की पसंद। यह कार्यक्रम प्रति सप्ताह शनिवार शाम को पौने सात बजे से सवा सात बजे तक और रविवार सुबह पौने नौ बजे से सवा नौ बजे तक प्रसारित किया जाता है। यदि आप भी कोई गीत सुनना चाहते हैं, तो हमें पत्र लिखकर या ई-मेल से या हमारी वेइबसाइट के जरिए अपनी फरमाइश भेज सकते हैं।
राकेशः पत्र लिखने और ई-मेल के हमारे पते इस प्रकार हैं, पी. ओ. बॉक्स न 4216, सी. आर. आई.-7, पेइचिंग, चीन, 100040। आप हमें नई दिल्ली के पते पर भी पत्र लिख सकते हैं, नोट कीजिए, नई दिल्ली में हमारे दो पते हैं। पहला पता हैः हिन्दी विभाग, चाइना रेडियो इंटरनेशनल, पहली मंजिल, ए ब्लॉक छ बटा चार, वसंत विहार, नई दिल्ली, पोस्ट-110057।
ललिताः और दूसरा पता है, चीनी दूतावास, हिन्दी विभाग, चाइना रेडियो इंटरनेशनल, पचास डी, शांति पथ, चाणक्यपुरी, नई दिल्ली, पोस्ट-110021। यदि आप के पास इंटरनेट की सुविधा है, तो आप हमारी वेबसाईट अवश्य देखें hindi.cri.cn। हमारा ई-मेल का पता हैः hindi@cri.cn। हमें आप के पत्रों का इंतजार रहेगा।
राकेशः जैसे-जैसे किशोर कुमार की प्रसिद्धि फैली वैसे-वैसे उन के बारे में तरह-तरह की कहानियां भी फैलीं। कहा जाता है कि वे अपने घर के पीछे लगे पेड़ों से बातें करते थे और हर पेड़ का उन्होंने अलग नाम रखा हुआ था। यह भी कहा जाता है कि उन्होंने अपने घर के बाहर एक बोर्ड लगाया हुआ था, जिस पर लिखा था दिस इज़ ए ल्यनेटिक एसलम। मधुबाला की मृत्यु के बाद उन्होंने योगिता बाली से शादी की जो केवल एक महीने ही चली। फिर उन्होंने अपनी चौथी शादी की लीना चंद्रवरकर से जो उन के बेटे से केवल दो साल बड़ी थी।
ललिताः एक गायक के रूप में किशोर कुमार अंत तक चोटी पर रहे और 1987 में अचानक दिल का दौरा पड़ने से उन का देहांत हो गया।
गीत के बोलः
ज़िंदगी का सफ़र है ये कैसा सफ़र
कोई समझा नहीं कोई जाना नहीं
है ये कैसी डगर चलते हैं सब मगर
कोई समझा नहीं कोई जाना नहीं
ज़िंदगी को बहुत प्यार हमने किया
मौत से भी मुहब्बत निभायेंगे हम
रोते रोते ज़माने में आये मगर
हँसते हँसते ज़माने से जायेँगे हम
जायेँगे पर किधर है किसे ये खबर
कोई समझा नहीं कोई जाना नहीं
ऐसे जीवन भी हैं जो जिये ही नहीं
जिनको जीने से पहले ही मौत आ गयी
फूल ऐसे भी हैं जो खिले ही नहीं
जिनको खिलने से पहले फ़िज़ा खा गई
है परेशां नज़र थक गये चाराग़र
कोई समझा नहीं कोई जाना नहीं
है ये कैसी डगर चलते हैं सब मगर
कोई समझा नहीं कोई जाना नहीं
ज़िन्दगी का सफ़र है ये कैसा सफ़र
कोई समझा नहीं कोई जाना नहीं
राकेशः इस के साथ ही हमारा आज का यह कार्यक्रम समाप्त होता है। आशा है आप को यह कार्यक्रम पसंद आया होगा। अगले कार्यक्रम तक के लिए आज्ञा दीजिए, नमस्कार।
ललिताः नमस्कार।