राकेशः राकेश का भी सभी श्रोताओं को प्यार भरा नमस्कार। श्रोताओ, पिछले कार्यक्रम में हम किशोर कुमार के जीवन के बारे में बात कर रहे थे।
ललिताः उसी बातचीत का क्रम जारी रखें।
गीत के बोलः
रूप तेरा मस्ताना, प्यार मेरा दीवाना
भूल कोई हमसे ना हो जाये
रात नशीली मस्त समा है
आज नशे में सारा जहाँ हैं
आये शराबी मौसम बहकाये-ए-ए-ए
रूप तेरा मस्ताना, प्यार मेरा दीवाना
भूल कोई हमसे ना हो जाये
आँखों से आँखें मिलती हैं जैसे
बेचैन होके तूफ़ाँ में जैसे
मौज कोई साहिल से टकराये-ए-ए-ए
रूप तेरा मस्ताना, प्यार मेरा दीवाना
भूल कोई हमसे ना हो जाये
रोक रहा है हमको ज़माना
दूर ही रहना पास ना आना
कैसे मगर कोई दिल को समझाये-ए-ए-ए
रूप तेरा मस्ताना, प्यार मेरा दीवाना
भूल कोई हमसे ना हो जाये
राकेशः यह गीत था 1969 में बनी शक्ति सामंत की फिल्म "आराधना"से, और इसे सुनना चाहा था हमारे इन श्रोताओं ने मंदार श्रोता क्लब, बांका बिहार से के. एन. सिंह, सनातन, प्रिती, बाबू, काकू और मों शमशाद और प्रजापति रेडियो श्रोता संघ मारुफपुर चंदौली यू. पी. से भैय्या लाल प्रजापति, नन्दलाल प्रजापति, दीनानाथ, मधु कुमारी, काजल, अनिल और सुनील।
ललिताः इस फिल्म से किशोर कुमार के जीवन में एक नया दौर शुरू होता है। इस फिल्म के सभी गीत न केवल प्रसिद्ध हुए, बल्कि उस समय के उभरते स्टार राजेश खन्ना के साथ उन की जोड़ी खूब चली। पार्श्वगायक के रूप में किशोर ने कुछ बेहतरीन और लोकप्रिय गीत दिए।
राकेशः फिल्म "आराधना" के बाद किशोर ने एक के बाद एक लोकप्रिय गीत गाए, अमर-प्रेम, कटी-पतंग, नमक-हराम, आप की कसम, अंदाज। यहां तक कि राजेश खन्ना की जो फिल्में बॉक्स आफिस पर नहीं चलीं, उन में गाए गए किशोर के गीत भी बहुत हिट रहे, जैसे फिल्म "मेरे जीवन साथी" का यह गीत, चला जाता हूं, या "अजनबी" फिल्म का यह गीत, इक अजनबी हसीना से, या "महबूबा" फिल्म का यह गीत, मेरे नैना सावन भादों।
गीत के बोलः
एक बार मुस्कुरा दो
होंठों की एक अज़ा से
होंठों की एक अज़ा से सौ बिजलियाँ गिरा दो
एक बार एक बार
एक बार मुस्कुरा दो
इस दिल का हाल सुन के मेरा सवाल सुन के
आँचल सम्भाल के तुम शर्मा के सर झुका दो
एक बार एक बार
एक बार मुस्कुरा दो
हाँ ना के बीच में हूँ क्या समझूँ क्या न समझूँ
जो कह सको न मुँह से अंदाज़ से बता दो
ये नन्हीं नन्हीं कलियाँ
ये फूल और ये क्यारी
हल्कि सी एक हँसी की सबको है इंतज़ारी
घूँघट हटा के हाँ
घूँघट हटा के इनका अरमान भी मिटा दो
एक बार मुस्कुरा दो
गीत के बोलः
सवेरे का सूरज तुम्हारे लिये है
ये बुझते दिये को ना तुम याद करना
हुए एक बीती हुई बात हम तो
कोई आँसू हम पर ना बरबाद करना
तुम्हारे लिये हम, तुम्हारे दिये हम
लगन की अगन में अभी तक जले हैं
हमारी कमी तुम को महसूस क्यों हो
तुम्हारी सुबह हम तुम्हें दे चले हैं
जो हर दम तुम्हारी खुशी चाहते हैं
उदास होके उनको ना नाशाद करना
सवेरे
सभी वक़्त के आगे झुकते रहे हैं
किसी के लिये वक़्त रुकता नहीं है
चिराग़ अपनी धरती का बुझता है जब भी
सितारे तो अम्बर के होते नहीं हैं
कोई नाव तूफ़ान में डूबे तो क्या है
किनारे तो सागर के होते नहीं हैं
किनारे तो सागर के होते नहीं हैं
हैं हम डोलती नाव डूबे तो क्या है
किनारे हो तुम, तुम न फ़रियाद करना
सवेरे का सूरज
चमन से जो एक फूल बिछड़ा तो क्या है
नये गुल से गुलशन को आबाद करना
सवेरे
ललिताः ये गीत थे फिल्म "एक बार मुस्करा दो" से और इन्हें सुनना चाहा था हमारे इन श्रोताओं ने अंसार रेडियो श्रोता संघ, मऊनाथ भंजन यू. पी. से मुहम्मद इरशाद, आफरीन बानो, शमशाद अहमद अंसारी, निज़ामुद्दीन, शादाब अनवर और रशीदा बेगम और कहकशां रेडियो श्रोता संघ, मदरसा रोड़, कोआथ बिहार से जनाब हसीम आजाद।
इस लेख का दूसरा भाग अगली बार प्रस्तुत होगा, कृप्या इसे पढ़े।