2008-04-23 18:33:03

विश्व में रेतीलीकरण अंतरिक्ष में यात्री का अनुभव

आज के इस कार्यक्रम में हरियाणा के हरभजन औऱ प्रताप सिंह, उत्तर प्रदेश के अमिता गुप्ता और विकास नगर दिल्ली के अविनाश सिंह के पत्र शामिल हैं।

हरियाणा के हरभजन औऱ प्रताप सिंह का सवाल है विश्व में कितनी आबादी रेतीलीकरण का सामना कर रही है?

संयुक्त राष्ट संघ की एक जांज-रिपोर्ट के अनुसार विश्व के सौ से ज्यादा देशों के अल्पवृष्टि वाले क्षेत्रों के लगभग 90 करोड़ लोगों को रेतीलीकरण से भारी नुकसान पहुंच रहा है।इस समस्या को दूर करने के प्रयासों की विफलता और उन प्रयासों में विलम्ब के कारण उन देशों यहां तक कि सारी दुनिया पर कुप्रभाल पड़ रहा है।अंदाजा लगाया गया है कि उन 90 करोड़ आबादी में से अधिकतर लोगों को अपने भावी निबाह को रेतीलीकरण के चंगुल से मुक्त कराने के लिए दूसरे देशों में जा बसाना पड़ेगा।

कुछ विशेषज्ञो के विचार में निवासियों का जितने बड़े पैमाने पर पलायन होता है,उतना जल्द ही रेतीलीकरण चलता है।उन का तर्क है कि अच्छी देखरेख के बिना भूमि स्वतः मंजर और रेतीली हो जाएगी।लेकिन यह एक तथ्य है कि बढती जा रही जनसंख्या भी पारिस्थितिकी को खतरे में डालने की भूमिका अदा कर रही है।पश्चिमी गोलार्द्ध में स्थित हाइटी का उदाहरण देखें।इस देश का पूरा जंगल प्रायः लुप्त हो चुका है।फलस्वरूप बड़ी मात्रा में मिट्टी कट गई और जल बह गई।और इस के साथ जमीन की उपजाऊ परतें भी नदियों और समुद्रों में जा मिलीं।बेशक यह कृषि को हुई बड़ी क्षति है।

उधर अफ्रीका के बुकिनाफोसो,नाइजर और सेनेगल में सन् 1968 से 1974 तक रेतीलीकरण के साथ हुए सूखे से कोई 2 लाख व्यक्ति और लाखों मवेशी मारे गए।

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यालय के अनुसार उत्तर अमरीका में 40 कोरड़ हेक्टर से अधिक विशाल जमीन मूरभूमि में बदल रही है और दक्षिण अफ्रीका में रेतीलीकरण का कोई 30 करोड़ हेक्टर भूमि पर दुष्प्रभाव पड़ा है।संयुक्त राष्ट्र खाद्यान्न व कृषि संगठन का अनुमान है कि सन् 2025 तक अफ्रीका अपने निवासियों को पालने में असमर्थ होगा।उस समय वहां निवासियों की संख्या 1 अरब 50 करोड़ तक पहुंचे की संभावना है।इस जनसंख्या-विस्फोट से दुनिया के अन्य क्षेत्रों पर अत्यंत बड़ा दबाव पड़ेगा।

उत्तर प्रदेश के अमिता गुप्ता ने यह जानने की इच्छा व्यक्त की कि अंतरिक्ष में यात्री को कौन सा आभास होता है?

संबंधित रिपोर्टो के अनुसार अंतरिक्ष यान के उड़ान के वक्त ध्वनि का स्तर 100 डेलीबल से भी अधिक हो जाता है।यह अंतरिक्ष यात्री की सामान्य सहन-सीमा,जो 69 से 70 डेलीबल है से बहुत अधिक है।इस से मनुष्य की श्रवण-शक्ति को खतरा पैदा हो जाता है।अंतरिक्ष की ओर बढते समय यात्री पर गुरूत्व-बल धीरे-धीरे कम होने लगता है और अंतरिक्ष में परिक्रमा करते समय यान में यात्री पर कार्यरत गुरूत्व-बल उपकेंद्र बल द्वारा संतुलित कर दिया जाता है और मनुष्य भारहीनता की स्थिति में पहुंच जाता है।जैसा आप जानते हैं कि अंतरित्र यात्री पृथ्वी पर ही विकसित हुआ है और यहीं पला-बढा है।अंतः उस का शरीर पृथ्वी के गुरूत्व का अभ्यस्त है।अंतरिक्ष की भारहीनता की स्थिति उस पर कुप्रभाव डालती है।इस से उसे मतिभ्रम हो जाता है।उसे ऐसा आभास होने लगता है मानो वह सिर के बल खड़ा होकर वस्तुओं को देख रहा हो।भारहीनता की स्थिति में हृदय,मांसपेशियों तथा अस्थियों में असामान्य क्रियाएं होने लगती है।भारहीनता के कारण रक्त का प्रवाह पैरों से सीने की शिराओं की ओर होता है,जिस से शरीर में रक्त और पानी की मात्रा में 7 से 15 प्रतिशत की कमी आ जाती है।

अंतरिक्ष यान में वातावरण के ताप,दाब औऱ नमी को इस प्रकार नियत्रति किया जाता है कि अंतरिक्ष यात्री यह महसूस करे कि वह पृथ्वी के वातावरण में ही है।लेकिन अनेक बार उसे बहुत उच्च व बहुत निम्न ताप का सामना करना पड़ता है।यह आम ज्ञान है कि पृथ्वी का वायुमंडल अंतरिक्ष से आने वाले हानिकारक विकिरणों—पराबैंगनी किरणों,एक्स किरणों तथा गामा किरणों से हमारी रक्षा करता है।पर अंतरिक्ष में यह सुरक्षा-कवच हम से दूर हो जाता है तथा ये किरणें हमारे शरीर पर हमला करती हैं।यद्यपि अंतरिक्ष यात्रियों पर इन का कोई दुष्प्रभाव नहीं देखा गया है,किंतु लम्बे समय में इन से उत्पन्न आनुवंशिक असमानताओं तथा अन्य हानियों को नकारा नहीं जा सकता है।

विकास नगर दिल्ली के अविनाश सिंह चीन सरकार के वैज्ञानिक विकास संबंधी दृष्टिकोण के बारे में कुछ जानना चाहते हैं।

वैज्ञानिक विकास का दृष्टिकोण मानव को मूल तत्व मानकर बहिर्मुखी,समंवयपूर्ण और अनवरत विकास का दृष्टिकोण है।यह दृष्ठिकोण सन् 2003 में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की 16वीं राष्ट्रीय काँग्रस के तीसरे पूर्णाधिवेशन में प्रस्तुत किया गया है।

इस दृष्टिकोण के अतर्गत मानव को मूल तत्व मानने का मतलब है जनता के हितों को कोई भी काम करने का कारण व लक्ष्य बनाना,लोगों की बढती जरूरतों को पूरा करना और मानव के पू्र्ण विकास को बढाना।

बहिर्मुखी विकास का मतलब है समाजवादी बाजार अर्थव्यवस्था को परिपूर्ण बनाने और अर्थतंत्र के तेज,सतत व स्वस्थ विकास को बनाए रखने के साथ-साथ आध्यात्मिक व भौतिक सभ्यता के निर्माण में तेजी लाना।

समंवयपूर्ण विकास का अर्थ है शहरों व गांवो के बीच,क्षेत्रों के बीच,अर्थतंत्र व समाज के बीच,राष्ट्रीय निर्माण व खुलेपन के बीच समंवयपूर्ण विकास करना।

अनवरत विकास का मतलब है मानव व प्रकृति के बीच संबंधो में समंव्य बिठाना,आर्थिक निर्माण,जनसंख्या में वृद्धि और संसाधनों के प्रयोग व पारिस्थितिकी संरक्षण के बीच संबंधो का समुचित निबटान करना तथा पूरे समाज को इस राह पर ले जाना,जिस से उत्पादन विकसित हो सके,जीवन समृद्ध हो सके और पारिस्थितिकी सुरक्षित हो सके।

वैज्ञानिक विकास का दृष्टिकोण चीनी क्म्युनिस्ट पार्टी द्वारा नई शताब्दी के नए दौर में देश के विकास की समग्र स्थिति से प्रस्थान कर प्रस्तुत एक महत्वपूर्ण रणनीतिक विचार है।