2008-05-26 15:23:29

अल्बेले दिन प्यारे

राकेशः 1964 में बनी फिल्म "दूर गगन की छांव" में किशोर कुमार ने साबित कर दिया कि वे एक अच्छे गायक होने के साथ-साथ एक बेहतर अभिनेता भी हैं। किंतु साठ का दशक उन के जीवन में टैक्स की समस्या को ले कर के आया और टैक्स का पैसा जमा करने के लिए उन्होंने बी ग्रेड की फिल्मों में भी काम किया।

ललिताः इस दौरान उन्होंने बहुत सफल और लोकप्रिय गाने भी दिए जैसे "पड़ोसन", "गाईड", "ज्वेल इन थीफ" में।

गीत के बोलः

अल्बेले दिन प्यारे, मेरे बिछड़े साथी सारे

हाय! कहाँ गये, हाय! कहाँ गये

कोई लौटा दे मेरे, बीते हुए दिन

बीते हुए दिन वो हाय, प्यारे पल छिन

कोई लौटा दे

मैं अकेला तो ना था, थे मेरे साथी कई

एक आँधी सी उठी, जो भी था लेके गई

आज मैं ढूँढूं कहाँ, खो गये जाने किधर

बीते हुए दिन वो हाय, प्यारे पल छिन

कोई लौटा दे

मेरे ख्वाबों के नगर, मेरे सपनों के शहर

पी लिया जिनके लिये, मैंने जीवन का ज़हर

ऐसे भी दिन थे कभी, मेरी दुनिया थी मेरी

बीते हुए दिन वो हाय, प्यारे पल छिन

कोई लौटा दे

गीत के बोलः

वो शाम कुछ अजीब थी, ये शाम भी अजीब है

वो कल भी पास पास थी, वो आज भी करीब है

झुकी हुई निगाह में, कहीं मेरा ख़याल था

दबी दबी हँसीं में इक, हसीन सा सवाल था

मैं सोचता था, मेरा नाम गुनगुना रही है वो

न जाने क्यूँ लगा मुझे, के मुस्कुरा रही है वो

वो शाम कुछ अजीब थी

मेरा ख़याल हैं अभी, झुकी हुई निगाह में

खुली हुई हँसी भी है, दबी हुई सी चाह में

मैं जानता हूँ, मेरा नाम गुनगुना रही है वो

यही ख़याल है मुझे, के साथ आ रही है वो

वो शाम कुछ अजीब थी, ये शाम भी अजीब है

वो कल भी पास पास थी, वो आज भी करीब है

राकेशः किशोर कुमार की आवाज़ में ये गीत थे फिल्म "दूर गगन की छांव" और "खामोशी" से।

ललिताः चाइना रेडियो इंटरनेशनल से आप सुन रहे हैं हिंदी फिल्मी गीत-संगीत पर आधारित कार्यक्रम आप की पसंद। यह कार्यक्रम प्रति सप्ताह शनिवार शाम को पौने सात बजे से सवा सात बजे तक और रविवार सुबह पौने नौ बजे से सवा नौ बजे तक प्रसारित किया जाता है। यदि आप भी कोई गीत सुनना चाहते हैं, तो हमें पत्र लिखकर या ई-मेल से या हमारी वेइबसाइट के जरिए अपनी फरमाइश भेज सकते हैं।

राकेशः पत्र लिखने और ई-मेल के हमारे पते इस प्रकार हैं, पी. ओ. बॉक्स न 4216, सी. आर. आई.-7, पेइचिंग, चीन, 100040। आप हमें नई दिल्ली के पते पर भी पत्र लिख सकते हैं, नोट कीजिए, नई दिल्ली में हमारे दो पते हैं। पहला पता हैः हिन्दी विभाग, चाइना रेडियो इंटरनेशनल, पहली मंजिल, ए ब्लॉक छ बटा चार, वसंत विहार, नई दिल्ली, पोस्ट-110057।

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राकेशः कार्यक्रम समाप्त करने का समय हो गया है। किशोर कुमार पर हम बातचीत आगे भी जारी रखेंगे।

ललिताः जाने से पहले आएं सुनें "एक बार मुस्करा दो" फिल्म से किशोर की आवाज़ में यह गीत।

गीत के बोलः

सवेरे का सूरज तुम्हारे लिये है

ये बुझते दिये को ना तुम याद करना

हुए एक बीती हुई बात हम तो

कोई आँसू हम पर ना बरबाद करना

तुम्हारे लिये हम, तुम्हारे दिये हम

लगन की अगन में अभी तक जले हैं

हमारी कमी तुम को महसूस क्यों हो

तुम्हारी सुबह हम तुम्हें दे चले हैं

जो हर दम तुम्हारी खुशी चाहते हैं

उदास होके उनको ना नाशाद करना

सवेरे

सभी वक़्त के आगे झुकते रहे हैं

किसी के लिये वक़्त रुकता नहीं है

चिराग़ अपनी धरती का बुझता है जब भी

सितारे तो अम्बर के होते नहीं हैं

कोई नाव तूफ़ान में डूबे तो क्या है

किनारे तो सागर के होते नहीं हैं

किनारे तो सागर के होते नहीं हैं

हैं हम डोलती नाव डूबे तो क्या है

किनारे हो तुम, तुम न फ़रियाद करना

सवेरे का सूरज

चमन से जो एक फूल बिछड़ा तो क्या है

नये गुल से गुलशन को आबाद करना

सवेरे

राकेशः इस के साथ ही हमारा आज का यह कार्यक्रम समाप्त होता है। आज्ञा दीजिए, नमस्कार।

ललिताः नमस्कार।