राकेशः राकेश का भी सभी श्रोताओं को प्यार भरा नमस्कार। आप को इंतज़ार होगा अपने मनपसंद गीत सुनने का। पिछली बार हम ने आप से वादा किया था कि हम आज का कार्यक्रम किशोर कुमार पर केंद्रित करेंगे। क्यों ललिता जी, आप को याद है।
ललिताः सिर्फ याद ही नहीं है, बल्कि इस बार मैं ने भी कुछ तैयारी की है।
राकेशः यह तो बहुत अच्छी बात है। तो शुरू करें।
ललिताः किशोर कुमार का जन्म मध्य प्रदेश के खंडवा में 4 अगस्त 1929 को कुंजीलाल के घर में हुआ था। उन के पिता पेशे से वकील थे और किशोर कुमार अपने भाई बहनों में दूसरे नम्बर पर थे। इन का मूल नाम अब्बास कुमार गांगुली था।
राकेशः 18 साल की उम्र में अब्बास कुमार गांगुली मुबंई आ गए, जहां उन के बड़े भाई अशोक कुमार फिल्मी दुनिया में चमकते हुए सितारे थे। उन्हें बतौर गायक पहली ब्रेक बाम्बे टाकीज की फिल्म "जिद्दी" में मिली, जिस में उन्होंने देव आन्नद के लिए गाना गाया। चूंकि उस समय किशोर कुमार के. एल. सहगल के प्रशंसक थे, उन्होंने यह गीत उन की शैली में ही गाया।
ललिताः "जिद्दी" की सफलता के बावजूद उन्हें कुछ खास काम नहीं मिला और इसी दौरान उन्होंने फिल्म "आंदोलन" में बतौर नायक काम किया, फिल्म फ्लॉप रही।
राकेशः बाकी बातें बाद में पहले ये गीत।
गीत के बोलः
हम मतवाले नौजवाँ, मंज़िलों के उजाले
लोग करे बदनामी, कैसे ये दुनिया वाले
करे भलाई हम, बुरे बनें हर दम
इस जहाँ की, रीत निराली
प्यार को समझे, हाय रे हाय सितम
हम मतवाले नौजवाँ
हम धूल में लिपटे सितारे, हम ज़र्रे नहीं हैं अंगारे
नादाँ है जहाँ, समझेगा कहाँ, हम नौजवाँ के इशारे
जब जब झूम के निकले हम, जान के पड़ जायें लाले
लोग करें बदनामी, कैसे ये दुनिया वाले
हम मतवाले नौजवाँ
हम रोते दिलों को हँसा दें, दुख दर्द की आग बुझा दें
बेचैन नज़र, बेताब जिगर, हम सबको को गले से लगा लें
हम मन मौजी शहज़ादे, दुखियों के रखवाले
लोग करें बदनामी, कैसे ये दुनिया वाले
करें भलाई हम, बुरे बने हर दम
इस जहां की, रीत निराली
प्यार को समझे, हाय रे हाय सितम
हम मतवाले नौजवाँ, मंज़िलों के उजाले
लोग करें बदनामी, कैसे ये दुनिया वाले
राकेशः ये गीत थे किशोर कुमार की आरम्भिक फिल्में "नौकरी" और "शरारत" से और इन्हें सुनना चाहा था हमारे इन श्रोताओं ने मौहल्ला भूड़ा, कस्बा सैफनी से, मौ. आरिफ, मौ. यूनुस, शहनाजपखीन। दुर्गा कालोनी हांसी से राजू मिगलानी, बबीता मिगलानी, बजरंग वर्मा, साधु राम वर्मा और सुभाष योगी।
ललिताः काम के लिए किशोर कुमार एस डी बर्मन के पास गए, जिन्होंने पहले भी उन्हें 1950 में बनी फिल्म "प्यार" में गाने का मौका दिया था। एस डी बर्मन ने उन्हें फिर "बहार" फिल्म में एक गाना गाने का मौका दिया। कुसुर आप का और यह गाना बहुत हिट हुआ।
राकेशः बावजूद इस के किशोर कुमार को कोई बड़ी ब्रेक नहीं मिली, लेकिन इस दौरान उन्हें फिल्मों में अभिनय का काम मिलने लगा और बिमलदा की फिल्म "नौकरी" से शुरू कर उन्होंने जिन मुख्य फिल्मों में काम किया वे हैं, "नौकरी", 1955 में बनी "बाप रे बाप", 1956 में "नई दिल्ली", 1957 में "मि. मेरी" और "आशा", और 1958 में बनी "चलती का नाम गाड़ी" जिस में तीनों गांगुली भाई मधुबाला के साथ दिखाई पड़े।
गीत के बोलः
रुक जा हो रुक जा रोकता है ये दीवाना
रूठ कर मुझसे ना जाना
देखने वाले समझेंगे के तू है मेरी महबूबा हाँ
हो रुक जा
ये मौसम ये नज़ारे इन फूलों के इशारे
तेरी सूरत के आशिक़ ये सारे सनम
कभी मस्त हवा छेड़ेगी तुझे
कभी हम आ जाएँगे
रुक जा
बैठी है हसीना तू सबसे जुदा क्यों
ऐ शोख़-अदा कुछ झूम ज़रा
ना जल हमारे प्यार पे
बिखरा ज़ुल्फ़ें मायूस ना हो
कोई तुझसे भी कहेगा
रुक जा
ज़ुल्फ़ न ऐसे उलझे दुनिया ग़लत ना समझे
मशहूर हो ना जाए अफ़साना कोई
ऐ जान-ए-वफ़ा अरे अपना है क्या
तुझे छेड़ेगा ज़माना
रुक जा
ललिताः ये गीत थे फिल्म "मि. एक्स इन बाम्बे" और "शाबाश डेडी" से।
राकेशः शुरू में किशोर कुमार को एस डी बर्मन और अन्य संगीत कारों ने अधिक गंभीरता से नहीं लिया और उन्हें हल्के फुल्के गीत ही गाने को दिए, लेकिन किशोर कुमार ने 1957 में बनी फिल्म "फंटूस" में दुखी मन मेरे गीत से एक जमे हुए गीतकार के रूप में अपना स्थान पक्का कर लिया।
ललिताः किशोर कुमार ने हल्के फुल्के गीतों को भी अपना एक खास अंदाज दिया, उन के गाए ऐसे गीतों में जीवन की खुशी, मस्ती, मन को हल्का कर देती है, जैसाकि आप ने अभी सुने गीतों में देखा।
राकेशः किशोर कुमार का विवाह रुमा देवी के साथ हुआ था, लेकिन जल्द ही विवाह विच्छेद भी हो गया, इस के बाद उन्होंने मधुबाला के साथ विवाह किया। 1961 में बनी फिल्म "झुमरु" में दोनों एक साथ आए। यह फिल्म किशोर कुमार ने ही बनाई थी और इसे निर्देशित भी उन्होंने खुद ही किया था। इस फिल्म में बहुत ही खूबसूरत गीत किशोर ने गाए। इस के बाद दोनों ने 1962 में बनी फिल्म "हाफ टिकट" में एक साथ काम किया जिस में किशोर ने बड़ी अच्छी कामेडी पेश की।
गीत के बोलः
ओडी डुरुडुरु डोरुडोरु डेई
उड्डु डुड्डु डेई डी
मैं हूँ झुम झुम झुम झुम झुमरू
फ़क्कड़ घुम घुम बनके घुमरू
मैं ये प्यार का गीत सुनाता चला
ओ मंज़िल पे मेरी नज़र, मैं दुनिया से बेखबर
बीती बातों पे धूल उड़ाता चला
मैं हूँ झुम झुम झुम झुम
हेई डिरिडिरि डिरिडिरि पक्कुर
युडडेई बगायों का बागा
हेई डिरिडिरि डिरिडिरि पक्कुर
मिनिमिनि मिनिमिनि आव
युडडेई बगायों का बागा
एई डुरुडुरु डोरुडोरु डुरुडुरु ओडु डेयी
मैं हूँ झुम झुम झुम झुम झुमरू
फ़क्कड़ घुम घुम बनके घुमरू
साथ में हमसफ़र न कोई कारवां
ओ भोला भाला सीधा सादा
लेकिन दिल का हूँ शहज़ादा
है ये मेरी ज़मीं ये मेरा आसमान
मैं हूँ झुम झुम झुम झुम झुमरू
फ़क्कड़ घुम घुम बनके घुमरू
मेरे दिल में है प्यार हर किसी के लिये
ओ मुझको प्यारा हर इनसान, दिलवालों पे हूँ क़ुरबान
ज़िन्दगी है मेरी ज़िन्दगी के लिये
येडिलि युडिलि ओ हो युडिलि येडिलि ओ
अडिलि युडिलि ओ हो युडिलि युडिलि ओ
गीत के बोलः
ठण्डी हवा ये चाँदनी सुहानी
ऐ मेरे दिल सुना कोई कहानी
लम्बी सी एक डगर है ज़िंदगानी
ऐ मेरे दिल सुना कोई कहानी
सारे हसीं नज़ारे, सपनों में खो गये
सर रख के आसमाँ पे, पर्वत भी सो गये
मेरे दिल, तू सुना, कोई ऐसी दास्तां
जिसको, सुनकर, मिले चैन मुझे मेरी जाँ
मंज़िल है अन्जानी
ऐसे मैं चल रहा हूँ पेड़ों की छाँव में
जैसे कोई सितारा बादल के गाँव में
मेरे दिल, तू सुना, कोई ऐसी दास्तां
जिसको सुनकर, मिले चैन मुझे मेरी जाँ
मंज़िल है अन्जानी
थोड़ी सी रात बीती, थोड़ी सी राह गई
खामोश रुत ना जाने, क्या बात कह गई
मेरे दिल, तू सुना, कोई ऐसी दास्तां
जिसको सुनकर, मिले चैन मुझे मेरी जाँ
मंज़िल है अन्जानी
ठण्डी हवा ये चाँदनी सुहानी
ऐ मेरे दिल सुना कोई कहानी
लम्बी सी एक डगर है ज़िंदगानी
ऐ मेरे दिल सुना कोई कहानी
ललिताः ये गीत थे फिल्म "झुमरु" से और इन्हें सुनना चाहा था हमारे इन श्रोताओं ने मोजाहिदपुर, पूरबटोला भागलपुर से मोहम्मद खालिद अन्सारी, ताहिर अन्सारी, शमीम नवाब, कादिर, जावेद और आलम। और कबीरपुर, भागलपुर से मुन्ना खान मुन्ना, तारा बेगम, आजम अकेला, शबनम और शहजादे ने।
इस लेख का दूसरा भाग अगली बार प्रस्तुत होगा, कृप्या इसे पढ़े।