विकास नगर दिल्ली के अविनाश सिंह पूछते हैं कि क्या यह बात सच है कि अंतरिक्ष में एक पुराने अमरीकी राकेट और एक खराब चीनी उपग्रह के बीच टकराव हुआ ?
भैय्या,हम ने भी इंटरनेट पर इस संदर्भ में एक रिपार्ट पढी है। अगर यह रिपोर्ट सही है,तो बेशक यह बात सच है। रिपोर्ट के अनुसार जनवरी 2005 में अमरीका का एक 31 वर्षीय पुराना राकेट अंतरिक्ष में चीन के एक पुराने खराब उपग्रह सीजेड-4 के साथ जा टकराया। हमारे विचार में यह कोई आश्चर्यजनक बात नहीं है, क्योंकि अंतरिक्ष में बेकाबू हो रहे पुराने राकेट और उपग्रह अधिकाधिक होते जा रहे हैं और उन के बीच टकराव अनिवार्य माना जाता है।
इस समय दुनिया के बहुत से अंतरिक्ष विशेषज्ञों ने भी माना है कि धरती को कचरे से भर डालने वाली अंधाधुंध व्यावसायिक होड़ ने अब अंतरिक्ष में भी अपने पांव पसारना शुरू कर दिया है। कुछ वैज्ञानिकों ने चेताया है कि यदि पृथ्वी की निचली कक्षा में जमा उपग्रहों और राकेटों के कबाड़ का जल्दी ही कोई इंतजाम नहीं किया गया तो भविष्य में ये अंतरिक्ष अभियानों के लिए मुसीबत बन सकता है। रिपोर्ट के अनुसार अभी 9000 से ज्यादा मनुष्य निर्मित वस्तुएं धरती का चक्कर काट रही हैं ,जिन में दो तिहाई से ज्यादा कबाड़ है। इन में उम्र पूरी कर चुके उपग्रह, चुके हुए राकेट और विस्फोटों से बिखरी धातुएं शामिल हैं।
फिलहाल अमरीकी अंतरिक्ष संगठन नासा अंतरिक्ष यानों की राह में आने वाली 10 सेटीमीटर से बड़ी आकार की हर वस्तु का जायजा लेता है और भविष्य में यदि उचित कदम नहीं उठाए गए तो पृथ्वी की निकटवर्ती कक्षा को सुरक्षित पार करना भी मुश्किल होगा। नासा वैज्ञानिकों ने आगामी 200 वर्षों में अंतरिक्ष कचरे के संभावित परिणामों का आकलन किया। उन का आकलन इस कल्पना पर आधारित था कि यदि दिसंबर 2004 के बाद सभी प्रक्षेपण गतिविधियां रोक दी जातीं हैं तो मौजूद कचरा कितना नुकसान पहुंचाएगा। उन्होंने बताया कि अंतरिक्ष में मौजूद कबाड़ की आपस में टकराहट शुरू हो चुकी है। 1991 में अब तक ऐसे 3 टकराव हुए हैं । इन में ताजातरीन टकराव एक पुराने अमरीकी राकेट औऱ एक खराब चीनी उपग्रह के बीच हुआ टकराव है।
चीनी वैज्ञानिकों ने कहा है कि हमारे पास सिर्फ एक अंतरिक्ष है। अगर हम इस के पर्यावरण की देखभाल नहीं करेंगे,तो एक दिन हम कुछ भी प्रक्षेपित करने की स्थिति में नहीं होंगे। इसलिए पृथ्वी से अंतरिक्ष में प्रक्षेपण-क्रियाकलापों के साथ-साथ अंतरिक्ष में कबाड़ बन चुकी वस्तुओं का निबटारा करने वाले उपायों की भी खोज करना जरूरी है। हालांकि पिछले 10 वर्षों से प्रमुख स्पेस एजेंसियां अमूमन ऐसे प्रक्षेपण कर रही हैं कि छोड़ी गई वस्तु 25 वर्षों के भीतर धरती में वापस लौट आए,लेकिन पुराने कबाड़ और वापस नहीं लौटने वाली नई वस्तुओं का जमघट समस्या बन सकता है,खास तौर पर 900 से 1000 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद कबाड़ को हटाना सब से बड़ी चुनौती है। अध्ययन के मुताबिक इस हिस्से में टकराहट की संभावना 60 प्रतिशत है। वर्ष 2200 तक इस इलाके में कबाड़ की मात्रा तीन गुना बढ़ जाएगी,तब इस मुसीबत से पार पाना और मश्किल होगा।
रोहटास बिहार के हाशिम आज़ाद पूछते हैं कि चीन किस खेल के लिए अधिक जाना जाता है यानी चीन किस खेल में सब से आगे हैं? कोआथ बिहार के सुनील केसरी,डी.डी साहिबा,संजयकेसरी,सीताराम केसरी,खुशबू केसरी बवीता केसरी, प्रियांका केसरी,एस.के.
जिंदादिल भी इस संदर्भ में कुछ जानना चाहते हैं।
चीन टेबल-टेनिस खेल में सब से आगे है। यह खेल यहां अत्यंत लोकप्रिय है और खेलने वालों की तादाद दुनिया में सर्वाधिक है। विश्व चैंपियन टेबल-टेनिस खिलाड़ी चीनी ही है ,उन का नाम रूंगक्वोथ्वान है। उन्होंने 1959 में 25वीं विश्व टेबल-टेनिस चैंपियनशिप में पुरूष एकल का स्वर्ण पदक जीता था। तब से विश्व टेबल-टेनिस खेल में चीन का वर्चस्व बना रहा है। विश्व टेबल-टेनिस चैंपियनशिप के इतिहास में चीनी खिलाडियों ने हमेशा अपने प्रतियोगियों को हराकर सब से अधिक किताब जीते हैं। 2000 में आस्ट्रेलिया के सिडनी शहर में आयोजित औलिंपिक खेलों में टेबल-टेनिस खेल प्रतियोगिता शामिल करना शुरू किया गया। तब से हुए हर औलिंपिक खेलों में चीनी टेबल-टेनिस खिलाडियों ने अपना जलवा दिखाया है और सब प्रमुख पदक बटोरे हैं । उन की शानदार उपलब्धियों से आम चीनियों को टेबल-टेनिस खेलने में प्रोत्साहन मिला है। और फिर इस खेल की लोकप्रियता से बड़ी संख्या में श्रेष्ठ टेबल-टेनिस खिलाड़ी तैयार हुए हैं।