2008-05-26 15:23:29

रमैय्या वस्तावैया

राकेशः यह पत्र है विजयवाड़ा से श्रीमति निर्मला कुमारी जी का। ये लिखती हैं कि ये और इन के संघ के सभी सदस्य रविवार को एकसाथ आप की पसंद कार्यक्रम सुनते हैं। और इन के क्लब के सदस्य तुम्हारा और मेरा चीनी नाम जानना चाहते हैं। और इन्होंने यह भी जानना चाहा है कि क्या मैं भारतीय हूं? ललिता जी, बताइए।

ललिताः बहन श्रीमति निर्मला कुमारी जी, आप का और आप के क्लब के सभी सदस्यों का कार्यक्रम सुनने और पसंद करने के लिए और हमें पत्र लिखने के लिए धन्यवाद। मेरा चीनी नाम है शाओ पिन और राकेश जी निश्चय ही भारतीय हैं। इन का चीनी नाम नहीं है, लेकिन हम ने इन के भारतीय नाम को आधार बना कर इन्हें एक चीनी नाम दे दिया है। इस तरह अब इन का चीनी नाम हो गया है ला के श। क्यों ठीक है न?

राकेशः बिल्कुल ठीक है। श्रीमति निर्मला कुमारी जी और इन के क्लब के सदस्य श्रीमति राजामणि और श्रीमति कमला कुमारी ने यह गीत सुनने की इच्छा जाहिर की है।

गीत के बोल हैं

रमैय्या वस्तावैया रमैय्या वस्तावैया

मैंने दिल तुझ को दिया

है न रमैय्या वस्तावैया, रमैय्या वस्तावैया

नैनों में थी प्यार की रोशनी

तेरी आखों में यह दुनियादारी ना थी

तू और था तेरा दिल और था

तेरे मन में यह मीठी कटारी ना थी

मैं जो दुख पाऊं तो क्या आज पछताऊं तो क्या

मैंने दिल तुझ को दिया

है न रमैय्या वस्तावैया रमैय्या वस्तावैया

उस देश में तेरे परदेश में

सोने चांदी के बदले में बिकते हैं दिल

इस गांव में दर्द की छांव में

प्यार के नाम पर ही धड़कते हैं दिल

चांद तारों के तले रात यह गाती चले

याद आती रही दिल दुखाती रही

अपने मन को मनाना न आया हमें

तू न आए तो क्या भूल जाए तो क्या

प्यार करके भुलाना ना आया हमें

वहीं से दूर से ही, तू भी यब कह दे कभी

मैंने दिल तुझ को दिया

है न रमैय्या वस्तावैया रमैय्या वस्तावैया

रस्ता वही और मुसाफिर वही

इक तारा न जाने कहां छुप गया

दुनिया वही दुनिया वाले वही

कोई क्या जाने किस का जहां लुट गया

मेरी आखों में रहे, कौन जो तुझ से कहे

मैंने दिल तुझ को दिया

है न रमैय्या वस्तावैया रमैय्या वस्तावैया

राकेशः यह गीत था रफी, मुकेश और लता की आवाज़ में और इसे सुनने की फरमाइश की थी हमारे इन श्रोताओं ने इस्लामनगर बदायूं यू. पी. से रतनदीप आर्य, बिपिन गुप्ता, राघव आर्य, कपिल गुप्ता, अमित गुप्ता और जी. बी. धाकड़।

ललिताः चाइना रेडियो इंटरनेशनल से आप सुन रहे हैं हिंदी फिल्मी गीत-संगीत पर आधारित कार्यक्रम आप की पसंद। यह कार्यक्रम प्रति सप्ताह शनिवार शाम को पौने सात बजे से सवा सात बजे तक और रविवार सुबह पौने नौ बजे से सवा नौ बजे तक प्रसारित किया जाता है। यदि आप भी अपनी पसंद का कोई गीत सुनना चाहते हैं तो हमें पत्र लिख सकते हैं। हम आप की फरमाइश जरूर पूरी करने की कोशिश करेंगे।

राकेशः आइए कार्यक्रम का अगला गीत सुनें।

गीत के बोल हैं

रुला के गया सपना मेरा

बैठी हूं कब हो सवेरा रुला

वही है गम ए दिल, वही है चंदा तारे

हाए, वही हम बे-सहारे

आधी रात वही है और हर बात वही है

फिर भी ना आया लूटेरा रुला

कैसी ये जिंदगी, कि सांसों से हम ऊबे

हाए, कि दिल डुबा हम डूबे

इक दुखिया बेचारी इस जीवन से हारी

उस पर ये गम का अंधेरा, रुला

राकेशः लता की आवाज़ में यह गीत था फिल्म "ज्वेल थीफ" से, और इसे सुनने की फरमाइश की थी हमारे इन श्रोताओं ने मौहल्ला भूड़ा, कस्बा सैफनी से, मौ. आरिफ, मौ. यूनुस, शहनाजपखीन। दुर्गा कालोनी हांसी से राजू मिगलानी, बबीता मिगलानी, बजरंग वर्मा, साधु राम वर्मा, सुभाष योगी, और रामनाथपूरा राजकोट से अहमद हसन अजमेरी, खतीजा अजमेरी, इरफान अहमद और लियाकत अजमेरी।

ललिताः यह पत्र है कुरसेला तिनतखिया कटिहार बिहार से श्री ललन कुमार सिंह, श्रीमति प्रभा देवी, कुमार केतु और मनीष कुमार मोनू का। इन सभी को हमारा कार्यक्रम बहुत अच्छा लगता है। और ये चाहते हैं कि इन के इस पत्र को हम कार्यक्रम में जरूर शामिल करें। और इन्हें इन की पसंद का गीत भी सुनाएं। दूसरा पत्र है श्री देशपाल सिंह सेंगर, रचना सेंगर, पवन सिंह सेंगर, भीम सिंह सेंगर, आनंद, सितम और सुधीर का बर्फ कुलासर, बेला औरेया यू. पी. से। ये इस बात से बहुत खुश हैं कि पिछली बार इन का पत्र कार्यक्रम में शामिल किया गया। इन सब ने भी यह गीत सुनने की फरमाइश की है।

गीत के बोल हैं

तुम्ही तो मेरी पूजा हो

तुम्हें दिल में बसाया है

तुम्ही तो मेरी दुनिया हो

तुम्हें दिल से लगाया है

तुम्ही तो मेरी दुनिया हो

इबादत है निगाहों की तुम्हीं को देखते रहना

तेरी हर बात को सहना

तुम्हीं तो मेरे साथी है, तुम्हें अपना बनाया है

तुम्ही तो मेरी पूजा हो

तमन्ना है इन निगाहों की तुम्हारे ही नज़ारे हों

जहां देखूं तुम्हें देखूं, हसीन जलवे तुम्हारे हों

तुम्ही ने मेरी मंजिल को बहारों से सजाया है

तुम्ही तो मेरी दुनिया हो

तुम्हारे हाथ में है अब हमारी लाज का आंचल

ना बह जाए देखो हमारी आंख का काजल

तुम्ही तो मेरी दुनिया हो

तुम्ही तो मेरी पूजा हो

राकेशः तलत महमूद और लता की आवाज़ में यह गीत था फिल्म "सुहागन" से और इसे लिखा था हसरत जयपुरी ने, संगीत दिया था मदन मोहन ने।

ललिताः इस के साथ ही हमारा आज का यह कार्यक्रम यहीं समाप्त होता है। आप की प्रतिक्रिया का हमें इंतजार रहेगा। पत्र लिख कर आप जरूर बताएं यह कार्यक्रम आप को कैसा लगा। अगली बार तक के लिए आज्ञा दीजिए, नमस्कार।

राकेशः नमस्कार।