राकेशः राकेश का भी सभी श्रोताओं को प्यार भरा नमस्कार। आप को इंतज़ार होगा अपने मनपसंद गीत सुनने का, तो आइए आज के कार्यक्रम की शुरुआत करते हैं इस गीत से।
गीत के बोल हैं
कभी-कभी मेरे दिल में ख्याल आता है
कि जैसे तुझ को बनाया गया है मेरे लिए
तू अब से पहले सितारों में बस रही थी कहीं
तुझे जमीं पर बुलाया गया है मेरे लिए
कभी-कभी मेरे दिल में क्याल आता है
कभी-कभी मेरे दिल में ख्याल आता है
कि ये निगाहें मेरी अमानत हैं
ये गेसुओं की घनी छांव है मेरी खातिर
ये होंठ और यें बांहे मेरी अमानत हैं
कभी-कभी मेरे दिल में ख्याल आता है
कभी-कभी मेरे दिल में ख्याल आता है
कि जैसे तू मुझे चाहेगी उम्र भर यूं ही
उठेगी मेरी तरफ प्यार की नज़र यूं ही
मैं जानता हूं कि तू गैर है मगर यूं ही
कभी-कभी मेरे दिल में ख्याल आता है
कभी-कभी मेरे दिल में ख्याल आता है
कि जैसे बजती हैं शहनाईयां सी राहों में
सुहाग रात है घूंघट उठा रहा हूं मैं
सुहाग रात है घूंघट उठा रहा हूं मैं
सिमट रही है तू शरमा के मेरी बाहों में
कभी-कभी मेरे दिल में ख्याल आता है
ललिताः यह गीत था फिल्म "कभी-कभी" से और इसे गाया था मुकेश और लता ने।
राकेशः और इसे सुनने की फरमाइश की थी, मंसूरी रेडियो श्रोता संघ राम चबूतरा, कालपी, जिला जालौन यू. पी. से मों जाकिर मंसूरी, कमरुन निशा, बेबी शबिस्ता, मों साकिर, मों जाविद, मों सईद, मों शरीफ, मों अनीश, मुकेश कुमार, सोनू, गोलू, राज, लकी एवं यश मंसूरी। मोजाहिदपुर, पूरबटोला भागलपुर से मोहम्मद खालिद अन्सारी, ताहिर अन्सारी, शमीम नवाब, कादिर, जोवेद और आलम। और कबीरपुर, भागलपुर से मुन्ना खान मुन्ना, तारा बेगम, आजम अकेला, शबनम और शहजादे ने।
ललिताः यह पत्र है मेरे पास जिसे लिखा है हमारे श्रोता श्री एडमंड पराजुली ने। इटहरी, जुह विकास टोल, सुलसरी, कोशी नेपाल से। ये लिखते हैं कि आप के सभी कार्यक्रम मैं बड़े चाव से सुनता हूं। और गीत-संगीत के कार्यक्रम मुझे विशेष रूप से पसंद हैं, विशेष कर पुराने गीत जो आप के कार्यक्रम में प्रसारित होते हैं, उन्हें सुनकर बहुत अच्छा लगता है। इन्होंने अनुरोध किया है कि हम इन का पत्र कार्यक्रम में जरूर शामिल करें। इन्होंने अपनी पसंद का एक गीत सुनने की फरमाइश भी की है।
राकेशः श्री एडमंड पराजुली जी पत्र लिखने के लिए धन्यवाद। हमें खुशी है कि आप को हमारे कार्यक्रम पसंद आते हैं। आप की फरमाइश हम ने नोट कर ली है और जब भी मौका मिलेगा, हम आप को आप की पसंद का गीत जरूर सुनाएंगे।
ललिताः यह पत्र है कहकशां रेडियो श्रोता संघ के श्री हशीम आजाद जी का। ये लिखते हैं कि ये लगभग बाईस वर्षों से सी. आर. आई. के पुराने श्रोता हैं। और इन्हें गीत-संगीत के कार्यक्रम विशेष रूप से पसंद हैं। इन की शिकायत है कि हम ने इन का एक भी पत्र कार्यक्रम में शामिल नहीं किया है। इन्होंने अपनी पसंद का गीत सुनने की फरमाइश भी की है।
राकेशः श्री हशीम आजाद जी, आप हमारे पुराने श्रोता हैं और यह कार्यक्रम आप को अच्छा लगता है, इस के लिए आप का बहुत धन्यवाद। आप का पत्र कार्यक्रम में शामिल हो गया है और अब आप की शिकायत दूर हो गई होगी। लीजिए, सुनिए अपनी पसंद का यह गीत।
गीत के बोल हैं
आ चल के तुझे मैं ले के चलूं
इस ऐसे गगन के तले
जहां गम भी न हों, आंसू भी न हों
बस प्यार ही प्यार पले
इस ऐसे गगन के तले
सूरज की पहली किरण से आशा का सवेरा जागे
चंदा की किरण से धुल कर, घनघोर अंधेरा भागे
कभी धूप खिले, कभी छांव मिले
लम्बी सी डगर न खले
जहां गम भी न हों, आंसू भी न हों
बस प्यार ही प्यार पले
जहां दूर नजर दौड़ाएं, आजाद गगन लहराए
जहां रंगबिरंगे पंछी आशा का संदेशा लाएं
सपनों में पली, हंसती हो कली
जहां शाम सुहानी ढले
जहां गम भी न हों, आंसू भी न हों
बस प्यार ही प्यार पले
आ चल के तुझे मैं ले के चलूं
इस ऐसे गगन के तले
जहां गम भी न हों, आंसू भी न हों
बस प्यार ही प्यार पले
ललिताः किशोर कुमार की आवाज़ में यह गीत था फिल्म "दूर गगन की छांव" से, इसे लिखा था शैलेंद्र ने और सुनने की फरमाइश की थी हमारे इन श्रोताओं ने समाधान श्रोता संघ, नंदुरबार कोलदा, गांधी नगर महाराष्ट्र से श्री हरेराम पाडवी, श्रीराम पाडवी, अरुण कुमार पाडवी, छोटूलाला पाडवी, ममता पाडवी और सुजाता पाडवी और नैनीताल, उत्तरांचल से रमेश सिंह नेगी, किशोर सिंह नेगी, भुवन, ज्योति, पवन और कमला ने।
इस लेख का दूसरा भाग अगली बार प्रस्तुत होगा, कृप्या इसे पढ़े।