2008-05-26 15:23:29

मधुबन में जो कन्हैया किसी गोपी से मिले

ललिताः यह चाइना रेडियो इंटरनेशनल है। हिंदी फिल्मों के गीत संगीत पर आधारित आप की पसंद कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को ललिता का प्यार भरा नमस्कार।

राकेशः राकेश का भी सभी श्रोताओं को प्यार भरा नमस्कार।

ललिताः तो श्रोताओ हम हाज़िर हैं आप की पसंद के गीतों के साथ और आप के पत्रों के साथ, और पिछली बार की पहेली में पूछे गए सवाल पर भेजे गए आप के सही जवाबों के साथ।

राकेशः इस बार श्रोताओं को बहुत लम्बे समय तक इतंज़ार करना पड़ा, तो ललिता जी बताइए कि किन श्रोताओं ने सही जवाब भेजे हैं। श्रोताओं को याद ही होगा कि पिछली बार की पहेली में हम ने आप से इस गीत के गायक और गायिका का सही नाम पूछा था।

राकेशः इस गीत को गाया था आशा भौंसले और किशोर कुमार ने और फिल्म थी "रागिनी"।

ललिताः जिन श्रोताओं ने सही जवाब भेजे हैं उन के नाम हैं उस्मान रेडियो लिस्नर्स क्लब, मऊनाथ भंजन, यू. पी. से आमना अंसारी और मीना बंगम, बाबू एंड शबीना रेडियो लिस्नर्स क्लब, गया बिहार से बाबू टिंकू, जुलेखा खातून, शबिना खातून, काहकाशाम ज़बीर, मो. जावेद खान, सुभानी खानम, अहमद रज़ा, मो. किमाम खातून, ज़रीना खातून, एस. पी. तूफामी साहेब, सोनपुरी टेंगनमाड़ा, जिला बिलासपुर छत्तीसगढ़ से श्री चुन्नीलाल कैवर्त, विजयवाड़ा आंध्रप्रदेश से श्रीमति रहमतुनीसा और गांव दत्त नगर जिला गोंडा यू. पी. से कुमारी पुष्पा श्री वास्तव।

राकेशः लगता है नाम पढ़ते-पढ़ते तुम थक गई हो, थोड़ा आराम करो, बाकी नाम बाद में पढ़ना। आएं पहले अपने श्रोताओं के साथ ए. आर. रहनाम का संगीतबद्ध किया गया, "लगान" फिल्म से यह गीत सुन लें।

गीत के बोल हैं

--स्त्री--

मधुबन में जो कन्हैया किसी गोपी से मिले

कभी मुस्काए, कभी छेड़े, कभी बात करे

राधा कैसे न जले

आग तन मन में लगे

राधा कैसे ना जले, राधा कैसे ना जले

--पुरुष--

मधुबन में भले कान्हा किसी गोपी से मिले

मन में तो राधा के ही प्रेम के हैं फूल खिले

किस लिए राधा जले, किस लिए राधा जले

बिना सोचे समझे

किस लिए राधा जले, किस लिए राधा जले

ओ गोपियां तारें हैं, चांद है राधा, फिर क्यों उस को बिश्वास आधा

--स्त्री--

कान्हाजी का जो सारा इधर-उधर ध्यान रहे

राधा बेचारी को फिर अपने पे क्या मान रहे

--पुरुष--

गोपियां आनी-जानी हैं, राधा तो मन की रानी है

सांझ सखा-रे जमना किनारे

राधा राधा ही कान्हा पुकारे

--स्त्री--

ओए होए, ओए होए

बाहों के हार जो डाले कोई कान्हा के गले

राधा कैसे ना जले, राधा कैसे ना जले

आग तन-मन में लगे

राधा कैसे ना जले, राधा कैसे ना जले

मान मन में है राधा को कान्हा जो बसाए

तो कान्हा काहे को उसे ना बताए

--पुरुष--

प्रेम की अपनी अलग बोली, अलग भाषा है

बात नैनों से हो कान्हा की यही आसा है

--स्त्री--

कान्हा के ये जो नैना हैं, छीने गोपियों के चैना हैं

मिली नज़रिया, हुई बावरिया

गोरी-गोरी सी कोई गुजरिया

--पुरुष--

कान्हा का प्यार किसी गोपी के मन में जो पले

किस लिए राधा जले, किस लिए राधा जले

--स्त्री-- राधा कैसे ना जले

--पुरुष-- किस लिए राधा जले

--स्त्री-- राधा कैसे ना जले

--पुरुष-- किस लिए राधा जले, किस लिए राधा जले

--स्त्री-- राधा कैसे ना जले

--पुरुष-- किस लिए राधा जले, किस लिए राधा जले

--स्त्री-- आ, आ, आ, आ...

--स्त्री-- राधा कैसे ना जले, राधा कैसे ना जले

राकेशः इस गीत को सुनने की फरमाइश की थी हमारे इन श्रोताओं ने दिल्ली पश्चिमपुरी से श्री उत्तम सिंह जुनेजा, भूपेंद्र जुनेजा, सीमा जुनेजा, साहिबा जुनेजा और अनमोल जुनेजा। आज़ाद रेडियो लिस्नर्स क्लब बिहार से श्री इजराइल कस्तूरी, मिकाइल अंसारी, शाहजहां खातून और खानम प्रवीन।

राकेशः तो आएं कुछ और श्रोताओं के नाम सुनें, जिन्होंने सही जवाब भेजे हैं।

ललिताः ये हैं सहावर टाऊन, जिला एटा यू. पी. से जनाब मुशीर खान, यहीं से श्री वाइ के सिंह, जिला बांदा यू. पी. से श्री दिनेश कुमार सोनी और राजेंद्र कुमार सोनी, चमन रेडियो लिस्नर्स क्लब, आजमगढ़ यू. पी. से जनाब बेलाल अहमद, यहीं से बेगम रुख्सार, जावेद अख्तर राही, मु आवेंज राही, हज मौहल्ला रजा नगर कस्बा शीशगढ़ जिला बरेली यू. पी. से नईम इदरीसी, महिला रेडियो लिस्नर्स क्लब, कोआथ बिहार से खैरुन निसा, चंदा खातून, जांनशीन और अल्का रानी।

राकेशः बस या और?

ललिताः अभी कुछ नाम और हैं मेरे पास।

राकेशः क्यों न पहले एक और गीत सुन लें?

ललिताः ठीक है।

राकेशः तो आएं मुकेश और लता की आवाज़ में सुनें फिल्म "संगम" का यह गीत, जिसे सुनने की फरमाइश की है इन श्रोताओं ने न्यू बैठाभांगा शोणितपुर से सगीर आलम, बशीर आलम, ताहिर आलम, तैबुन निसा, जायदा खातून और सायमा खातून।

गीत के बोल हैं

मेहरबां लिखू, हसीना लिखू या दिलरुबा लिखू

हैरान हू के आप को इस खत में क्या लिखू?

ये मेरा प्रेमपत्र पढ़कर के तुम नाराज ना होना

के तुम मेरी जिंदगी हो, के तुम मेरी बंदगी हो

तुझे मैं चांद कहता था, मगर उस में भी दाग है

तुझे सूरज मैं कहता था, मगर उस में भी आग है

तुझे इतना ही कहता हू, के मुझ को तुम से प्यार है

तुझे गंगा मैं समझूंगा, तुझे जमुना मैं समझूंगा

तू दिल के पास हैं इतनी, तुझे अपना मैं समझूंगा

अगर मर जाऊ रुह भटकेगी तेरे इंतजार मे

इस लेख का दूसरा भाग अगली बार प्रस्तुत होगा, कृप्या इसे पढ़े।