2008-05-26 15:23:29

इना मिना डीका

ललिताः ऐसा लगता है कि आज भी सारे गीत हम सी. रामचंद्र के ही पेश कर रहे हैं।
राकेशः तुम्हारा कहना सही है। दरअसल किसी भी संगीतकार के सारे जीवन के योगदान का जायजा एक कार्यक्रम में लेना संभव भी नहीं हो पाता। इसलिए आज के कार्यक्रम में भी श्रोताओं को सी. रामचंद्र के कुछ बेहतरीन संगीत का आनंद उठाने का मौका क्यों न दिया जाए।
ललिताः ठीक बात है।
राकेशः किशोर और लता की आवाज में ये गीत थे 1957 में बनी फिल्म "आशा" से।
ललिताः चाइना रेडियो इन्टरनेशनल से आप सुन रहे हैं अपना मनपसंद कार्यक्रम आप की पसंद। यह कार्यक्रम प्रति सप्ताह शनिवार शाम को पौने सात बजे से सवा सात बजे तक और रविवार सुबह पौने नौ बजे से सवा नौ बजे तक प्रसारित किया जाता है। यदि आप भी अपनी पसंद का कोई गीत सुनना चाहते हैं तो हमें पत्र लिख सकते हैं। हम आप की फरमाइश पूरी करने की कोशिश करेंगे।
राकेशः ललिता तुमने भी सी. रामचंद्र के इन गीतों को सुनते हुए महसूस किया होगा कि इन गीतों में एक खास तरह की बेतकल्लुफी, युवा मन की मौज और मस्ती है।
ललिताः हां, खासकर इस गीत में "इना मिना डिका"।
राकेशः इस गीत में और इसी तरह के सी. रामचंद्र के अन्य गीतों की यह खास विशेषता रही है कि इन में ब्रिटिश भारत के शहरी शिक्षित युवा मन में पश्चिमी रीतिरिवाज, आचरण के बारे में एक गहन जिज्ञासा दिखाई पड़ती है और इन में पश्चिमी संगीत की शैली को बढ़ा-चढ़ा कर पेश करने की ललक भी दिखाई पड़ती है, या तो व्यंग्य, उपहास के लिए या मजाक के लिए।
ललिताः तो क्यों न हम इसी तरह का एक और गीत अपने श्रोताओं को सुनाएं।
ललिताः यह गीत था 1947 में बनी फिल्म "शहनाई" से, जिसे लिखा था पी. एल. संतोषी ने और गाया था चित्लकर, यानि कि सी. रामचंद्र, मीना कपूर और शमशाद बेगम ने।
राकेशः यह भी माना जाता है कि भारत में रॉक एंड रॉल को सी. रामचंद्र ने उस समय परिचित करवा दिया था, जबकि पश्चिम में भी अभी तक इस का अधिक प्रचलन नहीं हुआ था।
ललिताः इस कार्यक्रम में मुझे भी आज सी. रामचंद्र के बारे में काफी नई जानकारी मिली। आशा है हमारे श्रोताओं को भी सी. रामचंद्र के बारे में भूलीं-बिसरी बातों का पता लगा होगा। आइए सी. रामचंद्र का एक और गीत सुनते हैं।
राकेशः यह गीत था 1949 में बनी "पतंगा" फिल्म से और इसे गाया था चित्लकर और शमशाद बेगम ने और लिखा था राजेंद्र कृष्ण ने।