2008-01-21 15:35:44

चीनी भाषा के बारे में

आज के इस कार्यक्रम में भजनपुरा दिल्ली के सुबोध कुमार के सवालों का जवाब दिया जा रहा है

भजनपुरा दिल्ली के सुबोध कुमार ने अपने पत्र में चीनी भाषा के बारे में जानकारी हासिल करने की इच्छा व्यक्त की है.

सुबोध भाई,संसार की भाषाओं का वर्गीकरण अफ्रीकाखंड, यूरेशियाखंड,प्रशांत महासागरखंड और अमरीकाखंड नाम के जिन चार विभागों में किया गया है,उन में चीनी भाषा को यूरेशियाखंड के अंतर्गत रखा गया है.इस खंड के अंतर्गत अन्य मुख्य भाषा-परिवार हैं सेमेटिक,काकेशस,यूरालअल्ताइक,एकाक्षरी,द्रविड़,आग्नेय और भारोपीय.इन में चीनी

एकाक्षरी भाषाओं में गिनी जाती है,स्यामी,तिब्बती,बर्मी और म्याओ समूह की भाषाएं भी इसी परिवार में हैं.

चीनी लिपि जो संसार की प्राचीनतम लिपियों में से एक है चित्रलिपि का ही रूपांतर है.इस में मानवजाति के मस्तिष्क के विकास की अद्भुत कहानी छिपी हुई है.मानव ने किस प्रकार मछली,वृक्ष,चंद,सूर्य आदि वस्तुओं को देखकर उन के आधार पर अपने मनोभावों को व्यक्त करने के लिए एक विचित्र चित्रलिपि ढूंढी और कितने परिवर्तनों के बाद इस का अंतिम रूप निश्चित हुआ,यह सब जानने के साधन आज इतिहास में विलीन हो चुके हैं.लेकिन गंभीर अध्ययन से इस की वैज्ञानिकता और व्यवस्था अवश्य स्पष्ट होती है. ईसा पूर्व 1700 से लेकर आज तक उपयोग में आने वाले चीनी शब्दों की आकृतियों में जो क्रमिक विकास हुआ है उस का अध्ययन इस दृष्टि से बहुत रोचक है.

चीनी लिपि की विभिन्न शैलियां हैं.दक्षिण चीन के हूनान प्रांत की आनयांग काऊंटी में हुई खुदाई से कछुओं की अस्थियों पर ईसा पूर्व 1766 से 1122 तक के शांग राजवंशकाल के जो लेख मिले हैं,उन से पता चलता है कि आज से लगभग 3000 वर्ष पूर्व ही चीनी लोग लेखन कला से परिचित हो गए थे.तब कछुओं की अस्थियों के अतिरिक्त पशुओं की टांगों और कंधों की हड्डियों का भी लिखने के लिए उपयोग किया जाता था.ईसा पूर्व 1122 से 221 तक के चो राजवंश काल में चीनी लोगों ने कांसे के बर्तनों पर लिखना शुरू किया.इस काल में चीनी भाषा में बहुत से नए वरणों का समावेश किया गया और लोग बांस या लकड़ी की नुकीली कलम की जगह बालों के बने ब्रुश से लेखन करने लगे.कालांतर में उत्तर में लम्बी दीवार से लेकर दक्षिण की ओर ह्वाईह नदी की घाटी तक चीनी लिपि का प्रचार हुआ.इस के पश्चात ईसा पूर्व 221 से 206 तक छिन राजवंश के प्रथम सम्राट छिनशीह्वांग ने चीनी लिपि को समरूप बनाने के लिए चीन भर में छिन लिपि का प्रचार किया.इस लिपि के कठिन होने के कारण सरकारी फरमान लिखने-पढ़ने में बहुत दिक्कत होती थी.इसलिए इस समय ली नामक लिपि का प्रचार किया गया,जिस में मुड़ी हुई रेखाओं और गोलाकार कोणों के स्थान पर कोण की रेखाएं सीधी बनाई जाने लगीं.अब कांसे की जगह लोग बांस की पट्टियों पर लिखने लगे.इस प्रकार चीनी लिपि को सुव्यवस्थित और एकरूप बनाने के लिए चीनी लोग लगातार परिश्रम करते रहे हैं.ईस्वी पूर्व 206 से ईसा पश्चात 221 के हान राजवंश काल और ईसा पश्चात 265 से 420 तक के छिन राजवंश काल में घसीट और शीघ्रलिपि शैली का प्रचार बढा.इस्वी सन् की चौथी शताब्दी के सुलेखक वांग शीची ने सुंदर अक्षरों वाली एक आदर्श शैली को जन्म दिया जिस से अधिक व्यवस्थित,सुडौल और चौकौर अक्षर लिखे जाने लगे.आज चीन में यही लेखनशैली प्रचलित है.

चीनी एकाक्षरप्रधान भाषा मानी जाती है.ध्यान रखने की बात है कि उस के एक बार में बोले जाने वाले शब्द में एक या एक से अधिक वर्ण या अक्षर हो सकते हैं.हिन्दी या अंग्रेज़ी आदि भाषाओं की भांति चीनी ध्वन्यात्मक भाषा नहीं है,अतएव इस में प्रत्येक शब्द या भाव के लिए अलग-अलग संकेतात्मक आकृतियां प्रयुक्त होती हैं.वर्णमाला के अभाव में चीनी भाषा में प्रत्येक शब्द के लिए लिखा जाने वाला वर्ण या संकेताक्षर अपने आप में पूर्ण होता है और विभिन्न उपसर्गों या प्रत्ययों से इन के मूलरूप में परिवर्तन नहीं होता.उदाहरण के लिए लड़का,लड़के और लड़कों इन विभिन्न रूपों के लिए चीनी में एक ही वर्ण लिखा जाता है.काल,वचन,पुरूष औऱ स्त्रीलिंग-पुल्लिंग का भेद भी यहां नहीं है.इस दृष्टि से चीनी भाषा बोलना अपेक्षाकृत सरल है.

सुबोध कुमार यह भी जानना चाहते हैं कि क्या विश्व में समुद्र तल सचमुच ऊंचे हो जाएंगे ?

जी हां,पहले ही प्राकृतिक आपदाओं से त्रस्त विश्व के लिए बुरी खबर यह है कि ग्लोबल वार्मिंग के चलते इस सदी के अंत तक समुद्रतलों के 34 सेंटीमीटर ऊपर तक उठ जाने की आशंका है.इस के परिणामस्वरूप बाढ और तटीय क्षरण में वृद्धि हो सकती है.

एक सर्वेक्षण के मुताबिक ग्लोबल वार्मिंग से विश्व का तापमान और बढेगा.इस से हिमालय के ग्लेशियर और ग्रीनलैंड की बर्फपट्टियां पिघलेंगी.अनुमान है कि वर्ष 2100 तक समुद्र तलों में 28 से 34 सेंटीमीटर की वृद्धि हो सकती है.