2008-01-15 09:17:44

चीन में सरकारी अस्पताल, स्त्री-पुरुष का अनुपात, संविधान

आज के इस कार्यक्रम में आजमगढ़, उत्तर प्रदेश के मुहमद शाहिद आज़मी और रामपुरफुल पंजाब के बलबीर सिंह,सीतामढ़ी बिहार के मोहम्मद जहांगीर,मऊ नाथ भंजन, उत्तर प्रदेश के इर्शाद अहमद अंसारी और आजमगढ उत्तर प्रदेश के अनीसुर रहमान के पत्र शामिल हैं।

आजमगढ़ उत्तर प्रदेश के मुहमद शाहिद आज़मी और रामपुरफुल पंजाब के बलबीर सिंह ने अपने पत्र में चीनी सरकारी अस्पतालों के बारे में बताने का अनुरोध किया है.

मित्रो,चीन में लोक गणराज्य की स्थापना के बाद सरकारी अस्पताल सार्वजनिक चिकित्सीय संस्थाओं के मुख्य अंग के रूप में बने रहे हैं. उन्हें समाज की बुनियायी चिकित्सीय गारंटी और सार्वजनिक चिकित्सीय सेवा का दायित्व निभाना है. सरकारी अस्पतालों का एक कार्य कमजोर वर्गों के लोगों को चिकित्सीय सेवा उपलब्ध कराना भी है. इसलिए उसे कल्याणकारी और सामाजिक परोपकार के स्वरूप वाला एक विशेष क्षेत्र भी कहा जाता है.चीनी सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था में सुधार का कार्य कभी नहीं रूका है.इस का उद्देश्य व्यापक नागरिकों को बुनियादी चिकित्सा पाने की गारंटी देना और चिकित्सीय सेवा की निष्पक्षता बढाना तथा स्पर्द्धा के जरिए कार्यक्षमता व प्रणाली से जुड़े सवालों का समाधान करना है.

चीन में सरकारी अस्पतालों की पुरानी प्रबंधन-व्यवस्था योजनाबद्ध अर्थतंत्र की उपज थी,जो कार्य में चिकित्सकों की सक्रियता को सीमित करती थी और अस्पतालों के विकास को गंभीर रूप से बाधित करती थी.सुधार-कार्य शुरू होने के बाद सरकारी अस्पतालों में बोनस-व्यवस्था और काबलियत के अनुसार वेतन देने की व्यवस्था लागू की गयी है.बेशक सरकारी अस्पताल सरकारी धन पर चलते हैं,लेकिन पहले सभी चिकित्सक चाहे उन का स्तर ऊंचा हो या नीचा,एक ही बर्तन में समान मात्रा में खाना खाते थे.फलस्वरूप प्रतिभाशाली व सक्षम चिकित्सक भी कार्य में उदासीनता बरतते थे और कोई भी सरकारी धन के दुरूपयोग की परवाह नहीं करता था.उस का सीधा नुकसान मरीजों को उठाना पडता था.अब स्थिति बदल गयी है.

चीनी सरकारी अस्पतालों में निर्धन लोगों को सस्ती कीमत पर चिकित्सीय सेवा उपलब्ध कराने की व्यवस्था भी है.ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ दवाइयों का मुफ्त वितरण होता है

सीतामढ़ी बिहार के मोहम्मद जहांगीर पूछते हैं कि चीन में स्त्री-पुरुष का अनुपात क्या है?

चीन में वर्ष 2000 के अंत में हुए पांचवें राष्ट्रीय जनसंख्या सर्वेक्षण के अनुसार देश के 31 प्रांतों,स्वायत्त प्रदेशों,केंद्रशासित शहरों की कुल जनसंख्या में पुरूषों की आबादी 65 करोड़ 35 लाख 50 हजार है और स्त्रियों की आबादी 61 करोड़ 22 लाख 80 हजार है जो अलग-अलग तौर पर कुल जनसंख्या का 51.63 प्रतिशत और 48.37 प्रतिशत बनती है.इस से जाहिर है कि स्त्री-पुरूष का अनुपात 74:106 है.विशेषज्ञों के अनुसार चीन में यदि पुरूष ज्यादा और स्त्रियां कम जैसी स्थिति जारी रही,तो भविष्य में बड़ी संख्या में पुरूषों के लिए जीवनसाथी ढूंढ पाना बड़ी समस्या बन जाएगा.

मऊ नाथ भंजन उत्तर प्रदेश के इर्शाद अहमद अंसारी और आजमगढ उत्तर प्रदेश के अनीसुर रहमान यह जानना चाहते हैं कि चीन का संविधान कब बना ? बनाने वाले का नाम क्या है ? चीनी संविधान के अनुसार देश का कौन सा पद सब से बडा है ?

सन् 1949 में नए चीन की स्थापना के बाद से अब तक 4 संविधान बनाए गए हैं.1954 में प्रथम संविधान बनाया गया था.1975 में प्रथम संविधान को संशोधित करके दूसरा संविधान तैयार किया गया.इस के आधार पर 1978 में तीसरा संविधान बनाया गया.1982 में पांचवीं चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा के पांचवें पूर्णाधिवेशन में चालू संविधान पारित किया गया.चीन में संविधान चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा बनाती है.

चीनी संविधान के अनुसार राष्ट्राध्यक्ष या राष्ट्रपति का पद सब से बड़ा है.राष्ट्राध्यक्ष या राष्ट्रपति राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा के पूर्णाधिवेशन द्वारा चुने जाते हैं.इन का कार्यकाल 5 साल का होता है.

चीनी राष्ट्राध्यक्ष चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा की स्थाई समिति के साथ मिलकर अपना कार्यभार संभालते हैं.राष्ट्राध्यक्ष चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा या उस की स्थाई समिति के प्रस्ताव के अनुसार कानून की घोषणा करते हैं,राज्य परिषद के सदस्यों को नियुक्त करते है या पदच्युत करते हैं,आदेश जारी करते हैं,राज्यनेता की हैसियत से विदेशी राजदूतों को स्वीकार करते हैं,विदेशों में पूर्णाधिकार प्राप्त चीनी राजदूतों की नियुक्ति और पदच्युति करते हैं,विदेशों के साथ संपन्न हुई संधियों व महत्वपूर्ण समझौतों को स्वीकार करते हैं या उन्हें भंग करते हैं.चीन के वर्तमान राष्ट्राध्यक्ष श्री हू चिंग-थाओ हैं.