2007-12-25 10:33:02

चीन में महान दीवार तथा पठार, परिवार नियोजन

आज के इस कार्यक्रम में मऊ उत्तर प्रदेश के राजेन्द्र यादव भारती, उषा देवी भारती, दीपाजंली तथा आरा बिहार के वृजेंद्र कुमार के प्रत्र शामिल हैं।

मऊ उत्तर प्रदेश के राजेन्द्र यादव भारती, उषा देवी भारती, दीपाजंली जानना चाहते हैं कि उत्तरी चीन की महान दीवार तथा पठार कौन-कौन से हैं?

दोस्तो,चीन के उत्तरी भाग में स्थित महान दीवार का नाम है लम्बी दीवार और पठार का नाम है पीली मिट्टी का पठार.अब हम आप को अलग-अलग तौर पर इन की जानकारी देंगे.

प्राचीन चीन के वसंत-शरद व युद्धरत राज्य काल मं चीन अनेक छोटे-छोटे राज्यों में विभाजित था.इन राज्यों ने आत्मरक्षा और हमलों से बचाव की खातिर अपने-अपने अधिकृत ऊंचे पहाड़ों पर दीवारों का निर्माण किया था.ईसा पूर्व 221 में उन में से एक छिन राज्य सब से ताकतवर बनकर उभरा और बाकी सभी छोट-छोटे राज्यों का उस ने सफ़ाया करके पहली बार चीन का एकीकरण किया.सो एकीकृत चीन का पहला सामंती राजवंश छिन राजवंश स्थापित हुआ.उस समय छिन राजवंश के उत्तर में एक घूमंतू जाति हूण बहुत शहजोर थी.इस जाति के लोग अक्सर दक्षिणी भाग में घूसकर लूट-खसोट किया करते थे.इन के प्रतिरोध के लिए छिन राजवंश के प्रथम सम्राट छिनशीह्वांग ने एक आदेश दिया,जिस के अनुसार उत्तरी चीन के विभिन्न क्षेत्रों में पूर्व लघु राज्यों द्वारा बनायी गई दीवारों को एक दूसरे से जोड़कर एक ही लम्बी दीवार के रूप में परिणत किया गया.बाद में यही चीन की लम्बी दीवार कहलाई.इस के बाद लम्बी दीवार का कई बार पुनर्निमाण किया गया और वर्तमान में इस की कुल लम्बाई कोई 6700 किलोमीटर हो गयी है.लम्बी दीवार के पेइचिंग के उपनगर यानछिंग,छांगफिन,ह्वाईरो और मीयुन में स्थित भाग बहुत मशहूर हैं,जो देशी व विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करते है.आम तौर पर लम्बी दीवार के ये भाग पातालिंग,मूथ्यानयू,च्युयुंगक्वान,सीमाथान और चिनशानलिन के नाम से जाने जाते हैं.

अब मुड़ें उत्तरी चीन के पीली मिट्टी के पठार की ओर.

पीली मिट्टी का पठार उत्तरी चीन का सब से बड़ा पठार है,जो उत्तरी चीन के 6 प्रांतों में फैला हुआ है और जिस का कुल क्षेत्रफल 5 लाख 80 हजार वर्गकिलोमीटर है.वह दुनिया में ऐसा एक आदर्श वाला क्षेत्र भी है,जहां पीली मिट्टी सब से अधिक व्याप्त है और उस की परत सब से मोटी है.समुद्र की सतह से 1000 से 2000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस पठार पर पीली मिट्टी की 100 से 200 मीटर मोटी परत चढ़ी हुई है.इसलिए उसे पीली मिट्टी के पठार का नाम दिया गया है.मिट्टी में शिथिलता,बारिश की बहुतायत औऱ जंगलों व घास-मैदानों के दुरुपयोग के कारण इस पठार की मिट्टी गंभीर रूप से कट गयी है और कालांतर में पठार का मूल रूप बदलकर बहुत से टीले और घाटियों का रुप ले चुका है.ध्यान रहे चीन की दूसरी बड़ी नदी ह्वांगह यानी पीली नदी इस पठार से गुजरती है.पठार की मिट्टी कट कट कर पीली नदी में जा गिरती है और पानी के प्रवाह के साथ नदी के निचले भाग में पहुंचकर जम जाती है.इस से वहां बाढ़ आती है.मिट्टी-कटाव से पैदा होने वाली विपत्तियों पर नियंत्रण करने के लिए चीन सरकार ने अनेक कदम उठाए हैं,जिन में वनरोपण-अभियान सब से उल्लेखनीय है.इस अभियान के तहत चीन के 13 प्रांतों और स्वायत्त प्रदेशों की 512 काउंटियों के 49 लाख वर्गकिलोमीटर क्षेत्रफल में वन-पंक्तियां खड़ी की गयी है,जो हरित लम्बी दीवार कहलाती हैं और जिस की विश्व में सब से महान पारिस्थितिकी संरक्षण परियोजना के रूप में प्रशंसा भी की गयी है.

आरा बिहार के वृजेंद्र कुमार का सवाल है कि चीन में परिवार नियोजन कार्यक्रम कैसे चल रहा है?

दोस्तो,दूसरे विकासशील देशों की तरह चीन को भी जनसंख्या और विकास के सवाल के हल की कोशिश में टेढ़े-मेढ़े रास्ते से गुजरना पड़ा है।1949 में नए चीन की स्थापना के बाद के बीस सालों के अल्पसमय में चीन की जनसंख्या में बहुत तेजी से वृद्धि हुई है,जिस का अर्थतंत्र और समाज पर भारी दबाव पड़ा है। इसे देखते हुए चीन ने परिवार नियोजन कार्यक्रम लागू करने का निर्णय लिया। तीस सालों के अनवरत प्रयास के फलस्वरूप अब कहा जा सकता है कि चीन का हर परिवार परिवार नियोजन के महत्व से वाकिफ हो गया है और सचेत रूप से स्वेच्छापूर्वक परिवार नियोजन अपनाता है। इस कार्यक्रम के तहत गर्भ निरोधक दवाएं और कंडोम आदि नि:शुल्क वितरित किए जाते हैं तथा नसबन्दी की तकनीकें भी काफी प्रचलित हैं।

फिर चीन में जल्दी शादी,जल्दी बच्चा,या पुत्र की अधिक चाहना ,लड़की पर लड़के को वरीयता देने की पुरानी अवधारणाएं त्यागी जा रही हैं। इन की जगह देर से शादी देर से बच्चा,कम पर स्वस्थ बच्चे तथा लड़के औऱ लड़की की बराबरी की नई अवधारणाएं प्रचलित हो रही हैं।