2007-12-25 10:33:02

चीनियों में नपुंसकता,चीनी शिक्षा-नीति

आज के इस कार्यक्रम में मऊ उत्तर प्रदेश के राम प्यारे राम, विनोद कुमार, इंद्रजीत पटूवा, पूर्व चम्पारण बिहार के ओम प्रकाश चौहान और उन के साथियों,आजमगढ़ उत्तर प्रदेश की नौशाबा परवीन आजमी और उन की सहेलियों के पत्र शामिल हैं।

मऊ उत्तर प्रदेश के राम प्यारे राम, विनोद कुमार औऱ इंद्रजीत पटूवा का सवाल है कि महिला-पुरूष सहवास के दौरान क्या पुरूषों को दवाओं का प्रयोग करना पड़ता है ? क्या चीन में महिलाओं से ज्यादा पुरूषों में नपुंसकता की स्थिति है? पूर्व चम्पारण बिहार के ओम प्रकाश चौहान और उन के साथियों ने पूछा है कि चीन में कितनी शादियां हो सकती हैं और एक दंपति को कितने बच्चे पैदा करने की अनुपति है?

मित्रो,चीन में महिला-पुरूष सहवास के दौरान गर्भ-निरोध के लिए पुरूष किसी भी तरह की दवा का प्रयोग नहीं करता.दवा का प्रयोग तो सिर्फ महिलाएं करती हैं.वैसे ही हम जानते हैं कि दुनिया में अभी पुरूषों के लिए किसी भी तरह की गर्भ-निरोधक दवा का आविष्कार नहीं किया गया है.पुरूष आम तौर पर कंडोम का प्रयोग करते हैं.

जहां तक नपुंसकता से ग्रस्त पुरूषों का सवाल है,वे या तो दवाओं का प्रयोग करते हैं या मनोचिकित्सीय इलाज करवाते हैं.वर्ष 2006 के अंत में चीन की कई मुख्य मीडिया संस्थाओं ने देश के महानगरों में एक संयुक्त सर्वेक्षण करवाया,जिस के परिणाम के अनुसार शहरों में नपुंसकता से पीड़ित विवाहित पुरूषों की संख्या में बड़ी वृद्धि हुई है,उधर विवाहित महिलाओं में दांपत्य जीवन के प्रति रूचि भी कम होती चली गयी है.दांपत्य-जीवन में असमर्थ पुरूषों औऱ महिलाओं का अनुपात 4:1 है.मनोचिकिसत्कों ने तेज से तेज़तर स्पर्द्धाओं से उत्पन्न होने वाले सामाजिक दबाव को दांपत्य जीवन में लोगों की अक्षमता का कारण बताया है.

चीन में एक विवाह की प्रथा है.दूसरा विवाह कानून-विरोधी माना जाता है,दंड-संहिता के अनुसार दूसरा विवाह करने पर पुरुष या स्त्री को दो साल या उस से कम सज़ा दी जाती है.एक दंपति को कितने बच्चे पैदा करने की इज़ाज़त है? भाई,चीनी शहरों में एक दंपति को केवल एक बच्चा पैदा करने की अनुमति है.लेकिन अगर पति और पत्नी दोनों अपने अपने परिवार की इकलौती संतान हैं,तो वे 2 बच्चे पैदा कर सकते हैं.चीनी ग्राणीण क्षेत्रों में पहले बच्चे के लड़की होने पर दूसरा बच्चे को जन्म देने की इज़ाज़त है औऱ अल्पसंख्यक जातियों को दो या इस से अधिक बच्चे पैदा करने की सामान्य अनुमति है.यह व्यवस्था इसलिए लागू की गयी है क्योंकि चीन की जनसंख्या बहुत अधिक है.इस समय वह 1 अरब 30 करोड़ तक जा पहुंची है.यदि जनसंख्या पर नियंत्रण न रखा जाए,तो तरह-तरह के संसाधनों की ज्यादा खपत होगी और आर्थिक विकास अवरुद्ध हो जाएगा.

आजमगढ़ उत्तर प्रदेश की नौशाबा परवीन आजमी और उन की सहेलियों ने चीन की शिक्षा-नीति के बारे में जानकारी प्राप्त करने की इच्छा व्यक्त की है.

बहनों,चीन ने विज्ञान औऱ शिक्षा के भरोसे विकास करने की रणनीति तय कर ली है,देश के विकास में शिक्षा को बराबर प्राथमिकता दी जाती है.बजट में शिक्षा पर खर्च 23 प्रतिशत की औसत वार्षिक दर से बढता गया है.

शिक्षा के विकास को सुनिश्चित करने के लिए चीन सरकार ने अनेक कानून तैयार किए हैं.1995 में शिक्षा कानून जारी किया गया.यह शिक्षा के क्षेत्र में एक बुनियादी कानून है जिस के अनुसार अन्य कानून और अधिनियम बनाए गये हैं.अब तक अव्यस्क संरक्षण कानून,अध्यापक कानून,अनिवार्य शिक्षा कानून,व्यावसायिक शिक्षा कानून और संबंधित अधिनियम जारी हो चुके हैं.इस के अलावा उच्च शिक्षा कानून का प्रारुप भी तैयार किया गया है.यही नहीं,हर साल इस कानूनों के क्रियान्वयन की स्थिति का जायजा लिया जाता है तथा संबंधित रिपोर्टें राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा में पेश की जाती हैं.इस समय चीन की कोई 90 प्रतिशत जन संख्या वाले क्षेत्रों में नौ वर्षीय अनिवार्य शिक्षा व्यवस्था लागू हुई है.2006 में देश के कोई 1022 उच्चशिक्षालयों ने लगभग 12 लाख परीक्षार्थियों को दाखिला दिया और कालेज छात्रों की संख्या करीब 36 लाख थी.पिछले 20 सालों में कोई 2 करोड़ छात्र स्नातक हुए हैं.कोई 99.8प्रतिशत स्कूली उम्र वाले बच्चों को प्राथमिक शिक्षा पाने का अवसर मिला है.विकलांग शिक्षा-कार्य का भी तेजी से विकास हुआ है.पिछले दसेक सालों में लगभग 10 लाख विकलांगों ने विभिन्न स्तरीय शिक्षा पूरी की है.तीन उच्च शिक्षालय ऐसे हैं जो विशेषकर विकलांग छात्रों को ही दाखिला देते हैं.

चीन सरकार की शिक्षा विकास कार्ययोजना के अनुसार सन् 2010 तक आर्थिक दृष्टि से विकसित शहरी क्षेत्रों में उच्चतर शिक्षा का प्रसार पूरा किया जाएगा तथा 15 प्रतिशत उच्चतर शिक्षा प्राप्त छात्रों को उच्चशिक्षालयों में दाखिला दिया जाएगा.इस बीच एक आजीवन शिक्षा व्यवस्था भी आरंभिक तौर पर स्थापित होगी.