सी .आर.आई के हिन्दी विभाग के इस पुराने और नियमित श्रोता मित्र फैज ने इस बार के पत्र में कहा कि आप लोगों को जान कर बड़ी खुशी होगी कि हम लोग सी .आर .आई के प्रसारित तमाम कार्यक्रमों को बड़ी लगन व दिलचलस्पी से सुनते हैं । तमाम कार्यक्रम चीन का भ्रमण , आप से मिले , खेल जगत , आज का तिब्बत , आप का पत्र मिला और आप की पसंद बहुत पसंद है । मगर खेद है कि आक की पसंद में श्रोता संघ का नाम जैसे आजमी रेडियो लिस्नर्स क्लब का नाम अकसर आजमी रेडियो लिमिटेड क्लब कहा जाया है , उसे दुरूस्त कर ले ।
फैज अहमद फैज को धन्यावाद है , एक पुराने श्रोता होने के नाते आप ने बड़े जिम्मेदाराना रवैये से हमारे प्रसारण में आई त्रुटि को ठीक किया , आप के पत्र से हिन्दी प्रसारण में सुधार के लिए काफी मदद मिलती है । हम चाहते हैं कि आप इसी तरह आगे भी हमारे कार्यक्रमों में आयी कमी साफ साफ बताएं , ताकि हमारे कार्यक्रम और निखर जाएंगे ।
यह है ढोली सकरा बिहार के दीपक कुमार दास का पत्र । आप भी सी .आर .आई के हिन्दी प्रसारण के पुराने और सक्रिय श्रोता हैं , पिछले कई सालों से आप के पत्र हमें मिलते रहते हैं। आज के इस पत्र में आप ने यह कहा है कि सी .आर .आई के हिन्दी प्रसारित साप्ताहिक कार्यक्रमों में प्रस्तुति विषय वस्तु उच्च गुणवता के कारण श्रोता विशेष रूचि ले रहे हैं । चीनी भाषा भाषी के बावजूद हिन्दी की बोली हिन्दी व्याकरण युक्त होता है । अन्य विदेशी प्रसारणों में सी .आर.आई का दर्जा काफी उच्च कोटि का हो गया है । प्रसिद्ध कार्यक्रम आज का तिब्बत श्रोताओं के दिल की धड़कन है , इसे सुने बिना श्रोताओं को चैन नहीं है । आज भारत में सी .आर .आई के हिन्दी , बंगली , ऊर्दू और अंग्रेजी के अलावा तमिल और नेपाली भी श्रोता बड़े चाव से सुनते हैं ।
दीपक कुमार दास ने इस बार पत्र के साथ एक कविता लिख कर भेजी है , जो हमें बहुत पसंद आयी है । अब मैं दीपक कुमार दास की इस कविता पढ़ कर आप लोगों को भी सुनाऊंगी , आप लोगों को जरूर पसंद आएगी । कविता का नाम है तुम्हारा अहसास
तुम्हें आज तक देखा नहीं ,
फिर भी तुम्हारा अहसास है ,
तुम्हें आज तक छुआ नहीं ,
फिर भी तुम्हारे स्पर्श का आभास है ।
दिल में तुम्हारी प्यास है ,
और मन में एक कयास है ,
कि तुम चाहे जितनी दूर हो ,
तुम्हारा दिल , तुम्हारा रूह
मेरे और सिर्फ मेरे पास है ।
वही है मेसी सी .आर .आई है।
हमारे अनेक श्रोताओं ने बहुत संक्षिप्त पत्र लिख कर सी .आर .आई हिन्दी प्रसारण के प्रति अपना विचार पेश किया , उन के हौसले को बढ़ावा देने के लिए अब मैं उन के कुछ पत्र यहां है ।
नैनिताल उतरांचल के गनेष चंद्र जोशी ने पत्र भेज कर कहा कि सी .आर .आई हिन्दी सर्विस के सभी दोस्तों को प्यार भरा नमस्कार । मैं आप का नियमित श्रोता हूं , किन्तु मेरे पास समय सारणी नहीं है , अतः आप से निवेदन है कि मुझे समय सारणी व साहित्य भेजने की कृपा करें । यह मेरा पहला पत्र है , इसे प्राग्राम में जरूर स्थान दें ।
भीलवाड़ा बिहार के रमेश कुमार शर्मा ने पत्र लिख कर कहा कि आप द्वारा प्रेषित सामग्री प्राप्त हुई , पढ़ कर चीन के बारे में काफी जानकारी प्राप्त हुई । उम्मीद है कि आगे भी आप हमारे ज्ञान वर्धन में सहायत बनेंगे।
मेरी सोच में सी .आर .आई अन्य अन्तरराष्ट्रीय विदेशी भाषाओं के प्रसारण के अनुरूप भारतीय श्रोताओं में अपनी अच्छी पैठ जमा पाएगी । इस हेतु मैं अपने सुझाव प्रेषित कर रहा हूं कि वर्षों से सी .आर .आई के कार्यक्रम सुनते हुए मेरे अनुभव में लिख रहा हूं । एक सी .आर .आई चीन के प्रमुख समाचारों को ही स्थान दे ,सामान्य समाचार नहीं ।
दो , अर्थ , वित्त जगत की खबरों को नियमितता से प्रमुखता दें । तीन , भारतियों के दृष्टिकोण से क्रिकेट की खबरों को प्रमुखता दें और हिन्दी सेवा में भारतीय राजनीति की खबरों को नजरअंदाज नहीं करें ।
दरभंगा बिहार के प्रहलाद कुमार ठाकुर ने इस बार यह संक्षिप्त पत्र भेजा है , जिस में कहा गया है कि आज सांस्कृतिक जीवन कार्यक्रम में चाय घोड़ा मार्ग पर जानकारी मिली । यह जानकारी मेरे लिए बिलकुल नई है । साथ ही काफी दिलचस्प भी है । इस से पता चलता है कि भारत व चीन के बीच पूर्व में कितने घनिष्ठ संबंध थे । क्योंकि एक ओर व्यापारिक मार्ग रेशम मार्ग था । इस के लिए बहुत बहुत धन्यावाद ।
अल्पसंख्यक जाति कार्यक्रम में पेइचिंग में स्थित हुई जाति स्कूल के बारे में बताया था । इस में उन के बारे में जानकारी मिली । इस से यह भी पता चला है कि चीन सरकार शेष 55 अल्पसंख्यक जातियों के विकास पर कितना ध्यान देती है ।
मऊ उत्तर प्रदेश के मुहम्मद मंजर अब्बास ने अपने पत्र में कहा कि आप का कार्यक्रम मैं बहुत दिनों से सुनता आ रहा हूं । और आप की कई प्रतियोगिताओं में भाग भी लिया ।
लेकिन आप को पत्र पहली बार लिख रहा हूं । आप के कार्यक्रम की सब से अच्छी बात यह है कि अगर किसी कारणवश कार्यक्रम छूट गया हो , तो आप का दूसरा प्रसारण सुन ले , फिर दूसरा प्रसारण छूट जाए , तो तीसरा छूटने का सवाल पैदा ही नहीं होता , क्योंकि कोई मनुष्य एक गलती करता है , तो दूसरी सुधारने की कोशिश करता है , अगर दूसरी कोशिश भी नाकाम हो जाती है , तो तीसरी कोशिश में कामयाबी उस के कदम चूमती है ।