2009-04-21 14:14:36

पेइचंग में तिब्बती युवा पासांग और उस के दोस्त का जीवन

पेइचिंग में एक माक्ये आमे तिब्बती रेस्तरां है, जिस में पांसांग दावा और उस के दोस्त गाते नाचते अभिनय कर रहे हैं । इस रेस्तरां में प्रवेश करके आप को महसूस नहीं होगा कि आप पेइचिंग में है, तिब्बती शैली की लालटेनों में कोमल रोशनी दिखाई पड़ती है, शुद्ध तिब्बती पकवान और घी की खुशबू हवा में फैली हुई है, नाचते हुए तिब्बती युवा आनंद के साथ मदिरा गीत गा रहे हैं और मेहमानों को सफेद हादा प्रदान कर रहे हैं , मानो आप मेहमाननवाजी तिब्बती बंधु के घर में आए हों ।

जीवन वातावरण में हुए परिवर्तन से पासांग और गेरोंग आदि तिब्बती बंधुओं की धार्मिक आदत बरकरार रही । हर रोज़ वे सूत्र पढ़ते हैं । सुबह घी की चाय पीने के वक्त एक कटोरा घी चाय बुद्ध मूर्ति के सामने रखते हैं । तिब्बती पंचांग के अनुसार हर माह के 15वें दिन वे पेइचिंग में मशहूर तिब्बती लामा मंदिर योंग होगोंग भवन जाकर पूजा करते हैं । पांसांग ने कहा कि बौद्ध धर्म हमारा एक सदिच्छापूर्ण व दयालु व्यक्ति बनने की दिशा में मार्गदर्शन करता है । जीवन व वातावरण में कैसा भी परिवर्तन हो, हमारा धार्मिक विश्वास नहीं बदलेगा ।

तिब्बती बंधुओं के दिल में पोटाला महल एक अत्यंत पवित्र स्थल है । जिंदगी भर एक बार पोटाला महल जाना हर तिब्बती के दिल का सपना है । अनेक तिब्बतियों के लिए पोटाला महल जाना मुश्किल है । लेकिन पांसांग के दोस्त प्यानपा त्सेरिंग के लिए पाटाला महल बचपन में हर रोज़ जाने का स्थल है ।

माक्ये आमे रेस्तरां में कार्यरत प्यापा त्सेरिन का जन्म तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की राजधानी ल्हासा में हुआ । छुटपन से ही वह हर दिन दादी जी के साथ पोटाला महल जाकर पूजा करता था । प्यानपा त्सेरिन ने कहा:

"कभी कभार मैं दादी जी के साथ पोटाला महल में सूत्र पढ़ते हुए चक्कर लगाता था । लेकिन दादी जी हर दिन जरूर वहां सूत्र चक्कर लगाती हैं । इस के बाद वह बाज़ार जाकर कुछ खरीदती हैं । कभी-कभी मैं दादी की मदद करता था । इस तरह हर दिन वह मेरे साथ वहां जाना पसंद करती थी ।"

प्यानपा त्सेरिन ने कहा कि अब दादी संधिशोथ रोग से पीड़ित हैं, पैदल चलना सुविधापूर्ण नहीं है । लेकिन हर दिन वह व्हीलचेयर पर बैठकर पोटाला महल जा कर सूत्र चक्कर लगाती है । प्यानपा त्सेरिन ने कहा कि जब वह घर वापस लौटता है, तो दादी के साथ पोटाला महल जा कर सूत्र चक्कर लगाता है ।

पेइचिंग में कई साल बीत चुके हैं । पासांग और उस के दोस्त कभी घर वापस नहीं लौटते । लेकिन हर बार घर वापस लौटने के बाद जन्मस्थान में आए भारी परिवर्तन को देख कर उन्हें आश्चर्य होता है । पासांग का जन्मस्थान शांगरिला के सोंगहो गांव में स्थित है, जिस की ऊंचाई समुद्री सतह से 2700 मीटर से ज्यादा है । वर्ष 1999 में स्थानीय कस्बे के बस स्टेशन से अपने घर तक तीन या चार घंटे लगते थे, उस समय गांव से स्थानीय कस्बे जाकर कुछ कृषि उत्पाद बेचने के लिए उन्हें अस्सी या सौ से ज्यादा चीज़ों को पीठ पर लाद कर चार या पांच घंटे वाला पहाड़ी रास्ता चलना पड़ता था । लेकिन कई साल बाद पासांग के गांव में मार्ग खुल गया । तो पासांग के लिए बाहर से घर वापस लौटना सुविधापूर्ण हो गया ।

जन्मस्थान से दूर राजधानी पेइचिंग में रह रहे पासांग के परिवारजनों को कभी कभार उस की याद सताती है । लेकिन उन्होंने पासांग का हमेशा समर्थन किया है । हर बार माता पिता के फोन आने के वक्त उन का पहला वाक्य ज्यादा सीखो और ज्यादा पढ़ो है । इस की चर्चा में पासांग ने कहा:

"अब हमारे घर की स्थिति अच्छी हो गई है, खाने की पर्याप्त चीज़ें हैं । हम यहां की कमाई परिजनों को भेजते हैं । उन की आशा है कि हम अच्छी तरह अपनी देखभाल करेंगे और ज्यादा सीखेंगे ।"

पेइचिंग एक बहुत बड़ा मंच है, जो पासांग और उस के दोस्तों के लिए सीखने का मौका प्रदान करता है । वे मंगोल जातीय संगीत सुनते हैं और म्याओ जातीय गीत सीखते हैं । इस के साथ ही वे कभी-कभार विदेशी संगीत का अध्ययन भी करते हैं । तीनों तिब्बती युवाओं का सपना है कि सीखने के बाद घर वापस लौट कर अपनी जानकारी के अनुभवों के जरिए जन्मस्थान के जातीय संगीत विकास के लिए योगदान करेंगे । पासांग का कहना है कि वह अपने द्वारा गाए गए गीतों का संग्रहण कर एक एलबम बना कर तिब्बती संगीत का प्रसार प्रचार करना चाहता है । प्यापा त्सेरिन कंप्यूटर सीखना चाहता है, उस की इच्छा है कि ल्हासा वापस लौटने के बाद एक संगीत रूम खोल कर तिब्बती जातीय गीतों का संग्रहण करेगा, ताकि और अधिक लोग तिब्बती जातीय गीत सुन सकें । गेरोंग की योजना है कि घर वापस लौटने के बाद बच्चों को श्वानज़ी वाद्ययंत्र बजाना सिखाएगा । तिब्बती बंधु गेरोंग ने कहा:

"मैं अपने सपने को मूर्त रूप देने के लिए जरूर कोशश करूंगा । अगर अंत में कोई परिणाम नहीं निकलेगा, तो कोई बात नहीं । लेकिन हम कोशिश करेंगे।"

माक्ये आमे ने पासांग और उस के दोस्तों के सपने को मूर्त रूप देने के लिए एक खिड़की प्रदान की । यह तिब्बती संस्कृति को प्रदर्शित करने वाला स्थल है ,और पासांग और उस के दोस्त अन्य मित्रों से परिचय करने की खिड़की भी है । उन्होंने कहा कि माक्ये आमे उन का घर है, यहां आने वाला हर व्यक्ति गपशप करता है, शराब पीता है और एक साथ मदिरा गीत गाता है ।