हजारों वर्षों से चीनी लोग चीन की पीली नदी और यांत्सी नदी को माता नदी कह कर बुलाते हैं। लेकिन, इधर के वर्षों में नदियों के दोनों किनारों में स्थित कारखानों से आर्थिक विकास होने के साथ-साथ पर्यावरण का प्रदूषण भी साथ आया है। वर्ष 1999 से चीन द्वारा आयोजित माता नदी की रक्षा करने की कार्यवाई में हजारों युवा स्वयं सेवकों ने नदियों व तालाबों के पारिस्थितिकी संरक्षण में भाग लिया है। गत वर्ष इस गतिविधिs को संयुक्त राष्ट्र संघ का प्रथम पृथ्वी रक्षक पुरस्कार भी मिला। आज के इस कार्यक्रम में हम एक साथ पीली नदी की रक्षा करने में संलग्न अनेक युवा स्वयं सेवकों से मिलेंगे।
माता नदी की संरक्षण कार्यवाई चीन के युवा संगठन चीनी कम्युनिस्ट युवा लीग की केंद्रीय कमेटी द्वारा चीनी राष्ट्रीय पर्यावरण संरक्षण ब्यूरो आदि विभागों के साथ मिलकर आयोजित की गई एक परोपकारी गतिविधि है, जिस का मकसद चीन की पीली नदी और यांत्सी नदी के पारिस्थितिकी पर्यावरण का संरक्षण करना है। चीनी कम्युनिस्ट युवा लीग के एक संबंधित जिम्मेदार श्री ह च्वन खो ने परिचय देते समय बताया कि इस गतिविधि को विभिन्न स्थलों में आयोजित करने के बाद समाज का इसे व्यापक समर्थन मिला है और अच्छा परिणाम भी प्राप्त किया है। उन्होंने कहा ,
सात वर्षों से माता नदी की संरक्षण गतिविधि में कुल मिलाकर 35 करोड़ युवकों की भागीदारी हुई है। इस गतिविधि से देश-विदेश से 38 करोड़ से ज्यादा चीनी य्वान की पूंजी एकत्र की गई है। इस गतिविधि के तहत, चीन की बड़ी नदियों के क्षेत्रों में 2000 से ज्यादा 2 लाख 81 हजार हेक्टर भूमि में वन रोपण किया गया, और कारगर रुप से इन नदियों के पारिस्थितिकी पर्यावरण की स्थिति में सुधार लाया गया है।
सात वर्षों तक अनेक युवा स्वयं सेवकों ने इस गतिविधि में भाग लिया और पीली नदी व यांत्सी नदी आदि जलक्षेत्रों के पारिस्थितिकी पर्यावरण के संरक्षण में भागीदारी की। 28 वर्षीय मा श्यो फिंग इन में से एक हैं। उन का घर उत्तर पश्चिमी चीन के छिन हाई प्रांत की दा थुंग काउंटी में स्थित है, जो पीली नदी के ऊपरी भाग में है। इधर के वर्षों में दा थुंग काउंटी में कागज़ कारखाना, रासायनिक कारखाना आदि कारखानों की स्थापना की गयी। इन कारखानों से निकलने वाले प्रदूषित पानी का कड़ाई से निपटारा न किए जाने के कारण यह पानी इस काउंटी से गुज़रने वाली पीली नदी की शाखा नदी पेईछ्वेन नदी के पानी में मिलता रहा है और इस प्रकार इस की गुणवत्ता पर असर डाला है।
मा श्यो फिंग काउंटी के पर्यावरण निगरानी संस्था की निरीक्षक हैं और उन का रोजमर्रा का काम कारोबारों के पर्यावरण प्रदूषण की निगरानी करना है। उन के अनुसार, मैं अपने सहकर्मियों के साथ हर समय कारखानों से निकलने वाले पानी से पेइछ्वेन नदी में पैदा होने वाले प्रदूषण की निगरानी कर रही हूं। जब हमें पता चलता है कि किसी कारखाने में पर्यावरण के प्रदूषण की समस्या है, तो मैं तुरंत घटनास्थल पर पहुंचती हूं, और उस कारखाने को ऐसा करने से रोकती हूं।
काउंटी की पर्यावरण निगरानी संस्था के हस्तक्षेप से दस से ज्यादा कारखानों को बंद किया गया है या उन का स्थानांतरण किया गया है। लेकिन, इस परिणाम से वे संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने काउंटी में युवकों को इक्कठा करके पेइछ्वेन नदी के संरक्षण के लिए पर्यावरण संरक्षण स्वयं सेवक दल गठित किया और खुद वन रोपे। इतना ही नहीं, उन्होंने गर्मियों के मौसम में पारिस्थितिकी पर्यावरण शिविर , पर्यावरण संरक्षण की लिपि मैच और भाषण आदि गतिविधियों का आयोजन भी किया।
सुश्री मा श्यो फिंग ने बताया कि वे लोगों को यह बताना चाहती हैं कि पीली नदी के पानी को प्रदूषण से बचाना पृथ्वीव्यापी घटना है। उन के अनुसार, पीली नदी का संरक्षण करना न केवल हमारी जन्मभूमि का संरक्षण करना है, बल्कि हमारी सब की एक समान पृथ्वी का संरक्षण करना भी है। इसलिए, माता नदी का संरक्षण करना तो हमारी पृथ्वी का संरक्षण करना ही है।
सुश्री मा श्यो फिंग आदि स्वयं सेवकों की गतिविधियों ने स्थानीय क्षेत्रों में व्यापक प्रभाव पैदा किया है, जिस से और ज्यादा लोगों ने पर्यावरण संरक्षण के महत्व को जाना है। अब पर्यावरण संरक्षण और पीली नदी के स्रोत के पानी को साफ-सुथरा रखना स्थानीय लोगों की स्वेच्छा कार्यवाई बन चुकी है। भीतरी मंगोलिया स्वायत्त प्रदेश की तंग को काउंटी भी पीली नदी के मध्य व ऊपरी भाग में स्थित है। यहां पीली नदी की पारिस्थितिकी का संरक्षण करने वाला युवा स्वयं सेवकों का एक दल
मशहूर है। तंग को काउंटी में 50 किलोमीटर से अधिक दूरी तक पीली नदी के गुज़रने का रास्ता है, लेकिन, रेगिस्तान की स्थिति बहुत गंभीर है तंग को काउंटी हर वर्ष पीली नदी को लगभग 7 करोड़ टन रेत देती है। इस रेत से पीली नदी का जलस्तर बढ़ गया है और काउंटी में पानी आ जाने के कारण स्थानीय नागरिकों को जान-माल का बहुत नुकसान पहुंचा है। रेगिस्तान का निपटारा करना और पीली नदी की रक्षा करना काउंटी का केंद्रीय मिशन बन चुका है।
तंग को काउंटी के इस युवा स्वयं सेवक दल में 30 वर्षीय काओ योंग नेता हैं। उन्होंने कहा कि उन का प्रमुख मिशन और ज्यादा युवकों को पारिस्थितिकी निर्माण की प्रवृत्ति में भाग लेने को प्रोत्साहित करना है। उन के आह्वान व नेतृत्व में स्थानीय युवकों ने पीली नदी के पानी की गुणवत्ता और रेत की मात्रा की निगरानी करने के लिए माता नदी का संरक्षण करने वाले पारिस्थितीकी निगरानी स्टेशन की स्थापना की। हर वर्ष वसंत में वे लोग वन रोपते हैं या घास उगाते हैं और रेगिस्तान को हरा करते हैं। श्री काओ योंग ने कुछ युवकों का नेतृत्व करके रेगिस्तान के पारिस्थितिकी अर्थतंत्र का विकास भी किया है। उन के अनुसार,
मैंने उन के साथ मिल कर रेगिस्तान के पारिस्थितिकी पर्यावरण का निपटारा किया, दूसरी ओर मैंने इस से बड़ा आर्थिक लाभांश भी हासिल किया। हम मुख्यतः रेत का निपटारा करने वाले कुछ पेड़ उगाते हैं।
अब तंग को काउंटी विकास के बेहतर रास्ते पर आगे बढ़ चुकी है। पीली नदी के आसपास, अनेक लोगों ने अपनी विशेषता और विभिन्न तरीकों से संरक्षण की कार्यवाई में भाग लिया है।
पीली नदी के ह नाई प्रांत में रहने वाले श्री येई ल्येन को फोटो खींचना और कैलीग्राफी पसंद है। वे अकसर इन दो तरीकों से पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान देते हैं। उन्होंने पीली नदी के किनारे की रेगिस्तानी स्थिति के चित्र खींच करके प्रदर्शनी आयोजित की। उन के अनुसार, मैं आशा करता हूं कि इस तरह के प्रसार से लोगों को चेतावनी दे सकूंगा कि सब लोग पारिस्थितिकी पर ध्यान दें और पर्यावरण संरक्षण करें।
श्री येई ल्येन के पास कोई नौकरी नहीं है, इसलिए वे धनी आदमी नहीं हैं, फिर भी उन्होंने अपने पैसों से पेड़ों के बीज खरीदकर पीली नदी के पास 0.2 हेक्टर भूमि में पेड़ उगाये। पूरे एक वर्ष में उन्होंने विभिन्न स्थलों के मीडिल व प्राइमरी स्कूलों में जाकर पर्यावरण संरक्षण का प्रसार-प्रचार किया।
माता नदी की रक्षा करने वाले स्वयं सेवकों में अनेक विद्यार्थी भी हैं। वे सब अपने-अपने ढंग से माता नदी, पीली नदी के संरक्षण के लिए हरसंभव प्रयास करते हैं। पीली नदी जहां समुद्र में गिरती है उस जगह शैन तुंग प्रांत के एक विद्यार्थी ने अपने विश्विद्यालय में पर्यावरण संरक्षण संघ की स्थापना की और अपने सहपाठियों को लेकर कैम्पस में पुरानी बैटरियों को इक्कठा किया और वन रोपण किया या घास उगायी। इतना ही नहीं, उन लोगों ने सड़कों पर जाकर नागरिकों को पर्यावरण संरक्षण के बारे में बताया और प्रसार-प्रचार किया। उन्होंने कहा,
एक विद्यार्थी होने के नाते, हम कुछ निगरानी का काम नहीं कर पाते हैं, फिर भी हम प्रसार-प्रचार आदि गतिविधियों से लोगों को माता नदी पीली नदी के संरक्षण करने की विचारधारा दे सकती हैं।