चालू वर्ष चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में जनवादी सुधार की 50वीं वर्षगांठ है । पचास साल पूर्व तिब्बत की वास्तविक स्थिति से ज्यादा लोगों को अवगत कराने के लिए हाल में चीन की राजधानी पेइचिंग स्थित जातीय सांस्कृतिक भवन में"तिब्बत के जनवादी सुधार की 50वीं वर्षगांठ"शीर्षक चित्र प्रदर्शनी आयोजित की गई, जिस ने अनेकानेक पेइचिंग वासियों का ध्यान खींचा है।
"तिब्बत में जनवादी सुधार की 50वीं वर्षगांठ"शीर्षक चित्र प्रदर्शनी इस वर्ष की फरवरी में उद्घाटित हुई,यह चीन में तिब्बत के जनवादी सुधार के बारे में प्रथम बड़े पैमाने वाली चित्र प्रदर्शनी मानी जाती है, और हर दिन लगभग चार हज़ार लोग इसे देखने आते हैं । 500 से ज्यादा चित्रों तथा 180 से ज्यादा वस्तुओं ने अंधेरे, पुराने तिब्बत और सुन्दर नये तिब्बत को पूर्ण रुप से प्रदर्शित किया है, दर्शकों को चित्र देख कर एक वास्तविक तिब्बत के बारे में जानकारी मिल सकती है ।
मार्च की 18 तारीख को चीनी विदेश मंत्रालय ने पेइचिंग स्थित विदेशी प्रमुख मीडिया को चित्र प्रदर्शनी देखने के लिए आमंत्रित किया। कुल मिलाकर पेइचिंग स्थित 30 से ज्यादा विदेशी मीडिया के 50 से ज्यादा विदेशी पत्रकारों ने वर्तमान प्रदर्शनी को देखा। चीन स्थित पाकिस्तान की समाचार एजेंसी ए.पी.पी.यानि असोसिएटेत प्रेस आफ़ पाकिस्तान के संवाददाता श्री मसूद सत्तार खान ने कहा
"इन चित्रों को देखकर मुझे पता चला है कि लोकतांत्रिक सुधार से पहले तिब्बती लोगों का जीवन अत्यन्त दूभर था । पुराने तिब्बत में राजनीतिक व धार्मिक मिश्रित सामंती भूदास व्यवस्था लागू थी , उस समय तिब्बती लोगों का जीवन मुसीबतों से भरा था । लेकिन चीन सरकार ने तिब्बत में लोकतांत्रिक सुधार किया, इस के बाद वहां भारी परिवर्तन आया है । "
स्वीटज़रजर्लैंड से आए संवाददाता अलेइन आर्नड चित्र प्रदर्शनी देख कर आश्चर्यचकित रह गए । उन का कहना है:
"यह चित्र प्रदर्शनी देख कर मुझे आश्चर्य हुआ। तिब्बत के बारे में पश्चिमी रिपोर्टों में इस संदर्भ में कुछ नहीं है । चीन आने का मेरा एक कारण यह भी है । क्योंकि मुझे स्पष्ट रूप से मालूम है कि पश्चिमी मीडिया संस्थाओं को चीन की पूर्ण रूप से समझ नहीं है । मेरी आशा है कि सच्चा चीन, आम चीनी नागरिकों का जीवन और उन की आशंकाओं को भी समझ सकूं । मेरा विचार है कि आम चीनी नागरिकों के सामने मौजूद सवाल स्वीटज़रलैंड, फ्रांस और अमरीका आदि देशों के व्यक्तियों के सामने मौजूद सवाल एक ही हैं । इन में कोई फ़र्क नहीं है ।"
चित्र प्रदर्शनी देखने के दौरान मेरी मुलाकात नेपाल से आए श्री सुरेन्द्र पांडे से हुई । उन्होंने कहा कि तिब्बत यात्रा के दौरान उन्हें तिब्बती जनता के वास्तविक जीवन को देखा, मौजूदा चित्र प्रदर्शनी के जरिए उन्हें पचास साल पहले तिब्बती जनता की कठोर जीवन स्थिति मालूम हुई । दोनों की तुलना में उन्हें अनुभव हुआ कि आज के तिब्बत में इतना विकास हो रहा है और तिब्बती जनता सुखी जीवन बिता रही है ।
75 वर्षीय दादी लीन पेइचिंग वासी हैं । उन्होंने समाचार पत्रों के जरिए पेइचिंग जातीय संस्कृति भवन में"तिब्बत में जनवादी सुधार की 50वीं वर्षगांठ"शीर्षक चित्र प्रदर्शनी आयोजित होने की खबर पढ़ी और विशेष तौर पर चित्र प्रदर्शनी देखने आईं । दादी लिन ने कहा:
"यह प्रदर्शनी देखने के बाद मुझे लगता है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व के बिना तिब्बती भूदास मुक्ति कभी नहीं पा सकते, और तिब्बत में सामंती भूदास व्यवस्था को पूरी तरह नष्ट नहीं किया जा सकता । तिब्बत में जनवादी सुधार के पचास वर्ष असाधारण पचास वर्ष हैं, इन पचास वर्षों के विकास से तिब्बत में जमीन आसमान का फर्क पैदा हुआ है ।"
दादी लिन ने कहा कि हालांकि उन की उम्र ज्यादा हो गई है, लेकिन वे तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की यात्रा करने की इच्छुक हैं । यह चित्र प्रदर्शनी देखने के बाद उन्हें तिब्बत जाने की और जिज्ञासा हुई है, वे वहां जाएंगी और देखेंगी कि आज का तिब्बत कैसा है और आज की तिब्बती जनता का जीवन कैसा है ।