तिब्बत में तिब्बती लोग सुन्दर वेश-आभूषण पहनना पसंद करते हैं। उन के पोशाक रंगबिरंगे और नाना प्रकार के सोने, चांदी और मोति के रत्न-जेवर लगे हुए हैं। यह तिब्बती वेशभूषण की एक विशेषता है।
तिब्बती पोशाक में तिब्बती चोगा आम पहनाव है। शहरी निवासी बढ़िया ऊनी कपड़े का तिब्बती चोगा पहनते हैं और ग्रामीण लोग फुलू नामक हस्त उत्पादित ऊनी कपड़े का चोगा और चरवाहे चमड़े का चोगा पहनते हैं। तिब्बती पोशाक में कमरपेटी लाजिमी है और महिला के ऊनी स्कर्ट भी अलग विशेष शैली का है। तिब्बती टोपी भी अलग अनोखी है, ऊन, चमड़े और स्वर्ण-किनारे वाली टोपी ज्यादा मिलती है। तिब्बती जूता तिब्बती बूट कहलाता है और आभूषण में कैश-आभूषण, मुक्ता, मालाएं और वृक्ष, कमर व हाथ-कलाई पर के आभूषण प्रमुख हैं।
हाता फीता तिब्बती आभूषण का एक अहम भाग है। हाता तिब्बत में एक ऐसा कपड़े का लम्बा फीता है, जो प्रार्थना करने, समादर देने, मैत्री दिखाने तथा सदिच्छा जताने में शुभसूचक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। हाता बनाने वाले कच्चा माल, उस का रूपाकार, रंग और चौड़ाई लम्बाई भिन्न होते हैं । आम तौर पर हाता बुनने में सन के कपड़े का प्रयोग होता है। वर्तमान में हाता बहुधा कृतिम रेशे से निर्मित होता है। होता फीता अनेक अर्थों व रूपों में तह किया जाता है। सफेद रंग का हाता पवित्रता, सदिच्छा, ईमानदारी का सूचक है। इसलिए सफेद रंग के हाता ज्यादा है। इस के अलावा नीले, श्वेत, पीले, हरे और लाल पंचरंगों का रंगीन हाता है जो आकाश, बादल, नदी , देवता और भूमि के प्रतीक हैं।
पोशाक के अवाला तिब्बत में सिर पर के आभूषण, कर्णफूल-झुमका, वृक्ष के आभूषण और कमर व हाथ कलाई के आभूषण बहुत प्रचलित हैं।
तिब्बती महिलाओं के सिर पर मूंगा और मणि के आभूषण राजमुकुट की भांति ऊपर की ओर उठे है ,जो देखने में कुलीन लगता है। तिब्बती महिला लम्बे सिर के बाल को सुन्दर समझती है , सिर के बाल उन की हैसियत का प्रतीक है। उन के जीवन में कैश विन्यास से हैसियत के परिवर्तन साबित होता है। अविवाहित लड़की व युवती अनेक छोटी चोटियां बुन कर रहती है, विवाहित महिला के दो मोटी चोटियां होती हैं। बालों की चोटी पर जाल पहना जाता है, जिस पर फुलों की तस्वीर अंकित है और रजत सिक्का, मूंगा, मणि और सिपी आदि जेवर लगाये गए है।
तिब्बती महिला कर्णफूल , झुमका, बाली पसंद करती है और हार और खावु नाम का तावीज भी पहनती है।
कमरबंद आभूषण आम तौर पर रेशमी कपड़े या बैल चमड़े की कमरपेटी है , जिस पर पसंदीदा आभूषण भी लटकाया जाता है । पुरूष के पास कमरबंद चाकू, आग जलाने वाला पत्थर और हुक्का है और महिला के पास चांदी और तांबे के पात्र है, कंगन सोने, चांदी, जेड और सिपी चार किस्मों के होते हैं जो हाथ से बनाये जाते हैं। रिंग महिला और पुरूष दोनों पहनते हैं , ज्यादातर चांदी के हैं। धनी घरानों में सोने की रिंग प्रचलित है।
फुलू नामक कपड़ा तिब्बत में विशेष किस्म का बकरा ऊन से बुनी गयी वस्तु है, जो तिब्बती पोशाक और बूट बनाने वाला कच्चा माल है। इस का 2000 साल पुराना इतिहास है और तिब्बती जनजीवन में अत्यन्त महत्वपूर्ण और लोकप्रिय है ।
फुलू तिब्बतियों के हस्त शिल्प का कपड़ा है। वह मुलायम, बारीक और चिकड़ा हुआ है। फुलू बनाने में कताई, रंगनी, बुनाई और सुधार की कई प्रोसेसिंग प्रक्रिया होती है। बकरे के ऊन से बनाया जाने के कारण फुलू मजबूत ,टिकाऊ, गर्म होता है, इसलिए तिब्बती लोगों को बहुत पसंद है। ठंडे पठारी मौसम में फुलू से बनाया गया ऊनी कपड़ा बहुत उपयोगी है और चरगाहों के परिवर्तनशील मौसम के अनुकूल है।
फुलू ऊनी कपड़ों की अनेक किस्में हैं। चौड़ी धाका वाला ऊनी फुलू की ही 20 किस्में हैं , वे रंग में चमकीले और मुलायम तथा टिकाऊ है और तिब्बती बूट बनाने में इस्तेमाल होता है।
सूती फुलू का दाम सस्ता है और निम्न क्वालिटी वाले वस्त्र के जरी बनाने में उपयोगी है।
बांगत्यान यानी एप्रन वास्तव में तिब्बती महिला की कमरबंद आभूषण है और बाद में तिब्बती स्कर्ट का पर्याय बन गया।
बांगत्यान तिब्बती महिला के वस्त्र का आभूषण ही नहीं, बल्कि महिला के परिवान चढ़ने का प्रतीक भी है। तिब्बती बहुल क्षेत्रों में आयु में 15 साल पूरा होने पर लड़की का व्यस्क संस्कार किया जाता है जिस में मुख्यतः सिर पर मोती और कमर में पंचरंगे बांगत्यान पहने जाते हैं ,इसके बाद लड़की परिवार के ऊंची पीढ़ी के लोगों से हाता और आशीर्वाद स्वीकार कर लेती है।
बांगत्यान की बुनाई सूक्ष्म और रंग चमकीला है और हस्त कताई से बनाया जाता है , फिर रंग चढाया जाता है , ऊन साफ कर धारा के रूप में बुनाया जाता है और अंत में स्कर्ट बनाया जाता है। बांगत्यान का कच्चा माल फुलू का जैसा है।
तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के लोको क्षेत्र की गुंका काउंटी का चेत्हे कस्बा ऊनी कपड़ा उत्पादन स्थल है। वह बांगत्यान उत्पादक कस्बा कहलाता है। इतिहास में वहां कभी दुकानें बहुत ज्यादा थी। हर घर में बुनाई मशीन मिलती थी।
कालांतर के विकास और सुधार के परिणामस्वरूप अब चेत्हे कस्बे के ऊनी कपड़ों की वस्तुएं किस्म, रंग, चित्र और शिल्प के क्षेत्र में बहुत विकसित हो गयी हैं । अब कस्बे में 780 परिवार हैं , सभी ऊनी स्कर्ट बनाते हैं। कस्बे की चीजें चीन के अलावा भारत , नेपाल ,भूतान और पश्चिमी यूरोपीय देशों में भी बिकती हैं।
तिब्बती टोपी की अनेक किस्में हैं जिस में ऊनी टोपी, लोमड़ी के चमड़े की टोपी और सोने के जरी वाली टोपी प्रमुख है।
ऊनी टोपी प्राचीनतम तिब्बती टोपी है, जो सफेद ऊनी कपड़े से बनायी जाती है। टोपी के बाहर सफेद कपड़ा बंधा है और किनारे काले कपड़े का है । टोपी आकार में वनकशा जैसी है । इस प्रकार की टोपी की दो विशेषताएं हैं ,एक, उस का बाहर बंधा सफेद कपड़ा सुर्य किरण को रोक सकता है और दूसरा, बारिश से बचने और गर्मी बनाए रखने में सक्षम है।
लोमड़ी के चमड़े की टोपी पठारी चरगाह में सर्दियों के मौसम में पहने जाने वाली टोपी है। उसे गर्दन तक खींचा जा सकता है और ठंड से बचाया जा सकता है। इस प्रकार की टोपी की दो किस्में हैं यानी नुकीला और गोला ऊपरी भाग वाले। नुकीला वाली टोपी 30 सेंटीमीटर ऊंची है और गोला वाली टोपी बहुत से छोटे छोटे गोलाकार टुकड़ों से सी कर बनायी गयी है जो देखने में एक फूल सा लगती है। लोक गीत के यह बोल है--- लोमड़ी चमड़े की टोपी है, बाल पीले रंग का, शीतल हवा में लहराता, पानी की लहरों का जैसा।
स्वर्ण-जरी वाली टोपी तिब्बती बच्चे-बूढे और पुरूष नारी सभी की पसंदीदा टोपी है। टोपी पर स्वर्ण साटन और स्वर्ण रेशे का आभूषण है और ऊनी कपड़े व चमड़े से बनायी गयी है। धूप में टोपी का स्वर्ण आभूषण चमकदार दिखता है।
गसांशियो नाम की टोपी तिब्बती महिला की ग्रीष्मकालीन टोपी है , जो चार बांस खपचियों के ढांचे पर काला रंग के साटन से बनायी जाती है। टोपी का किनारा बाहर निकला है जो गर्मियों के दिन धूप से मुख बचाता है ।