2009-03-17 17:54:37

तिब्बती नागरिकों के जीवन में पचास वर्षों में आया भारी परिवर्तन

तिब्बत में जनवादी सुधार किए जाने के दौरान तिब्बती जनता का जीवन स्तर बड़ी हद तक उन्नत हुआ है और उन के पास व्यापक जनवादी अधिकार हैं । वर्ष 1961 में तिब्बत के विभिन्न स्थलों में आम चुनाव आयोजित शुरू किया गया, भूदास और गुलाम पहली बार देश के मालिक बनकर जनवादी अधिकारों का उपभोग करने लगे । मुक्ति प्राप्त करने वाले अनेक भूदास व गुलाम स्वायत्त प्रदेश के विभिन्न स्तरीय सरकारी नेता बन गए ।

वर्ष 1965 के सितम्बर माह में तिब्बत में प्रथम जन प्रतिनिधि सभा का अधिवेशन हुआ । तिब्बत स्वायत्त प्रदेश तथा तिब्बती जन सरकार की स्थापना औपचारिक तौर पर हुई , जिस से तिब्बत में विभिन्न जातियों की समानता, एकता, पारस्परिक सहायता व समान समृद्धि वाली नीति को विधिवत रूप से मूर्त रूप दिया गया और तिब्बती जनता को समानता के साथ देश के प्रबंधन में भागीदारी और स्वायत्त प्रदेश व अपने जातीय मामलों का प्रबंधन करने का हक मिला । तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के जन प्रतिनिधि सभा की स्थाई समिति के उप निदेशक श्री आतङ ने कहा:

" वर्ष 1965 के सितम्बर माह में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के जन प्रतिनिधि सम्मेलन के प्रथम अधिवेशन का आयोजन तिब्बत में जातीय क्षेत्रीय स्वशासन लागू किये जाने का प्रतीक है । इसी अधिवेशन में चुनाव के जरिए तिब्बत स्वायत्तप्रदेश की जन समिति पैदा हुई, इस तरह तिब्बत में जातीय क्षेत्रीय स्वशासन संस्था जन प्रतिनिधि सभा और जन समिति कायम हुई ।"

वर्ष 1965 में जातीय क्षेत्रीय स्वशासन व्यवस्था सारे तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में लागू की जाने लगी । जातीय क्षेत्रीय स्वशासन व्यवस्था के कार्यान्वयन के बाद से लेकर अब तक तिब्बत में आर्थिक, सांस्कृतिक और सामाजिक क्षेत्रों में जमीन आसमान का परिवर्तन आया है । गत शताब्दी के अस्सी वाले दशक के शुरू में चीन की केंद्र सरकार ने तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में ऐसी नीति अपनायी, जिस से किसान स्वतंत्र रूप से भूमि का प्रयोग व प्रबंधन कर सकतें हैं, पशु चरवाहों की निजी संपत्ति हैं, ये नीतियां दीर्घकाल तक नहीं बदलेंगी । सुरक्षित रिहायशी मकान परियोजना के आधार पर नए गांवों का निर्माण व मुफ्त इलाज के आधार पर कृषि व पशुपालन क्षेत्र में सहयोग चिकित्सा व्यवस्था आदि उदार नीतियों के कार्यान्वयन से अस्सी प्रतिशत तिब्बती किसानों व चरवाहों को वास्तविक लाभ मिला है ।

तिब्बत में जातीय क्षेत्रीय स्वशासन व्यवस्था के लागू किए जाने से तिब्बती जाति प्रधानता वाली अल्पसंख्यक जातियों को राजनीति में भाग लेकर सलाह मशविरे के अधिकार की कारगर गारंटी प्राप्त हुई । पता चला है कि चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा के प्रतिनिधियों में 20 तिब्बत से आये हैं, जिन में 12 तिब्बती नागरिक हैं, एक मेनबा जाति का है और एक लाओ बा जाति का है । तिब्बत में चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा के प्रतिनिधियों में तिब्बती जाति व अन्य अल्पसंख्यक जातियों की संख्या 70 प्रतिशत है। वर्तमान में सारे तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के विभिन्न दर्ज़ों वाले 34 हज़ार जन प्रतिनिधियों में 94 प्रतिशत तिब्बती जाति व अन्य अल्पसंख्यक जाति के लोग हैं । स्वायत्त प्रदेश के जन प्रतिनिधि सभा के प्रतिनिधियों ने जन प्रतिनिधि सभा के अधिवेशन के दौरान तिब्बत के राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और सामाजिक निर्माण क्षेत्रों में दस हज़ार से ज्यादा रायें व सुझाव पेश किए, जिन्होंने तिब्बत के आर्थिक व सामाजिक विकास को आगे बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है ।

तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की जन प्रतिनिधि सभा की स्थाई समिति के उप निदेशक श्री आतङ ने कहा:

"तिब्बती जाति और अन्य अल्पसंख्यक जाति के नागरिक बड़े उत्साह के साथ अपने राजनीतिक अधिकारों का उपभोग करते हैं । विभिन्न स्तरीय जन प्रतिनिधि सभा के चुनाव में उन की भागीदारी दर ऊंची है। वर्ष 2007 में सारे प्रदेश के जन प्रतिनिधि सभा के चुनावों में नागरिकों की भागीदारी दर 96.4 प्रतिशत थी, यहां तक कि कुछ स्थलों में यह दर शत प्रतिशत थी ।"

तिब्बत में आधुनिकीकरण निर्माण की गति तेज़ होने के चलते केंद्र सरकार ने अल्पसंख्यक जातियों के सरकारी कर्मचारियों व अल्पसंख्यक जातीय पेशेवर तकनीकी प्रतिभाओं को प्रशिक्षण देने की रणनीति अपनायी । आज पार्टियों व राजनीतिक क्षेत्रों में तिब्बती जाति की प्रधानता वाले कर्मचारी व पेशेवर तकनीकी प्रतिभाएं तिब्बत के विभिन्न स्तरीय नेता व विभिन्न क्षेत्रों के स्तंभ वाली शक्ति बन गए हैं। तिब्बत के सामाजिक विज्ञान अकादमी के अनुसंधानकर्ता श्री केल्ज़ांग येशे ने कहा:

"जनवादी सुधार किए जाने के बाद पचास वर्ष बीत चुके हैं । आधी शताब्दी में तिब्बत में जमीन आसमान का परिवर्तन आया है। तीन सौ से ज्यादा सालों में लागू की गई राजनीतिक व धार्मिक मिश्रित सामंती भूदास व्यवस्था वाले पुराने तिब्बत और जनवादी सुधार के बाद के पिछले 50 वर्षों के तिब्बत में भारी परिवर्तन हुआ है। अगर जनवादी सुधार न किया जाते और व्यवस्था में बदलाव न होता, तो तिब्बत के समाज में आज का बड़ा परिवर्तन कभी न आता ।"