चीन की तिब्बत चिकित्सा-औषधि का 2300 साल पुराना इतिहास है, वह चीन की राष्ट्रीय चिकित्सा-औषधि का एक चमकता हीरा है। लम्बे काल के विकास के दौरान में दीर्घकालिक रोग के इलाज व आसानी से पड़ने वाले रोगों व मुश्किल से दूर किए जाने वाले रोगों के इलाज में तिब्बती चिकित्सा-औषधि अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही हैं। आज के इस कार्यक्रम में हम आप को आधुनिक तिब्बती चिकित्सा-औषधि विकास पर कुछ जानकारी देगें।
तिब्बती औषधि की सामग्रियां समुद्र सतह से 3800 मीटर ऊंची बर्फीले इलाकों में पाए जाते हैं। आंकड़ो के अनुसार, छिंगहाए तिब्बत पठार में कुल 2000 से अधिक वनस्पतियां, करीब 160 किस्म के पशु व 80 से अधिक किस्म की औषधि के लिए इस्तेमाल किए जाने वाली वनस्पतियों का भंडार है। दुनिया के किसी भी राष्ट्र की चिकित्सा व औषधि तिब्बत की इस चिकित्सा औषधि की बराबरी नहीं कर सकती है।
पिछले हजारों सालों में परम्परागत तिब्बती औषधि अधिकतर हाथों से तैयार की जाती रही है, कच्ची औषधियों को हाथों से पीस कर निर्मित किया जाता रहा है। लेकिन इस तरह का तरीका इतनी आसानी से शरीर में समा नहीं सकता है। वर्तमान तिब्बती औषधियों को अधिक कारगर व सुरक्षित रूप से इलाजों में इस्तेमाल किए जाने के लिए तिब्बती औषधि उत्पादन कारखानों ने अनेक आधुनिक औषधि निर्मित तकनीकों को अपनाना शुरू कर दिया है। मिसाल के लिए, पानी और स्प्रिट से औषधि को गूंद कर वेक्यूम फुव्वारे से सुखा कर निर्मित किया जाता है, फिर उसके फालतू कारकों को अलग व छंटनी कर टेबलेट , कैप्सयूल या टौनिक आदि जैसी दवाईयों का रूप दिया जाता हैं।
तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की तिब्बती औषधि कारखाने ने हाल ही में तिब्बती औषधि हाई टैक उत्पादन मानकीकरण आदर्श परियोजना लागू की है, इस का मकसद और अधिक बेहतरीन रूप से तिब्बती औषधि की तकनीकी गुणवत्ता को उन्नत करना है। तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के तिब्बती औषधि उत्पादन कारखाने के प्रबंधक कुंगानोरबू ने हमें जानकारी देते हुए बताया
"इस परियोजना में कुल 9 करोड़ 80 लाख य्वान का निवेश किया गया है, इन में एक करोड़ राष्ट्र द्वारा निशुल्क सब्सीडी के रूप में प्रदान की गयी हैं। इस परियोजना के शुरू होने से सबसे पहले औषधि को टेबलेट के रूप में निर्माण करने की तकनीकी गुणवत्ता कहीं बेहतर हो गयी है, इस में कैप्सयूल, टौनिक व विलेप औषधियां तिब्बती औषधियों की केन्द्रीय प्रतिस्पर्धाओं में खरी उतरी हैं।"
जानकारी के अनुसार, तिब्बती चिकित्सा-औषधि के तेज विकास को आगे बढ़ाने के लिए, तिब्बती सरकार ने दस साल पहले से ही तिब्बती औषधि कार्य को सुदृढ़ करने का निर्णय लिया था, इस के बाद तिब्बती औषधि को स्थानीय प्राथमिक विकास का विशेष स्तंभ उद्योग तय किया गया। तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के तिब्बती औषधि कारखाने के प्रबंधक कुंगानोरबू का मानना है कि तिब्बती औषधि के विकास के लिए नयी तकनीकों का प्रयोग एक अनिवार्य कदम होगा। इस लक्ष्य को साकारने के लिए इस कारखाने ने 2002 में राष्ट्रीय जी एम पी यानी गुड मैन्यूफैक्चरिंग प्रेक्टिस की मान्यता प्राप्त कर दो आधुनिक औषधि निर्मित कारखानों का आयात किया। प्रत्येक वर्कशाप में देश की सबसे समुन्नत व पूर्ण स्वंयचलित औषधि मशीनों व माइक्रो किटाणु नाशक उपकरणों आदि आधुनिक औषधि निर्मित साज सामानों को औषधि निर्मित लाइन में लगाया, जो राष्ट्रीय अव्वल नम्बर की आधुनिक उत्पादन लाइन मानी जाती है, इस आधुनिक लाइन के सहारे प्रति वर्ष 130 से अधिक टन औषधियों का निर्माण किये जाने के साथ 350 से अधिक किस्म की तिब्बती औषधि भी निर्मित की जाती है।
इस के अलावा, तिब्बती औषधि उद्योग के विकास व औषधि कच्चे मालों के संसाधन के अभाव की जानकारी हासिल करने के लिए, तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की सरकार और तिब्बती औषधि कारखानों, विज्ञान अनुसंधान विभागों ने तिब्बती औषधि सामग्रियों के अनुसंधान व प्रजनन को प्रबल करना शुरू कर दिया। इधर के सालों में अलग अलग तौर से तिब्बती औषधि वनस्पति बुवाई अडडों का निर्माण करने व दुर्लभ औषधि के कृत्रिम बुवाई कार्य पर बल दिया जा रहा है, जिस से तिब्बती औषधि के उत्पादनकरण के लिए एक पक्की नींव तैयार की गयी है, इन में आंशिक परियोजनाओं को सफलता हासिल हो चुकी है, उन्हे अब ग्रीन हाउस से निकाल कर खेतों में उगाया जा रहा हैं। इधर के सालों में तिब्बती औषधि का अनुसंधान भी अधिक गहराई की ओर कदम बढ़ा रहा है। जानकारी के अनुसार, विभिन्न तिब्बती औषधि संस्थाओं ने करीब सौ विशेष ग्रंथो व चीन चिकित्सा आदि पुस्तकों को राष्ट्रीय विज्ञान अनुसंधान परियोजना में शामिल किया हैं। इस के अलावा, अमरीका के कोलाराडो यूनीवर्सिटी ने तिब्बत मेडिकल कालेज के साथ मिलकर तिब्बती औषधि से पठार रोगों की रोकथाम आदि पर अनुसंधान सहयोग किया है और तिबब्त के चार चिकित्सा ग्रंथो को अंग्रेजी, फ्रांस, रूस और जापान आदि भाषाओं में भी प्रकाशित किया है।
वर्तमान तिब्बत की विभिन्न जगहों में तिब्बत अस्पताल व तिब्बती चिकित्सा कलिनिक की स्थापना की गयी है और प्रदेश के सात शहरों और पांच इलाकों में काउंटी स्तरीय अस्पतालों की भी स्थापना की है। पूरे देश के 10 शहरों में भी तिब्बती अस्पतालों व चिकित्सा संस्थाओं की स्थापना की जा चुकी है। और तो और 26 वें जेनेवा अन्तरराष्ट्रीय अविष्कार व नवीन तकनीक प्रदर्शनी में तिब्बत द्वारा उत्पादन तिब्बती औषधि रोडियोला व छीचंग को अन्तरराष्ट्रीय अविष्कार पुरूस्कार मिला है और फिलहाल वे अमरीका, जापान और कोरिया गणराज्य आदि 20 देशों में प्रवेश कर चुकी हैं।
तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के विकास व सुधार आयोग के अधिकारी यांग छ्येन ने हमारे संवाददाता को बताया कि सरकारी विभाग तिब्बती औषधि नीति,पूंजी निवेश व मानव शक्ति को अधिक प्रगाढ़ करेगी और हर संभव कोशिशों से तिब्बती औषधि को अन्तरराष्ट्रीय में प्रवेश करने की कार्यवाहियां जारी रखेगी। उन्होने कहा
तिब्बती औषधि को अन्तरराष्ट्रीय की अग्रिम पंक्ति में प्रवेश कराना हमारा फर्ज है, इस तरह हम तिब्बती औषधि के विज्ञान तकनीक की नयी विचारधारा को उन्नत कर सकेगें। हम हर साल उद्योगों की तकनीकी सुधार व तकनीकी नवीनतम को प्रेरित करने के लिए 14 लाख य्वान की पूंजी डालते हैं। इस के अलावा हम उद्योगों को ऋण सब्सीडी भी प्रदान करते हैं।
इस के अतिरिक्त चीनी विज्ञान तकनीक मंत्रालय से मिली खबर के अनुसार, तिब्बती औषधि अविष्कार की कुंजीभूत तकनीक अनुसंधान व मिसाल प्रस्ताव को इस साल की राष्ट्रीय विज्ञान तकनीक योजना की एक प्राथमिक परियोजना तय की है। इस का मतलब यह है कि चीन सरकार 1 करोड़ 70 लाख से अधिक य्वान धनराशि को तिब्बती औषधि के आधुनिकीकरण उत्पादन तकनीक में प्रयोग करेगी।