2009-01-22 15:03:48

हजारों वर्षों में चीनी राष्ट्र अपनी आंखों की तरह तू च्यांग येन मूल्यवान समझता है

पिछले दो हजार से अधिक वर्षों के इतिहास में चाहे कोई भी सरकार शासन पर क्यों न आयी , तू च्यांग येन जल परियोजना का संरक्षण ठीक ठाक से बरकरार बनाने को अत्यंत महत्व देती है , इतना ही नहीं , नये चीन की स्थापना के बाद केंद्रीय सरकार ने इस परियोजना को संपूर्ण बनाने और सिंचित खेतों को विस्तृत करने के लिये अतिरिक्त पूरक परियोजनाएं भी निर्मित की , ताकि तू च्यांग येन जल परियोजना का फायदा उठाकर लोगों की भलाई के लिये और अधिक उपयुक्त हो सके । पिछले हजारों वर्षों में चीनी राष्ट्र अपनी आंखों की तरह इसे मूल्यवान समझता है और स्थानीय जनता इस जल परियोजना के संस्थापक ली पिंग का देवता के रूप में सम्मान करती आयी है तथा उन के आभार के लिए स्थानीय लोगों ने ली पिंग और उन के बेटे के सम्मान में इस परियोजना के पास एक अड़ वांग म्याओ यानी दुदेवता मंदिर का निर्माण कर दिया ।

प्रिय दोस्तो , तू च्यांग येन जल परियोजना के दूसरे भाग फेशायेन की चौड़ाई 200 मीटर है , उस का काम बाहरी नदी से नीचे बहाये गये रेतों को दुबारा एक विशेष स्थान तक ले जाता है , ताकि अधिक रेतों भरी मिट्टी नदी की तह पर न जम जाये । बोतल मुंह नामक परियोजना अंदर नदी के गले पर नियंत्रण रखकर अतिरिक्त पानी निकालने का काम देती है । जबकि रेत बांध तीन सौ मीटर लम्बा और दो मीटर ऊंचा है , जब पानी खतरनाक रेखा तक उमड़ आता है , तो वह अतिरिक्त पानी और 90 प्रतिशत के रेतों को सीधे बाहर नदी में ले जाता है । वह स्वचालित रूप से मीन च्यांग नदी के पानी के बहाव पर नियंत्रण रखा जाता है । जिस से यह परियोजना अपने आप बाढ़ की रोकथाम , रेतों के निकासी और सिंचाई की भूमीका निभाने में सक्षम हो गयी है । आज वह भी छंग तू मैदान के छै प्रिफेक्चरों की 36 कांऊटियों व शहरों के 660 लाख हैक्टर से खेतों की सिंचाई करती आयी है ।

सीलिये पिछले दो हजार से अधिक वर्षों के इतिहास में चाहे कोई भी सरकार शासन पर क्यों न आयी , तू च्यांग येन जल परियोजना का संरक्षण ठीक ठाक से बरकरार बनाने को अत्यंत महत्व देती है , इतना ही नहीं , नये चीन की स्थापना के बाद केंद्रीय सरकार ने इस परियोजना को संपूर्ण बनाने और सिंचित खेतों को विस्तृत करने के लिये अतिरिक्त पूरक परियोजनाएं भी निर्मित की , ताकि तू च्यांग येन जल परियोजना का फायदा उठाकर लोगों की भलाई के लिये और अधिक उपयुक्त हो सके । पिछले हजारों वर्षों में चीनी राष्ट्र अपनी आंखों की तरह इसे मूल्यवान समझता है और स्थानीय जनता इस जल परियोजना के संस्थापक ली पिंग का देवता के रूप में सम्मान करती आयी है तथा उन के आभार के लिए स्थानीय लोगों ने ली पिंग और उन के बेटे के सम्मान में इस परियोजना के पास एक अड़ वांग म्याओ यानी दुदेवता मंदिर का निर्माण कर दिया ।

कहा जाता है कि ली पिंग की कोई संतान नहीं थी , पर चीनी ताउ धर्म के विश्वास के अनुसार संतान के बिना अशुभ माना जाता है , इसीलिये स्थानीय लोगों ने उन के एक बेटे की कल्पना की और उन के सम्मान में दूदेवता मंदिर का निर्माण कर लिया , पर ताउ धर्म के तथ्यों पर विश्वास के विचार के मद्देनजर मंदिर में सिर्फ ली पिंग की मूर्ति खड़ी हुई है । इस दुदेवता मंदिर मिन च्यांग नदी के पूर्वी तट पर खड़े पर्वत की तलहदी में स्थित है , उस की स्थापना आज से कोई डेढ़ हजार वर्षों से पहले हुई थी , पिछले हजारों वर्षों में तेज हवाओं और बारिशों की थपेड़ों से इस मंदिर को क्षति पहुंच गयी , स्थानीय लोगों ने लगातार इस मंदिर को जीर्णोंद्धार किया और आसपास बहुत से दुर्लभ पेड़ पौधे भी लगाये । इस प्रकार यह मंदिर धीरे धीरे एक बहुत पवित्र व सुंदर रमणीक पर्यटन स्थल का रूप ले चुका है । अब इस मंदिर का कुल क्षेत्रफल 50 वर्गमीटर विशाल है , उस की वास्तुशैली चीन के दूसरे मंदिरों की परम्परागत वास्तुशैलियों से अलग है , वह मुख्य तौर पर स्थानीय भौगोलिक स्थिति के अनुसार निर्मित हुआ है ।

पिछले दो हजार वर्षों में स्थानीय लोगों के बीच ली पिंग और उन के बेटे की पूजा करने की परम्परा बनी रही है । खासकर चीनी पंचांग के अनुसार हर वर्ष की 20 जून को बड़ी तादाद में लोग मोमबत्ति ,धूपबत्ति और अन्य बहुत सारे प्रासाद लिये इस मंदिर की ओर उमड़ आते हैं और धार्मिक तरीकों से इस महान जल परियोजना के संस्थापक ली पिंग की याद करते हैं । मजे की बात यह भी है कि कुछ स्थानीय लोग अपने नवजात बच्चों का नाम पिंग पुकारना पसंद भी करते हैं ।