2009-01-12 16:01:02

वेवूर अनुवादक श्री यासन अवाज और उन की रचना

चीन की अल्पसंख्यक जाति कार्यक्रम सुनने के लिए आप का हार्दिक स्वागत ।आप जानते होंगे कि चीन के थांग राजवंश काल की कविताओं का चीन में ही नहीं , बल्कि विश्व के साहित्य इतिहास में खास ऊंचा स्थान रहा है । बड़ी संख्या में थांग राजवंश कालीन कविताओं का अंग्रेजी , फ्रांसीसी , रूसी और जर्मन भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है , चीन देश के भीतर भी उन का मंगोल व कोरियाई जैसी अल्पसंख्यक जातियों की भाषा में अनुवाद हुआ । लेकिन चीन की वेवूर जाति की भाषा में थांग राजवंश कालीन कविताओं का अनुवाद इस साल के मार्च माह में ही पूरा करके प्रकाशित हुआ , जिस का अनुवाद वेवूर अनुवादक श्री यासन .अवाज ने किया । आज के अल्पसंख्यक जाति कार्यक्रम के अन्तगर्त चले सिन्चांग का दौरा में मैं श्री यासन अवाज के बारे में कुछ परिचय दूंगी ।

वेवूर जाति के मशहूर अनुवादक श्री यासन .अवाज से हमारी मुलाकात सिन्चांग वेवूर स्वायत्त प्रदेश के सरकारी साहित्य इतिहास संग्रहालय में हुई , श्री यासन अवाज इस संग्रहालय में विशेष शोधकर्ता के रूप में कार्यरत हैं ।

मार्च माह के एक दिन , मौसम बहुत सुहावना था , सिन्चांग वेवूर स्वायत्त प्रदेश की राजधानी ऊरूमुची के जातीय भवन में चश्मा पहने प्रोफेसर यासन .अवाज थांग राजवंश की तीन सौ कविताओं का एक संग्रह लगन से पढ़ रहे थे , इसी संग्रह का प्रोफेसर यासन .अवाज ने हाल ही में वेवूर भाषा में अनुवाद करके प्रकाशन किया ।

श्री यासन अवाज का जन्म सिन्चांग के काश्गर क्षेत्र की इंचिशा काऊंटी में हुआ , 12 साल की उम्र में उन के पिता इस दुनिया से चल बसे , इस तरह घर का जीविका बोझ उन के बड़े भाई और बड़ी बहन के कंधे पर पड़ा और छोटे यासन .अवाज की पढ़ाई भी भाई बहन की मदद से पूरी हुई ।

मीडिल स्कूल में यासन .अवाज को देश के साहित्य में गहरी रूचि पैदा हुई थी , लेकिन घर की गरीब आर्थिक स्थिति के कारण यासन के लिए साहित्य की पुस्तकें खरीदना नामुमकिन था , घर में जो एकमात्र लोक काव्य पुस्तक थी , उस के तमाम विषयों को यासन अवाज ने रट कर याद कर लिया । लोककाव्य में दर्शनात्मक बौध निहित था , जिस ने साहित्य के सृजन के लिए यासन अवाज की बुद्धि खोल दी और उन्हों ने उस समय ही कविता लिखना शुरू किया , उन की कुछ रचनाएं भी उस समय की स्थानीय पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित की गई थी ।

हाई स्कूल से स्नातक होने के बाद अपनी श्रेष्ठ पढ़ाई के कारण वे पेइचिंग के एक मशहूर विश्वविद्यालय में हान भाषा पढ़ने के लिए भेजे गए । पेइचिंग में पढ़ने के दौरान उन्हों ने बड़ी मात्रा में चीन के क्लासिक और आधुनिक साहित्य पढ़े , जिस से उन में थांग राजवंश की कविताओं में विशेष रूचि उत्पन्न हुई । इस पर उन्हों ने हमें बताया, थांग राजवंश कालीन कविता पढ़ने से मुझे यो लगता था , मानो मैं किसी रहस्यमय राज्य में प्रवेश कर गया हो । मेरी नजर के सामने सुन्दर सुन्दर तस्वीरें दिखाई पड़ीं , जिन में मनमोहक प्राकृतिक सौंदर्य , विभिन्न स्वरूपों के शख्स , गली बाजारों के दृश्य और कथा कहानी मुझे लुभाते हो । मुझे लगता है कि कविता जेड की भांति कोमल , मुलायम और खूबसूरत है , लेकिन कविता का गुढ समझना मुश्किल है । थांग कालीन कविताओं को समझने के लिए मैं ने वेवूर भाषा का अनुवाद तलाशने की लाख कोशिश की थी , किन्तु इस समय का वेवूर भाषा में अनुवादित थांग कालीन कविता सटीक नहीं थी और कविता का सुन्दर बौध लुप्त हुआ था । इसी के कारण मैं ने थांग कालीन कविताओं का अनुवाद करने की अपनी कोशिश शुरू की , इस प्रकार की कोशिश से आगे थांग कालीन कविताओं का बेहतर अनुवाद करने के लिए मजबूत आधार तैयार किया गया ।

इस लेख का दूसरा भाग अगली बार प्रस्तुत होगा, कृप्या इसे पढ़े। (श्याओयांग)