इस साल 14 मार्च को चीन के सुप्रसिद्ध संगीतकार दिवंगत वांग लो पिन की ग्यारहवीं बरसी थी । इस महान संगीतकार की स्मृति में चीन के सिन्चांग वेवूर स्वायत्त प्रदेश की विभिन्न जातियों में सिलसिलेवार गतिविधियों का आयोजन किया गया । दिवंगत संगीतकार वांग लो पिन की आधी जिन्गदी सिन्चांग में गुजरी थी और उन्हों ने सिन्चांग के जातीय लोक गीतों के विकास के लिए असाधारण भारी योगदान किया था ।
यह मधुर गीत आप जो सुन रहे हैं , वह स्वर्गीय वांग लो पिन की प्रमुख रचनाओं में से एक है , नाम है दूर जगह पर वह लड़की । यह गीत आज से दसियों साल पहले पश्चिमी चीन में प्रचलित एक बहुत जनप्रिय लोक गीत था , जिसे वांग लो पिन ने संकलित कर रूपांतरित किया और शीघ्र ही चीन भर में मशहूर हो गया , बाद में यह गीत विश्व के अन्य स्थानों में भी पसंद किया गया ।
वांग लोपिन का जन्म पेइचिंग में हुआ था , उन के पिता एक पेइचिंग ओपेरा प्रेमी थे और चीनी परम्परागत तंतु वाद्य के शोकिया वादक भी थे । पिता से प्रभावित हो कर श्री वांग लोपिन भी संगीत से जिन्दगी भर जुड़ गए ।
युवावस्था में वांग लोपिन ने पेइचिंग के एक मशहूर विश्वविद्यालय के संगीत विभाग में यूरोपीय क्लासिक संगीत की शिक्षा ली । लेकिन जब एक बार वे उत्तर पश्चिम चीन के लानचाओ प्रांत के निरीक्षण दौर पर गए , तो संयोग से एक ग्रामीण महिला की आवाज में वहां प्रचलित लोक गीत ह्वार सुनने को मिला , इस उत्साह , सादा भावना और गर्मजोशी से भरे गीत से वांग लोपिन इतना प्रभावित हो गए कि उन्हों ने फ्रांस के पैरिस में पढ़ने का मौका त्याग कर उत्तर पश्चिमी चीन में लोक गीतों का संकलन और सृजन करने का संकल्प किया ।
वर्ष 1949 में वांग लोपिन देश के पश्चिमी भाग में स्थित सिन्चांग आए । सिन्चांग में वेवूर और कजाख आदि अनेक अल्पसंख्यक जातियां रहती हैं । इन जातियों की विशेष शैली के संगीत ने उन्हें मनमुग्ध कर दिया और लोक गीत सृजन के लिए उन का स्वर्ण काल भी आरंभ हुआ।
उस जमाने में आधुनिक यातायात साधन कम होने के कारण वांग लो पिन अकसर ऊंट , घोड़े , बैल और गदहे पर सवार हो कर गांव गांव जाते थे और लोक गीतों को संगृहित करने की कोशिश करते थे । सिन्चांग में पठारी पहाड़ों पर कड़ाके की सर्दी होने , तपती गर्मी वाले रेगिस्तान और दुर्गम पहाड़ी रास्ते के साथ स्थानीय भाषा नहीं जानने तथा जातीय रीति रिवाजों से अपरिचित होने के कारण शुरू शुरू में श्री वांग लो पिन को ढेर सारी अकल्पनीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ा , फिर भी उन्हों ने संगीत के लिए अपनी कोशिश कभी नहीं छोड़ी ।
वांग लोपिन ने जो लोक गीत बनाये थे , वह सभी मधुर और सुबौध थे और बहुत लोकप्रिय रहे थे । वांग लोपिन के मित्र जङ छ्ये ने कहा कि वांग लो पिन के विचार में चीनी भाषा के शब्दों में ताल और लय की विशेषता होती है , इसलिए गीत के बोल पर धुन बनाने की अपना एक अलग नियम होता है । श्री जङछ्ये ने कहा, उन्हों ने धुन के लिए बोल लिखने और बोल पर धुन बनाने के नियमों का गहरा अध्ययन किया और इस में निपुणता प्राप्त की थी , उन्हों ने चीनी भाषा के लय नियम का जो गहन अध्ययन किया था, वह अन्य संगीतकारों की बूते का काम नहीं था । गहन अध्ययन के कारण ही उन के गीत बहुत लोकप्रिय हो गए हैं ।
वांग लो पिन ने लोक गीतों का रूपांतरण कर जो नए गीत बनाये थे, उन में मूल गीतों की गुणवत्ता बनाए रखने के साथ कला की एक नई बुलंदी भी हासिल हुई है । उन्हों ने चीन की मुख्य जाति हान तथा अन्य अल्पसंख्यक जातियों के संगीतों का मिश्रण कर जो संगीत रचे , उन में अल्पसंख्यक जातियों के संगीत का मूल तत्व भी है और हान जाति की विशेषता भी । इसलिए उन के गीत चीन की हान जाति के अलावा विश्व के अन्य लोगों को भी पसंद आये । इस तरह उन्हों ने सिन्चांग के अल्पसंख्यक जातीय लोक गीतों को देश और विश्व भर में प्रसारित करने में बड़ा योगदान किया था ।
हान भाषा में गाये जाने वाले सिन्चांग के जातीय लोक गीतों में सब से मशहूर है तापान्छङ की लड़की , जो सिन्चांग में ही नहीं , चीन देश भर में लोकप्रिय था और अब भी लोकप्रिय रहा है ।
श्री वांग लो पिन ने अपनी जिन्दगी को संगीत कार्य में लगाया , जिस के कारण वे अपने पत्नी और बेटों का बहुत ख्याल नहीं कर सकते । जब उन की पत्नी पेइचिंग में बीमारी से स्वर्गवासी हुई , तो सिन्चांग में रह रहे वांग लोपिन को बड़ी दुख और खेद हुई । संगीत को बलिदान के चलते उन के बेटे या तो दूसरों के परिवार को सौंपे गए या बोर्डिंग स्कूल में रखे गए थे । लम्बे समय की जुदाई से बेटे अपने बाप से अपरिचित से हो गए ।
वांग लो पिन के पुराने मित्र जङ छ्ये उन्हें बहुत समझते हैं . जङछ्ये ने वांग लोपिन का मूल्यांकन करते हुए कहा, वे धर्मावलंबी होने की तरह संगीत में आस्था रखते थे , वे संगीत को भी धर्म मानते थे और उसे आम लोगों को अर्पित करने की भरसक कोशिश करते थे ।
वांग लो पिन की असाधारण कोशिशों का समुचित जवाब भी मिला । अधिक से अधिक चीनी लोग उन के संगीत को पसंद करते हैं , उन के गीत गाते नहीं अघाते हैं और उन की भावना से प्रभावित हो कर सिन्चांग आए हैं । सिन्चांग के ललित कला फोटोग्राफी गृह के सदस्य श्री सुन तावी वांगलोपिन के दीवाने हैं । उन्हों ने कहा कि वांग लो पिन का योजदान अमर है । श्री सुन का कहना है, उन्हों ने जिन्दगी भर एक काम किया था , यानी उन्हों ने चीन के जातीय संगीत का विकास करने की अथक कोशिश की और वे कामयाब भी हुए । उन्हों ने सीमा व भाषा को पार कर सब से सुन्दर संगीत को विश्व को अर्पित किया ।
स्वर्गीय वांग लो पिन के संगीत सिन्चांग के हर निवासी के दिल में घर कर गये हैं । उन की दसवीं बरसी पर बड़ी संख्या में लोगों ने उन के गीत गाते हुए उन की याद की ।
यह वांग लो पिन के संगीत के प्रेमी मित्रों की आवाज में गाया गया उन के द्वारा रूपांतरित वेवूर लोक गीत है । इस गायन में वांग लो पिन के प्रति लोगों की गहरी याद और सम्मानादर व्यक्त हुए हैं ।