उत्तर पश्चिमी चीन के सिन्चांग वेवूर स्वायत्त प्रदेश के दक्षिण पूर्व भाग में विशाल सुन्दर घास मैदान –पायंबुरूक मैदान फैला है । इस खूबसूरत घास मैदान में रहने वाली मंगोल जाति के लोग हर साल अपना परम्परागत त्यौहार नादाम समारोह का आयोजन करते हैं और तरह तरह की मनोरंजन गतिविधियां करते हैं । यहां के नादाम समारोह से दर्शकों को सिन्चांग में आबाद मंगोल जाति के अनुठे रीति रिवाज देखने को मिलता है । आज के इस कार्यक्रम में आप मेरे साथ वहां सिन्चांग की मंगोल जाति के नादाम समारोह का आनंद उठाने चले जाएं ।
सिन्चांग का पायंबुरूक घास मैदान 23 हजार वर्गकिलोमीटर की भूमि घेर लेता है , जो चीन का दूसरा बड़ा घास मैदान है । विश्वविख्यात पायंबुरूक राजहंस झील इस घास मैदान के केन्द्रीय स्थल पर विस्तृत है । हर साल के जुलाई अगस्त माह में पायंबुरूक घास मैदान में मौसल सुहावना होता है , घास फुलों का बहार आता है और अनोखे प्राकृतिक सौंदर्य का समां बनता है । इस सुनहरे समय पर वहां आबाद मंगोल जाति के अस्सी हजार से ज्यादा लोग देश के अन्य स्थानों के मंगोल लोगों की भांति अपना शानदार परम्पररागत त्यौहार नादाम समारोह मनाते हैं । नादाम समारोह आम तौर पर खुले और विशाल घास मैदान पर आयोजित होता है । त्यौहार के पूर्व के एक दो दिन , नए नए जातीय पोशाक पहने मंगोल चरवाह चारों ओर से नादाम समारोह स्थल आते हैं , वहां प्रवास के लिए हरे हरे घास मैदान पर सितारों की तरह सफेद सफेद मंगोल तंबू खड़े नजर आये और विशाल मैदान पर जीवन का उल्लाषपूर्ण नजारा दिखाई पड़ा और घोड़ों की आवाज और लोकगीतों की ध्वनी सुनाई देने लगी । मंगोल जाति की प्रथा के अनुसार नादाम समारोह प्रायः तीन दिन तक चलता है , दिन में चरवाह घुड़दौड़ , कुश्ती और तीरंदाजी जैसी खेल प्रतियोगिता में व्यस्त रहते हैं और संध्या होने के बाद रात भर नाचगान का आयोजन होता है ।
पिछले साल सिन्चांग के पायंबुरूक घास मैदान के नादाम समारोह का दर्जा उन्नत कर नादाम पर्यटन व सांस्कृतिक कला उत्सव रखा गया । इस में अधिक से अधिक सांस्कृतिक विषय सम्मिलित किया गया है । इस की चर्चा करते हुए पायंबुरूक नादाम समारोह की आयोजक कमेटी पायंक्वोलन मंगोल स्वायत्त प्रिफेक्चर और चिंगश्यान काऊंटी के मंगोल जातीय जिलाध्यक्ष श्री छेरनलाचीफ ने कहा, अब हम ने परम्परागत नादाम समारोह को नादाम पर्यटन व सांस्कृतिक कला उत्सव का रूप दिया है , इसलिए वह पहले से कहीं ज्यादा विष्यों से परिपूर्ण हो गया । मौजूदा नादाम समारोह का उद्घाटन समारोह भी पहले से ज्यादा शानदार और सुन्दर आयोजित हुआ । उल्लास से भरे मधुर संगीत धुन में राष्ट्रीय ध्वज दल , खिलाड़ियों का प्रतिनिधि मंडल , घोड़ों की झांकी , याकों की झांकी तथा राजहंसों की झांकी एक के बाद एक अध्यक्ष मंच के सामने गुजर रहे । इन में से राजहंसों की झांकी ज्यादा उल्लेखनीय है । सफेद सफेद रंग के 12 राजहंस दो लाइनों पर समान गति के साथ अध्यक्ष मंच के सामने आये , जब मंच के पास पहुंचे , तो उन में से आगे आगे चल रहे दो राजहंस पंख फड़फड़ा कर ऊपर की ओर उड़े , वे अध्यक्ष मंच के ऊपर एक चक्कर लगा कर नीले आसमान में उड़ गए , जिस की तारीफ में दीर्घा मंच में वाहवाही के हर्षोल्लास की बुलंद आवाज गूंज उठी ।
उद्घाटन रस्म के बाद नादाम समारोह का परम्परागत खेल मंगोल शैली में कुश्ती शुरू हुआ , हरे हरे घास पर चरवाह बलवान चुस्त और चमकीले कुश्ती वस्त्र में जोड़ों जोड़ों में लड़ने लगे , जिस किसी ने सभी कुश्ती बलवानों को बखाड़ कर दिया है , वह विजेता घोषित किया जाता है , यह शक्ति की स्पर्धा होती है , जब प्रतिस्पर्धा चल रही है , दर्शक भीड़ में एक प्रकार का तनाव सा माहौल बनता है , लोगों की सांस भी मैदान में लड़ने वालों की हरकतों के साथ ऊपर नीचे चल रही है ।
नादाम समारोह में तरहतरह के खेलों की प्रतियोगिता होने के साथ साथ मंगोल जाति के परम्परागत और फैशनुब वस्त्र आभूषणों का शॉ भी आयोजित होता है । 50 वर्षीय सुश्री बुरूका अपने सुन्दर पोशाक में अत्यन्त ओजस्वी नजर आयी , वह च्येनश्यान काऊंटी के पायंवुरू टाउनशिप की महिला अधिकारी हैं , नादाम समारोह के आयोजन से तीन दिन पहले ही वह टाउनशिप के युवाओं को ले कर घास मैदान पहुंची । उस ने बड़ी खुशी से बताया,हमारे कस्बे के युवक कुश्ती और घुड़सवारी कला के मैचों में भाग ले रहे हैं और युवतियां परम्परागत पोशाक की प्रदर्शनी में शामिल होंगी । हम अपने मंगोल तंबू में देश के अन्य स्थानों से आए मेहमानों को पायंबुरूक मैदान के परम्परागत जातीय नाच गान प्रस्तुत कर दिखाते हैं । हालांकि अभी कुश्ती का फाइनल नहीं हुआ है , पर हमारे युवा खिलाड़ी विजय जीतने पर अश्वस्त है ।
पायंबुरूक घास मैदान की रात आम दिनों में अत्यन्त शांत और खामोश रहा है , लेकिन नादाम के दौरान पूरी की पूरी रात नींद से नजात हो गई , आकाश में रंगबिरंगी आतीशबाजी खेल रही है , जगह जगह मंगोल तंबुओं के आगे अलाव की आग धधक रही है , रंग मंच पर विभिन्न जातियों के गायकों और गायिकाओं के गीत संगीत गूंज रहे है और अलावों की चारों ओर लोग दिल खोल कर नाच कर रहे हैं ।
सारीना नाम की मंगोल युवती ने हमें अपना अनुभव बताते हुए कहा, मैं हर साल नादाम समारोह में आती हूं , इस बार नादाम समारोह के पहले दिन मैं ने पास के पहाड़ पर जा कर बुद्ध की पूजा की और प्रार्थना की है । सुश्री सारीना ने कहा कि नादाम की रात रात्रि नृत्यगान समारोह आयोजित होता है और अलाव के पास नाच गान होता है , वह इस तरह के समारोह को बहुत पसंद करती है । सारीना मंगोल गीत गाने में बहुत कुशल है और उस की आवाज सुरीली है , हमारे अनुरोध पर उस ने एक मंगोल गीत पेश किया।
नादाम समारोह अपने रंगबिरंगे कार्यक्रमों से चीनी और विदेशी लोगों को बरबस आकर्षित करता है , चीन के विभिन्न स्थानों से बहुत से पर्यटक आते है , जापान आदि देशों से भी मेहमान आकर्षित हुए हैं । कोई भी बाहर से पायंबुरूक घास मैदान आए , स्थानीय मंगोल लोग जरूर उन के स्वागत सत्कार में विशेष अनोखे जातीय कार्यक्रम पेश करते हैं , मंगोल तंबू में यों प्रवेश कर गए , तो आप के स्वागत में मंगोल मेजबान सफेद रंग का मंगल सूचक हाता पेश कर पहन देते हैं और घोड़े दुध वाले मदिरा का जाम पेश करते हुए मधूर गीत गाते हैं और उल्लासपूर्ण मंगोल नृत्य पेश करते हैं तथा आप को घास मैदान के लोगों के साथ मिल कर खुश आनंद ले सकते हैं , यही पायंबुरूक घास मैदान के नादाम समारोह का आकर्षण , यही घास मैदान का मोहन और यही मंगोल लोगों की अलग अनोखी परम्परा ।