2008-12-02 12:39:51

सिन्चांग का परम्परागत अनोखे वादन यंत्र

अतीत में थुवा चरवाहे जब जंगल में छुवुर बजाते थे , तो उस का साथ देते हुए पक्षी भी चहचहाती थी और मानव और प्रकृति में खुशहाली का माहौल कायम होता था । इस के बारे में श्री येरडेक्सी ने कहा,छुवुर का मतलब धरती माता से आई आवाज है , उस की उत्पत्ति कनाल झील क्षेत्र के सुन्दर पहाड़ों और नद नदियों और झीलों से हुई है और सुईदार पत्तों वाले पेड़ों , शाल वृक्षों तथा स्वच्छ शीतल झील जल राशि से जुड़ी हुई है । छुवुर सीधे सादे थुवा लोगों में पहाड़ों , नदियों , झीलों , पेड़ पौधों से प्यार का प्रकट रूप है और इस में कुदरत के साथ थुवा लोगों के स्नेह और समझ की भावना अभिव्यक्त हुई है ।

चीनी संगीत प्रतिष्ठान के एक प्रोफेसर ने विशेष तौर पर कनास झील का दौरा किया । उन्हों ने बुजुर्ग कलाकार येरडेक्सी के छुवुर वादन का अच्छी तरह अध्ययन करने के बाद यह मत बनाया कि छुवुर प्राचीन चीनी राष्ट्र का एक किस्म का वाद्य यंत्र है , जो अब तक चीनी लोगों में धरोहर के रूप में सुरक्षित रहा है , वह चीनी संगीत विधि का एक जीवाश्म माना जा सकता है ।

पिछले साल पेइचिंग की संबंधित संस्था के निमंत्रण पर बुजुर्ग लोक कलाकार येरडेक्सी ने पेइचिंग जाकर छुवुर वादन का विशेष कार्यक्रम पेश किया , जिस से थुवा लोगों की छुवुर वाद्य कला के बारे में उन की समझ का नया विषय जुड़ा । घर लौटने के बाद उन्हों ने गांव में छुवुर वादन सभा शुरू कर इस कला के प्रेमी पर्यटकों की सेवा में प्रोग्राम पेश करना आरंभ किया , इस के साथ साथ पर्यटकों को उन की पत्नी के हाथों बनाया जाने वाली दुधार चाय और दुधार पकवान खिलाए जाने लगे । इस के बाद एक साल गुजरा है , उन के वादन प्रदर्शन ने बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित कर दिया ।

हाल ही में येरडेक्सी ने अपनी एक असाधारण कार्यवाही कर गांव वासियों को बड़ा आश्चर्यचकित कर दिया , यानी उन्हों ने कांऊटी शहर में जा कर थुवा की परम्परागत छुवुर वादन कला के लिए ट्रेड मार्क का पंजीकरण कराया । अपनी इस कार्यवाही को येरडेक्सी ने बड़ी लाचारी से किया है , उन का कहना है कि उन के छुवुर वादन प्रदर्शन की सफलता पर कुछ लोगों को लालची हुई , उन्हों ने भी पर्यटकों को खींचने के लिए अपने अपने घर में वादन प्रदर्शन की सभा आरंभ की , लेकिन वे वास्तव में छुवुर बजाना नहीं जानते हैं और घटिया वादन कोशल से छुवुर कला को क्षति पहुंचायी गई है । श्री येरडेक्सी कहते है,मैं नहीं समझता हूं कि मेरी वादन कला सब से उम्दा औपचारिक वाली है । लेकिन दूसरी जाति के कुछ युवा लोगों ने जो वादन सभा आयोजित की है , वह फर्जी जरूर है , क्यों कि वे छुवुर नहीं जानते हैं , वे केवल इस कला को बर्बाद कर सकेंगे ।

थुवा कलाकार श्री येरडेक्सी की यह छुवुर वादन कला एक विशेष कला है , अब उस के लुप्त होने का खतरा भी पड़ा है । उन के दो पुत्रों ने इसे सीखा है , लेकिन ऊंचे स्तर पर नहीं पहुंच सके । येरडेक्सी ने शिष्य बुलाना भी चाहा , पर गांव वासियों के बच्चों में से कोई भी सीखना नहीं चाहता , क्योंकि उन्हें डर है कि इस से कहीं उन की पढाई पर असर तो नहीं पड़ जाए ।

लेकिन अब स्थिति बदली है । स्थानीय सरकार छुवुर वादन कला पर बड़ा महत्व देने लगी , वह स्थानीय कला विशेष है , जो पर्यटन उद्योग बढाने में मदद दे सकती है ।

कनास झील के स्वच्छ पानी पर सुर्य की किरणें प्रतिबिंबित हुई , बुजुर्ग कलाकार के मुंह से छुवुर की सुरीली आवाज झील के ऊंपर दूर दूर घनी जंगल और शांत पहाड़ी घाटी में जा कर लुप्त हो रही है , यह है स्वर्ग की धुन समझी जाती है , जो लोगों को शुकन और शांति का अनुभव मुहैया कर देती है ।(श्याओयांग)