2008-10-27 13:14:08

मंगोलियाई जाति की खुश महिला बॉस सेरेहलन

आज हम आप लोगों को उत्तरी चीन के भीतरी मंगोलिया के शिलीनक्वोल घास मैदान ले जाएंगे और एक वेशभूषा महिला दुकानदार सेरेहलेन से मिलवाएंगे और उन के सुखमय जीवन को देखेंगे।

जब हम ने शिलीक्वोल प्रिफेक्चर की पूर्वी शिऊजूमुछिंछी काऊंटी की वेशभूषा प्रोसेसिंग सड़क के एक कारखाने में प्रवेश किया, तो हमें सिलाई मशीनों की आवाज में गाना गाने की आवाज सुनाई पड़ी। यह है सेरेहलन का वेशभूषा कारखाना।

कारखाने के द्वार पर इस कारखाने की बॉस छोटे कद की सेरेहलन हमारे सामने खड़ी है। उस ने खुद सिले हुए जातीय विशेषता वाले कपड़े पहने हुए हैं। उस के मुख पर मुस्कराहट है और आंखें आत्मविश्वास से भरी हुई हैं। लेकिन, शायद किसी ने कल्पना नहीं की होगी कि कई वर्ष पहले वे भी चारागाहों में पशु चराती थीं। लेकिन, अब वे शहर में कपड़े के कारखाने की मालिक है। सुश्री सेरेहलन के मन में पहले के चरवाहा जीवन के प्रति गहरी भावना है। उन्होंने संवाददाता से कहा, पहले चरागाह में मौसम बहुत अच्छा था। वहां वर्षा ज्यादा होती थी। उस समय हम भेड़ या गाय-बैल पालते थे। हमारा जीवन बहुत अच्छा था ।

उस समय सुश्री सेरेहलन के परिवार में कुल मिलाकर सात आदमी थे, जिन के पास 26 लाख हैक्टर घास मैदान और 300 से ज्यादा बैल और भेड़ें थीं। हालांकि उस समय वह बहुत समृद्ध नहीं थीं, फिर भी जीवन में चिंता की बात नहीं थी। लेकिन, बाद में पारिस्थितिकी स्थिति में परिवर्तन आया। मौसम के गर्म होने और चारागाहों में पशुओं की संख्या के निरंतर बढ़ने की वजह से शिलीनक्वोल घास मैदान रेत के मैदान में बदलने लगे और रेत के मैदान का क्षेत्रफल दिन ब दिन विस्तृत होता गया। सुश्री सेरेहलन के घर में पहले का सुखी जीवन भी दिन ब दिन कठिन होने लगा।

वर्ष 1997 से हमारे यहां साल दर साल सूखा पड़ने लगा। बहुत कम बारिश हो रही थी। इसलिए, बैलों या भेड़ों को खिलाने के लिए घास बहुत कठिनता से मिल रही थी। मेरे पति बीमारी के कारण बाहर काम नहीं कर पाते थे, इसलिए हमारे घर में कोई श्रमिक नहीं था। हमारे घर की स्थिति अत्यन्त खराब थी।

गंभीर पारिस्थितिकी के मद्देनजर, शिलीनक्वोल प्रिफेक्चर ने घास मैदान की पारिस्थितिकी स्थिति के निपटारे की रणनीति बनायी, जिस में एक महत्वपू्र्ण कदम यह था कि किसानों व चरवाहों को वहां से कस्बों व शहरों में स्थानांतरित किया जाए, और उन्हें शहरों व कस्बों के अन्य उद्योगों में काम करने को प्रोत्साहित किया जाए। सुश्री सेरेहलन

के परिवार ने भी वर्ष 2000 में अपनी जन्मभूमि छोड़ कर शिऊजुमूछींग प्रिफेक्चर में स्थानांतरण किया और नया जीवन शुरू किया। भविष्य में जीवन कैसा होगा, इस के प्रति सुश्री सेरेहलन के मन में कोई विचार नहीं था। उन्होंने संवाददाता से कहा, शुरू में मैं बहुत चिंतित थी। मैं अनपढ़ हूं। तो जन्मभूमि छोड़ कर शहर में आने के बाद मैं क्या करुंगी। लेकिन, मेरे पिता जी ने मुझे प्रोत्साहित किया और कहा कि आजकल जन्मभूमि में चरवाहे का काम करना बहुत कठिन है, शहर में कुछ न कुछ नौकरी जरूर मिल जाएगी,किसी रेस्तरां में भी काम मिल सकता है।

इस लेख का दूसरा भाग अगली बार प्रस्तुत होगा, कृप्या इसे पढ़े।(श्याओयांग)