2008-10-21 10:02:41

वाद्य यंत्र थिएन-छीन बनाने का मास्टर छीन ह्वा पेइ

थिएन-छीन सितार बनाने में सिर्फ लकड़ी की ही नहीं , उत्कीर्ण करने का कौशल भी चाहिए । वर्ष 2003 के नवम्बर में आयोजित पांचवें नाननींग अंतर्राष्ट्रीय लोक-गीत उत्सव में लूंग-चाओ थिएन-छीन मंडल की 15 लड़कियों ने काले रंग के ज्वांग जातीय कपड़ों में , और पांव में कांस्य घंटी पहनकर थिएन-छीन कला का प्रदर्शन किया । थिएन-छीन की अदभुत कला से प्रभावित होकर तालियों की गड़गड़ाहट और हर्षोल्लास से हाल गूंज उठा।

इन 15 लड़कियों ने मास्टर छीन ह्वा पेइ के थिएन-छीन सितार के साथ देश के अनेक क्षेत्रों में प्रदर्शन किया । यहां तक कि वे ऑस्ट्रिया और जर्मनी आदि देशों में भी गईं। साथ ही मास्टर छीन ह्वा पेइ द्वारा बनाये गये एक हजार तीन सौ से अधिक थिएन-छीन सितार जापान और अमेरिका आदि देशों के बाजारों में बेचे गये हैं। लेकिन थिएन-छीन सितार लोक-संगीत पर आधारित वाद्य यंत्र है , इस पर आधुनिक और क्लासिकल संगीत बजाना मुश्किल है । इसलिए मास्टर छीन ह्वा पेइ ने इस वाद्य यंत्र के आगे सुधार में खूब कोशिश की है ।

पुराने ढ़ंग वाला थिएन-छीन सितार उतना अच्छा नहीं था । हम कद्दू को सुखा कर इस का मुख्य भाग बनाते थे। लेकिन उत्तरी चीन के पेइचिंग आदि शहरों में सूखा मौसम होता है , दक्षिणी चीन के उष्म मौसम में बनाये गये थिएन-छीन सितार पेइचिंग जैसे उत्तरी शहरों में जा कर फट जाते थे । इस कमजोरी को दूर करने के लिए मास्टर छीन ह्वा पेइ ने अथक प्रयास किया । अंत में उन के हाथ से बने नयी शैली वाले थिएन-छीन सितार न काफी मजबूत थे , बल्कि उन पर सभी तरह का संगीत बजाना आसान हो गया। आज स्थानीय सरकार के संस्कृति विभागों ने थिएन-छीन सितार के निर्माण,उपयोग और इस पर बजाने वाले नये संगीत तैयार करने में जोरदार प्रयास किया है । मास्टर छीन ह्वा पेइ की बेटी ने भी अपने पिता से यह कला सीखकर थिएन-छीन सितार बनाने में महारत हासिल की है।

उन्हों ने कहा , बहुत से छात्र अपने अवकाश के समय मेरे यहां थिएन-छीन सितार बजाना सीखने आते हैं । उन में बहुत सी लड़कियां भी हैं जो 15 लड़कियों के थिएन-छीन कला मंडल से प्रभावित हो कर इस दल में शामिल होने का विचार ले कर आईं हैं ।

वर्ष 2007 की जून में प्रथम चीनी लोक-संस्कृति उत्तराधिकार नियुक्ति समारोह राजधानी पेइचिंग के जन बृहत भवन में आयोजित हुआ । मास्टर छीन ह्वा पेइ ने कुल 166 लोक-संस्कृति उत्तराधिकारों में से एक के रुप में केंद्रीय सरकार की तरफ से सम्मान प्राप्त किया । उन की कल्पना है कि एक दिन वे अपना थिएन-छीन निर्माण कारखाना और प्रदर्शन स्थल बना सकेंगे ।

इधर के वर्षों में स्थानीय सरकार ने थिएन-छीन सितार और इस के कला के संरक्षण और विकास को अत्यंत महत्व दिया है और संबंधित विशेष स्कूल भी स्थापित किया है। सरकार के डेटा बैंक में थिएन-छीन सितार बजाने और बनाने वाले कलाकारों की नामसूची संरक्षित की गयी है , और कुछ प्राइमरी व मीडिल स्कूलों में थिएन-छीन संगीत कोर्स भी शुरू किया गया है। चीनी लोक-कला संघ के अध्यक्ष श्री फंग ची-त्साई का कहना है कि थिएन-छीन कला चीनी संस्कृति की महत्वपूर्ण विरासत है , लूंग-चाओ कांऊटी को चीनी थिएन-छीन कला स्थल का नाम दे कर इस लोक-कला के प्रति चीन सरकार ने ध्यान दिया है ।

इससे जुड़े लूंग-चाओ थिएन-छीन कला उत्सव का आयोजन भी पूरी तैयारियों के साथ किया गया । देश के दूसरे क्षेत्रों से आये अतिथियों ने समारोह में ज्वांग जातीय की लोक-कला का मज़ा उठाया। समारोह में दर्शकों ने च्वो-च्यांग नदी के विशेष कला दृश्यों और संस्कृति का दर्शन किया । कलाकारों ने थिएन-छीन सितार से अपने सभ्य और सामंजस्यपूर्ण जीवन का प्रसारण किया।(श्याओयांग)