2008-10-20 16:12:09

ज्वांग जातीय वाद्य यंत्र थिएन-छीन बनाने का मास्टर

चीन के क्वांगसी ज्वांग स्वायत्त प्रदेश की लूंग-चाओ कांऊटी में ज्वांग जाति के परंपरागत वाद्य यंत्र थिएन-छीन बनाने की कला प्रचलित है । थिएन-छीन नामक वाद्य यंत्र सितार की तरह का है , 43 वर्षीय मास्टर छीन ह्वा पेइ ने अपना सारा जीवन ऐसे वाद्य यंत्र के निर्माण में लगा दिया है ।

च्वोच्यांग नदी पर नाव में सफर करते हुए आप को थिएन-छीन पर अक्सर ज्वांग जातीय लोक-संगीत सुनाई पड़ता है । थिएन-छीन सितार हजार साल पहले से आज तक प्रचलित है । सुना है कि पहले ज्वांग जाति के अभिचारक आकाश की पूजा करते हुए थिएन-छीन सितार का प्रयोग करते थे । आज भी यह एक लोकप्रिय वाद्य यंत्र है । थिएन-छीन सितार का ज्वांग जातीय नाम भी है – टींग-तुंग।

थिएन-छीन के भारत के पारंपरिक वाद्य यंत्र वीणा की ही तरह तीन भाग होते हैं यानि गर्दन , तार और मुख्य भाग । थिएन-छीन का मुख्य भाग कद्दू और फीनिक्स पेड़ की लकड़ी से बनता है । इस के दो तार जो पहले पशुओं की अयाल से बनते थे , आज आम तौर पर नाइलाँन के धागे से बनते हैं ।

मास्टर छीन ह्वा पेइ क्वांगसी ज्वांग स्वायत्त प्रदेश की लूंग-चाओ कांऊटी में रहते हैं , उन के दादा भी थिएन-छीन बनाने की कला में माहिर थे । परिवार के प्रभाव से मास्टर छीन ह्वा पेइ बचपन से इस कौशल में पारंगत हो गए और उन्हें थिएन-छीन सितार बनाना पसंद भी है ।

उन्हों ने कहा , जब मैं छोटा था , दादा जी थिएन-छीन बनाते थे, मैं हमेशा पास बैठकर देखता रहता था । देखते-देखते मुझे भी यह कला पसंद आने लगी । मैं ने सोचा कि यह सितार कितना सुन्दर है , और दादा जी सिर्फ थिएन-छीन ही नहीं बनाते थे, वे खुद भी थिएन-छीन पर संगीत बजाते थे। उन के संगीत का मुझ पर गहरा प्रभाव पड़ा ।

सन 1980 के दशक में मास्टर छीन ह्वा पेइ को एक कला मंडल में काम करने का मौका मिला। अवकाश के समय उन्होंने थिएन-छीन सितार बनाने के कौशल का अनुसंधान करना शुरू किया । लेकिन तत्काल में जातीय परंपरागत कला के संरक्षण और विकास पर महत्व नहीं दिया गया था, मास्टर छीन ह्वा पेइ के काम में काफी बाधाएं आईं । पर नयी शताब्दी में स्थितियों में सुधार होने लगा है । सरकार ने थिएन-छीन सितार और इस से जुड़ी कला के संरक्षण व विकास को महत्व देना शुरू किया है। स्थानीय सरकार ने लड़कियों से गठित एक थिएन-छीन कला मंडल स्थापित किया । मंडल ने उसी साल नाननींग कला समारोह में भाग लिया । मंडल में उपयोग किए गए सभी थिएन-छीन सितार मास्टर छीन ह्वा पेइ ने बनाये हैं । याद करते हुए मास्टर छीन ह्वा पेइ ने कहा , मंडल के नेता ने मुझसे वाद्य यंत्र बनाने का अनुरोध किया । बेशक मैं ने इसे समाप्त किया , यह मेरे लिए सरल है , क्योंकि मुझे इस कला का ज्ञान है ।

इस के बाद मास्टर छीन ह्वा पेइ ने अपने घर में थिएन-छीन बनाने का कारखाना स्थापित किया। वे दिन में जगह-जगह थिएन-छीन सितार संबंधी सामग्री की तलाश में लगे रहते, और रात में कारखाने में इस वाद्य यंत्र के अनुसंधान और निर्माण में व्यस्त रहते।

इस लेख का दूसरा भाग अगली बार प्रस्तुत होगा, कृप्या इसे पढ़े।(श्याओयांग)