दक्षिण पश्चिमी चीन के सीमांत प्रांत युन्नान प्रांत के लीन छांग शहर में एक विशेष जाति रहती है। यह है युन्नान प्रांत की विशेष अल्पसंख्यक जाति वा। हर वर्ष के मई माह में यहां की वा जाति के लोग मोनीहेई नामक एक विशेष त्योहार मनाते हैं।
वा जाति के निवास क्षेत्र में सभी लोग एक दूसरे के मुख पर काला रंग मलते हैं। वृद्धों पर काला रंग डालने से वृद्ध को लम्बी आयु प्राप्त होगी। जबकि लड़कियों को सुखमय प्रेमी मिलेगा और बच्चे स्वस्थ रहेंगे। मुख और शरीर पर काला रंग डालने से लोग आजीवन सुखमय रहेंगे। स्थानीय लोग इस रीति रिवाज को मोनीहेई त्योहार कहते हैं।
उक्त बात युन्ना प्रांत के लीन छांग शहर की छांग य्वेन वा जाति स्वशासन प्रिफेक्चर के संस्कृति ब्यूरो के प्रधान श्री वेई छन ने बताई। तो मोनीहेई त्योहार आखिर क्या है। वह कैसे शुरु हुआ। वा जाति के लोगों के लिए मोनीहेई का क्या अर्थ है। आगे पढ़िये।
मोनीहेई त्योहार के पीछे एक सुन्दर कहानी है। कहा जाता है कि पुराने समय में मनुष्य कपड़े नहीं बना सकता था और केवल पशुओं के चमड़े को अपने शरीर पर लपेटता था। सर्दी से अपना बचाव करता था। कभी कभी चमड़ा बहुत भारी होता था, लेकिन, मनुष्य को विवश होकर उसे लपेटना ही पड़ता था। लेकिन, वह सूर्य की रोशनी और मच्छरों का काटना नहीं सह पाता था। एक बार, मनुष्य ने देखा कि बर्फीली मिट्टी शरीर पर लगाने के बाद सूर्य की रोशनी व मच्छरों के काटने से बचा जा सकता है, तो उस ने बर्फीली मिट्टी शरीर पर लगानी शुरु की। इस के बाद उस ने पत्ते लपेटने शुरु किये और जंगली पशुओं के हमले से बचना सीखा। धीरे धीरे शरीर पर काला रंग लगाने की गतिविधि रोगों से बचने और सौभाग्य व सुखमय जीवन पाने की गतिविधि में बदल गयी। इसी तरह, वा जाति के लोगों की मोनीहेई गतिविधि अस्तित्व में आयी। मोनीहेई त्योहार पर हर एक गांव की वा जाति की लड़कियां, लड़के और विभिन्न स्थलों से आये मेहमान खास कपड़े पहने हुए मोनीहेई गतिविधि में भाग लेते हैं। लोग एक दूसरे के साथ खेलते हैं। चाहे पुरुष हों या महिलाएं, वृद्ध हों या बच्चे, वे एक दूसरे के शरीर पर काला रंग डालते हैं और यह सब करते हुए हंसने, पुकारने और चीखने की आवाज़ें सुनी जा सकती है। हालांकि हर एक आदमी के शरीर पर काला रंग लगाया जाता है, फिर भी सब लोग खुश रहते हैं। मोनीहेई की गतिविधि में वा जाति के लोगों की सदिच्छा जाहिर होती है। यानी जितना ज्यादा काला रंग शरीर पर लगाया जाता है, उतना ही अधिक सौभाग्य मिलता है।
वा जाति के लोग काला रंग पसंद करते हैं। उन की नजरों में काला रंग सब से सुन्दर है। उन की दृष्टि में काला रंग मेहनत और स्वास्थ्य का प्रतीक है। इसलिए, दैनिक जीवन में उन की अनेक रोजाना की चीजें और उन के कपड़े सभी काले रंग के होते हैं। पहले लोग अपने दांतों पर भी काला रंग लगाते थे। वा जाति में एक कहावत है, यानी एक ही पद पर चलने से हम अच्छी तरह नाच सकते हैं। दांतों पर काला रंग लगाने से हम एक साथ बातचीत या हंसी मजाक कर सकते हैं। इसलिए, मोनीहेई की गतिविधि में जो सब से काले रंग का होता है, वह सब से सुन्दर माना जाता है। युन्ना प्रांत के लीन छांग शहर की छांग य्वेन वा जाति स्वशासन प्रिफेक्चर के संस्कृति ब्यूरो के प्रधान श्री वेई छन ने कहा, वा जाति काले रंग को सुन्दर मानती है। इस गतिविधि में भाग लेने के बाद ही आप सच्चे माइने में वा जाति की संस्कृति की सुन्दरता को महसूस कर सकते हैं। एक दिन के लिए वा जाति के लोगों का जीवन जीने से लोग वा जाति की संस्कृति की विशेषता जान सकते हैं।
इस लेख का दूसरा भाग अगली बार प्रस्तुत होगा, कृप्या इसे पढ़े।(श्याओयांग)