2008-09-08 15:08:10

शिनच्यांग वेवुर स्वायत प्रदेश की विशेष कला मुखामू

मुखामू कला उत्तर पश्चिमी चीन के शिनच्यांग वेवुर स्वायत प्रदेश की एक विशेष कला है, जो मनुष्य की मौखिक व गैरभौगोलिक धरोहरों की नामसूची में शामिल किया गया है।

मुखामू पश्चिमी क्षेत्र की जातीय संस्कृति से संबंधित है और गहरे रुप से इस्लामी संस्कृति से प्रभावित है।कहा जाता है कि टुरछांहेन राज्य के लाशदेहैन और पत्नि अमनिशाह ने देश के विभिन्न स्थलों के मुखामू कलाकारों को इकट्ठा करके संगीतकार खदीरहान की मध्यस्थता में मुखामू का विकास किया।

मुखामू एक अरबी शब्द है, जिस का अर्थ है पार्टी । यहां मुखामू मुस्लिम जाति के संगीत का एक तरीका है। 12 मुखामू में 12 धुनें हैं। आम तौर पर हर एक मुखामू में कुल मिलाकर 20 से 30 संगीत की धुनें हैं। लोग लगभग दो घंटों में मुखामू गाते हैं। जबकि सारे 12 मुखामू गाने के लिए 20 से ज्यादा घंटों की जरुरत है। मुखामू में विविधतापूर्ण किस्म का संगीत है, जिस में लोकगीत और कहानी सुनाने वाले गीत शामिल हैं। 12 मुखामू वेवुर संगीत की नींव है, जो वेवुर संस्कृति को खोलने की स्वर्ण चाभी है और चीन, भारत, ग्रीस व इस्लामी क्लासिकल संगीत का मिश्रण है।

पहले वेवुर जाति के लोग चरवाहागिरि करते समय अपनी भावना प्रकट करने वाले गीत गाते थे। 12 शताब्दी में बोयावेई नामक गीत समूह का विकास हुआ। यह मुखामू की पुरानी किस्म थी। वर्ष 1547 में संगीत व कविता से प्रेम करने वाली अमेनिशा येर्छांगहे राज्य की रानी बनी और उन्होंने अनेक संगीतकारों को इकट्ठा करके मुखामू का विकास किया। 19 शताब्दी में मुखामू ने 12 मुखामू बनाए। अब मुखामू चीन के अनेक क्षेत्रों में लोकप्रिय है। अरब, पारसी, तुर्की, भारत व मध्य एशिया आदि स्थलों में मुखामू हैं। लेकिन, शिनच्यांग में मुखामू की किस्में सब से ज्यादा हैं।

लम्बे अरसे से 12 मुखामू लोगों के बीच मौखिक रूप से प्रसारित किया जाता था। लेकिन, पूरे मुखामू को याद रखना बहुत कठिन है। नये चीन की स्थापना से पहले मुखामू खोने वाला था। इसे बचाने के लिए 1950 में चीनी संस्कृति मंत्रालय ने संगीतकार वेन थुंग शू और ल्यू जी आदि संगीतकारों को भेजकर मुखामू का प्रबंध कार्य करना शुरू किया। संगीतकारों ने 12 मुखामू के एकमात्र गायक , वेवुर जाति के मशहूर कलाकार टुर्दिआहूंग को खोजा और छह साल में कैसेट बना कर 12 मुखामू के सभी गीतों की रिकार्टिंग की। अब शिनच्यांग 12 मुखामूओं को बचाने के कार्य में जोर डाला गया है। पिछली शताब्दी के 80 के दशक में क्रमशः शिनच्यांग वेवुर स्वायत प्रदेश के मुखामू अनुसंधान कार्यालय, शिनच्यांग मुखामू कला मंडल की स्थापनी की गईऔर साथ ही वेवुर 12 मुखामू, हामी मुखामू, तुरुफैन मुखामू और दाओलांग मुखामू आदि पुस्तकों व सी डी का प्रकाशन किया गया। वर्ष 1996 में शिनच्यांग कला अकादमी ने मुखामू अभिनय कला की कक्षाएं भी शुरु कीं।