2008-09-04 17:02:34

क्वेलिन के सौंदर्य का सार लीच्यांग नदी के दोनों किनारों के अनुपम प्राकृतिक दृश्य में दिखता है

प्राचीन चीन में क्वेलिन के अद्भुत प्राकृतिक दृश्य की प्रशंसा में लिखी गई क्वेलिन का प्राकृतिक दृश्य नामक कविता विश्व भर में बेमिसाल मानी जाती है और आज तक लोगों की जुबान पर है। क्वेलिन के सौंदर्य का सार लीच्यांग नदी के दोनों किनारों के अनुपम प्राकृतिक दृश्य में दिखता है। लीच्यांग नदी के पास खडे हो कर आप हरी-भरी अजीबोगरीब पर्वतश्रृंखलाओं का मनोहर दृश्य देख सकते हैं और उसके दोनों किनारों के घने जंगलों व अनोखी चोटियों की परछाईं नदी के समतल पानी में इतनी साफ नजर आती है कि चीन की किसी जीवंत परम्परागत स्याही चित्र को सामने उभार लाती है।

जी हां, बहुत से पर्यटक क्वेलिन का दौरा करते समय इस शहर के परम्परागत स्याही चित्र जैसे विशाल प्राकृतिक दृश्यों का पुल सा बांध लेते हैं। यहां की सब से बड़ी विशेषता यह है कि इस नदी के आसपास जितने भी छोटे-बड़े पर्वत खड़े हैं, सब के सब साल भर हरे-भरे और स्पष्ट दिखते हैं। इतना ही नहीं यहां नदी, पर्वतों और शहर के बीच कोई सीमा भी नहीं नजर आती। यह पता लगाना मुश्किल हो जाता है कि हम शहर के भीतर खड़े हैं या पर्वतों के बीच। पर्यटक को यहां किसी विशेष पर्यटन स्थल पर जाने की जरूरत नहीं रह जाती क्योंकि शहर के किसी भी कोने में ली च्यांग नदी का अद्भुत सौंदर्य महसूस किया जा सकता है। वास्तव में यहां का मानवीय व प्राकृतिक दृश्य बड़े अजीब ढंग से सामंजस्य लिये हुए है।

ली च्यांग नदी के किनारे खड़ा हाथी-सूंड़ पर्वत क्वेलिन का प्रतीक माना जाता है। यह देखने में एक ऐसा भीमकाय हाथी जान पड़ता है, जो अपनी सूंड़ से नदी का पानी पी रहा हो। इस भीमकाय हाथी की सूंड़ व शरीर के बीच एक बड़ी गोलाकार गुफा है। लीच्यांग का पानी इसी गुफा से होकर आगे बहता है। पूर्णिमा की रात यदि आप दूर से श्यांगपी शान यानी हाथी-सूंड़ पर्वत को देखें, तो इस बड़ी गोलाकार गुफा की परछांई नदी के पानी में साफ-साफ देख सकेंगे और यह आभास कर पायेंगे मानो आकाश व पानी पर एक नहीं, कई सुंदर चांद एक साथ चमक रहे हों। यह दृश्य क्वेलिनवासियों के बीच हाथी-सूंड़ पर्वत जल, और चांद के अनोखे दृश्य के रूप में चर्चित है।