2008-09-02 15:36:38

सिंच्यांग मुक्केबाज़ निर्देशक अबलेकिम

श्री अबलेकिम सिंच्यांग मुक्केबाज़ी टीम के प्रमुख कोच का काम करने के अलावा , राष्ट्रीय मुक्केबाज़ी टीम के निर्देशक का पद भी संभाले हुए हैं । उन के अभ्यास कक्ष में यह नारा फहरा रहा है , ' मातृभूमि का गौरव सर्वोच्च है ' । इस नारे की चर्चा करते हुए श्री अबलेकिम ने कहा कि ' मातृभूमि का गौरव सर्वोच्च है ' यह नारा हमारी सिंच्यांग मुक्केबाज़ी टीम का सूक्तिसूत्र है । क्योंकि हमारे सभी टीम सदस्यों का ख्याल है कि वे अपने खुद के लिए नहीं , मातृभूमि के गौरव के लिए संघर्ष कर रहे हैं । हम पैसे और व्यक्तिगत विजय के लिए मुक्केबाज़ी नहीं करते हैं , हमारे दिल में पवित्र लक्ष्य मौजूद है । खिलाड़ियों को मानसिक लक्ष्य तय करना है , नहीं तो उन की युद्ध शक्ति जाग्रत नहीं होगी । जब एक खिलाड़ी खिताब जीतता है , और पुरस्कार वितरण के मंच पर खड़ा होता है , और आंखों में अपने देश के राष्ट्रीय ध्वज को धीरे-धीरे फहराता हुआ देखता है , तब उसे महसूस होता है कि गौरव का मतलब क्या है। मेरे ख्याल में खिलाड़ी अपने लिए ही नहीं , देश के लिए संघर्ष करते हैं । इसी लक्ष्य को सामने रख कर वे सामूहिक गौरव महसूस करते हैं , और इसी लक्ष्य के लिए हम ने यह नारा ' मातृभूमि का गौरव सर्वोच्च है ' चुना है ।

श्री अबलेकिम ने यह भी कहा कि सिंच्यांग उतना विकसित नहीं है , आर्थिक दृष्टि से सिंच्यांग देश के पूर्वी भागों से पिछड़ा है । हम अपने खिलाड़ियों को उतना इनाम भी नहीं दे पाते , पर हम मानसिकता , नैतिकता और गौरव को प्राथमिकता देते हैं। हमारी टीम का यही नियम है कि खिलाड़ियों को धनराशि के लिए नहीं , गौरव पाने के लिए अथक प्रयास करना चाहिए ।

सिंच्यांग मुक्केबाज़ी टीम के प्रमुख कोच बनने के बाद श्री अबलेकिम ने अपने खिलाड़ियों के साथ वर्ष 2000 और वर्ष 2004 के ऑलंपियाड में भाग लिया । स्वर्ण पदक न मिलने के बावजूद उन्हों ने मूल्यवान अनुभव प्राप्त किये । इसी आधार पर उन्हों ने चीन की मुक्केबाज़ी प्रतियोगितायों में अपना स्थान निरंतर उन्नत किया है । वर्ष 2007 के राष्ट्रीय चैंपियनशिप खेल समारोह में सिंच्यांग मुक्केबाज़ी टीम ने तीन स्वर्ण पदक बटोरे । श्री अबलेकिम के तीन खिलाड़ियों को वर्ष 2008 के ऑलंपियाड में भाग लेने की सदस्यता प्राप्त हुई , उन की शक्ति पर देशी विदेशी हमपेशाओं का ध्यान आकर्षित है । श्री अबलेकिम ने कहा कि सिंच्यांग मुक्केबाज़ों का लक्ष्य पेइचिंग ऑलंपियाड में पदक पाना है । और वर्ष 1987 से अभी तक श्री अबलेकिम के बीसेक सालों के प्रयासों का परिणाम साबित होगा ।

श्री अबलेकिम ने कहा कि सिंच्यांग की मुक्केबाज़ी टीम रूस और हजाकिस्तान की शैली से प्रभावित है , यानी प्रतिस्पर्द्धाओं में खिलाड़ी आक्रमण पर मुख्य ध्यान देते हैं । और सिंच्यांग टीम का और एक अनुभव है यानी यथासंभव अधिक प्रतियोगिताओं में भाग लेना । क्योंकि उन का विचार है कि प्रतियोगिता सब से अच्छा प्रशिक्षण है । खिलाड़ियों को भिन्न-भिन्न बढ़िया मुक्केबाज़ों के साथ स्पर्द्धा करते समय अपना स्तर उन्नत करना पड़ता है । इसलिए श्री अबलेकिम के खिलाड़ियों को एक साल में आम तौर पर बीस तीस प्रतियोगिताओं में भाग लेना होता है ।

इस साल ऑलंपियाड की तैयारियां करने के लिए श्री अबलेकिम ने अपने खिलाड़ियों को वसंत त्योहार की छुट्टियों को छोड़कर रूस आदि देशों में आधे माह का विशेष प्रशिक्षण दिया । प्रशिक्षण के दौरान उन्हों ने रोज़ दो तीन प्रतिस्पर्द्धाओं में भाग लिया । श्री अबलेकिम ने कहा कि हम इसी जबरदस्त प्रशिक्षण से अपने खिलाड़ियों को अधिक श्रेष्ठ बनाना चाहते हैं । (श्याओयांग)