2008-07-23 11:30:30

ल्यू यांग शहर बड़ा नहीं कहा जा सकता, पर चारों तरफ नदियों और पहाड़ों से घिरे होने की वजह से अत्यंत सुंदर दिखाई देता है

ल्यूयांग नदी मोड़ लेती हुई आगे बह रही है। कई किलोमीटर का जलमार्ग तय कर हम ल्यू यांग शहर पहुंचते हैं, ल्यू यांग नदी नामक मधुर समूह गान का आनंद उठाते हुए । ल्यू यांग शहर बड़ा नहीं कहा जा सकता, पर चारों तरफ नदियों और पहाड़ों से घिरे होने की वजह से अत्यंत सुंदर दिखाई देता है । यह शहर आतिशबाजी और पटाखों के उत्पादन केंद्र के नाम से देश-विदेश में बहुत विख्यात है। कुछ समय पहले ही मैं ल्यू यांग के दौरे पर गयी और वहां बहुत सुंदर नदियों व हरे- भरे पहाड़ों के मनोहर दृश्यों का लुत्फ लेने के साथ कई किस्मों की आतिशबाजी और पटाखे देखने का भी मौका हासिल किया।

हूनान प्रांत की राजधानी छांग शा शहर से कार से ल्यू यांग शहर पहुचने में एक घंटे से कुछ ज्यादा समय लगता है। कहा जाता है कि ल्यू यांग नदी के इस शहर के गुजरने की वजह से इस का यह नाम पड़ा।

ल्यू यांग नदी पूरे चीन में अपने बेशुमार मोड़ों के लिए जानी जाती है। मजे की बात है कि इसके हर मोड़ के मजदीक घाटी की जमीन बेहद उपजाऊ ही नहीं है उसका प्राकृतिक सौंदर्य भी अद्भुत है। वहां घने बांसों व वृक्षों के बीच अनगिनत छोटे गांव झांकते दिखते हैं। यदि आप नाव पर सवार हो कर इस नदी की सैर करने जायें, तो हो सकता है कि इस नदी का दुर्लभ गुलदाउदी पत्थर भी आपके हाथ लग जाये। गुलदाउदी पत्थर सिर्फ ल्यू यांग में पाया जाता है। यह अनेक दुर्लभ पत्थरों में से एक है। इस नदी के तट पर रहने वाली महिला तू शिन छी इस विशेष पत्थर का परिचय इस तरह देती हैं ( आवाज 2-------)

गुलदाउदी पत्थर ल्यू यांग नदी की विशेष उपज है। इस प्रकार के पत्थर नदी की तह पर पैदा होते हैं । इस पत्थर के अंदर गुलदाउदी की आकृति चित्रित मालूम पड़ती है, इसीलिये इसे यह संज्ञा दी गयी। आम तौर पर नदी की तह से निकाले गये इन पत्थरों को नक्काश बड़ी सावधानी से तराश करने के बाद भी उनकी गुलदाउदी की आकृति को सुरक्षित रखते हैं और उन्हें अनेक रूप दे डालते हैं। ये कलाकृतियां बहुत कीमती होती हैं। इन का मूल्य कभी-कभी दस से बीस लाख य्वान तक हो सकता है ।

गुलदाउदी पत्थर का जन्म करीब बीस करोड़ साल पहले हुआ माना जाता है। लगभग चार सौ साल पहले ल्यू यांग शहर के नक्काशों ने इस नदी में ऐसे प्रकार के पत्थरों की खुदाई की। फिर उन्हों ने इन पत्थरों को उनके आकार-प्रकार के हिसाब से फूलों, पक्षियों और मानव की आकृतियों के रूप में तराश कर बहुत सुंदर कलाकृतियां तैयार कीं। 1915 में पनामा में हुई विश्व कलाकृति प्रदर्शनी में ल्यू यांग शहर के बुजुर्ग नक्काश ताइ छिंग शंग द्वारा गुलदाउदी पत्थर से तैयार कृति को स्वर्ण पदक भी मिला। हम ने ल्यू यांग में गुलदाउदी पत्थर से बनी सब से बड़ी कृति भी देखी । यह 8 वर्गमीटर की है। इस के निचले भाग में काले पत्थर पर एक ड्रेगन दिखाई देता है और ड्रेगन के शरीर पर दस सफेद गुलदाउदी झलकते हैं तथा उनकी पंखड़ियां अत्यंत ताजा और अत्यंत सुंदर लगती हैं।