2008-07-14 10:14:15

शीपो जाति के सामन संगीत के बारे में

चीन का सिंच्यांग वेवुर स्वायत्त प्रदेश सिर्फ वेवुर जाति का ही नहीं , बल्कि अनेक जातियों की जन्मभूमि है । उन में चीन की प्रमुख हान जाति के अलावा दूसरी अल्पसंख्यक जातियां जैसे ह्वेइ जाति , हज़ाकी जाति और मैन जाति भी शामिल हैं । शीपो जाति भी प्राचीन काल से सिंच्यांग में रहने वाली जातियों में से एक है । शीपो जाति के बारे में सर्वप्रथम यह बताना जरुरी है कि इस की विशेषता है सामन संगीत ।

सामन शब्द का मतलब है अभिचारी । यह शब्द हजार वर्ष से भी पहले के सुंग राजवंश से चला आ रहा है । सामन धर्म उत्तरी चीन की जातियों का एक मूल धर्म माना जाता है । सुना जाता कि शीपो जाति ने 16वीं शताब्दी के प्राचीन काल से ही सामन धर्म पर विश्वास करना शुरू कर दिया था । शायद प्राचीन काल में शीपो जाति के ओझा समारोहों में झाड़-फूंक करते हुए रोगियों का इलाज करते थे और भविष्यवाणी करते थे । शोपो जाति के लोगों को विश्वास था कि सामन को भगवान ने भेजा है । शीपो जाति के अभिचारक अभिचार करते समय मुंह से जो संगीत निकालते थे , वही सामन संगीत है । सामन संगीत का प्राचीन काल से आज तक विकास होता आया है , इस तरह वह ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासतों का जीवित जीवाश्म माना जाता है ।

सामन संगीत सुनते ही लोगों को आम तौर पर आश्चर्य महसूस होता है । सामन संगीत में ज़मीन और जान की आवाज़ सुनाई देती है । लोक-गीतों और लोक रीति-रिवाज़ के अनुसंधान में लगे शीपो जाति के विशेषज्ञ , सिंच्यांग वेवुर स्वायत्त प्रदेश के संगीतकार संघ के उपाध्यक्ष श्री थूंग चि-शेंग ने कहा ,सामन की पूजा और लोक रीति-रस्मों की गतिविधियों में आदिकाल के मानव की संस्कृति और भावना दिखाई पड़ती है । सामन संगीत खुद भी ऐसा ही है । सामन संगीत में नृत्य और गीत भी हैं । संस्कृति की दृष्टि से वह धर्म , लोक रीति-रिवाज़ और कला का सारांश है ।

सामन संगीत दो सौ साल पहले सिंच्यांग के छाबूचाल क्षेत्र में पहुंचा। छाबूचाल क्षेत्र में रहने वाले शीपो जाति के लोग आज भी इस सामन संगीत को गाते हैं । और सामन संगीत के साथ बहुत सी परंपरागत रस्मों का भी विकास हुआ है । शीपो जाति के लोक रीति-रिवाज़ का अनुसंधान करने वाले विशेषज्ञ , श्री थूंग-गा छींगफू ने कहा , सामन में नृत्य , गायन और बैंड सब शामिल हैं । सिंच्यांग में रहने वाली शीपो जाति के रीति-रिवाज़ों में आज तक चाकूओं से बांध कर सीढ़ी पर नाचना , झाड़-फूंक करना और सामन गीत-संगीत सुनाने जैसी आदिकालीन रस्में सुरक्षित हैं , जिनसे सामन संस्कृति का अनुसंधान करने के लिए समृद्ध सामग्री मुहैय्या है ।

सामन संगीत में गहरी जातीय विशेषता है । सामन प्रदर्शन में विशेष लय और अत्याभिनय काफी आश्चर्यजनक है । श्री थूंग-गा छींगफू ने कहा , नर्तक सामन नाचते समय ढोल की ताल पर कूदते हैं । सामन नृत्य जोशभरा और वीरतापूर्ण है । सामन नृत्य में गहरी भावना और साहस प्रतिबंबित होता है । सामन नर्तक नाचते हुए भूतों को भगाने की क्रियाएं भी दिखाते हैं ।

ढोल की सामन गीत-संगीत में विशेष भूमिका है । सामन गीत-संगीत में ढोल सिर्फ संगीत उपकरण नहीं , पर मानव देव के साथ संपर्क रखने का विशेष औजार है । इसलिए सामन गीत-संगीत हमेशा ढोल बजाने के हो हल्ले के साथ जुड़ता है । इसमें मानव , देव और प्रकृति के साथ आदान-प्रदान करने की संवेदना निहित है ।

इस लेख का दूसरा भाग अगली बार प्रस्तुत होगा, कृप्या इसे पढ़े। (श्याओयांग)