ऑपरेशन के एक दिन पहले वांग स्यू च्यांग ने पत्नी को बताये बिना ऑपरेशन के फार्म पर हस्ताक्षर कर दिए थे । ऑपरेशन के दिन वांग यैन ना की कहानी सुनकर अस्पताल में सभी लोग प्रभावित हुए । अस्पताल के एक ही कमरे में रही एक वेवुर औरत वांग यैन ना को पकड़कर रोने लगी । दूसरे वेवुर बुजुर्ग ने उन के प्रति शुभकामना प्रकट की । उस दिन की याद करते हुए वांग यैन ना ने कहा , मौरान की माता जी मुझे गोद में लेकर रो रही थीं। मुझे उस समय बहुत प्रभावित थी । डरती तो जरूर थी , पर मुझे पीछे हटने का विचार नहीं था । मौरान ने मुझ से कहा , बहिनों , डरो मत। हम दोनों स्वस्थ अन्दर जाएंगे , और दोनों स्वस्थ बाहर आएंगे ।
पांच घंटे बाद ऑपरेशन सफलता पूर्वक समाप्त हुआ । बेटी का गोरा चेहरा देखकर पिता वांग स्यू च्यांग की आंखों में से आंसू निकल गए। उन्हों ने अपनी बेटी को चूम लिया। तीन दिन बाद वांग यैन ना की माता शू सिन ह्वा ने सड़कों पर पड़ोसियों के मुंह से बेटी की कहानी सुनी । बातें सुनकर शू सिन ह्वा को आश्चर्य तो था , पर वे भी अपनी बेटी के महान कार्य के लिए गौरवांवित महसूस कर रहीं थीं ।
उन्हों ने कहा , मैं भी अस्पताल में लड़के को देखने गयी । लड़का ऑपरेशन के बाद अच्छा है , मुंह पर लाल रंग उभरने लगा है । मेरी बेटी के हालचाल भी ठीक हैं ।
अस्पताल से बाहर निकलने के बाद वांग यैन ना की कहानी कोने-कोने में प्रसारित होने लगी । अनेक संवाददाताओं ने उस से इंटरव्यू लिया । यह पूछे जाने पर कि मौरान से परिचित न होते हुए भी तुम ने क्यों इस लड़के के लिए गुर्दा दान दिया है , तब वांग यैन ना ने संकोच के साथ कहा ,
मैं सिर्फ मौरान की मदद करना चाहती थी, और उसे स्वस्थ व प्रसन्न और जीवित देखना चाहती थी । क्योंकि वह सिर्फ 17 साल का है । अनेकों ने मुझ से पूछा कि तुम में साहस कहां से आया ? पर मुझे यह नहीं लगता है । मेरा विचार सरल है । मैं सिर्फ एक लड़के की जान बचाना चाहती थी , अपने खतरे का विचार नहीं था। मैं ने एक किताब में यह पढ़ा था कि लोगों को दूसरों के योग्य होना चाहिये । और साहसपूर्ण आदमी मौत को हराकर जीवित रहेगा ।
वांग यैन ना ने कहा कि अब वह बहुत खुश है , क्योंकि बहुत से अपरिचित आदमी उन की बात सुनकर सामने आये हैं ।
उस ने कहा , परोपकारी संघ ने मुझ से बकरी और दूसरे खाद्य पदार्थ खरीदे हैं । बहुत से वेवुर लोगों ने जो अमीर नहीं हैं , मुझे सहायता दी है। एक वेवुर आदमी ने मेरे परिवार के हरेक व्यक्ति के लिए जूते बनाये हैं। उस ने कहा कि ऑपरेशन करवाने के बाद पांव को जरूर गर्म रखना चाहिये । एक वेवुर बहिन ने टेलिफोन पर रोते हुई बताया कि वह जरूर हमारे घर आएंगी और देखेंगी कि माता-पिता ने कैसे इतनी अच्छी लड़की पाली है। और मेरा एक वेवुर लड़का मित्र भी है , हमारे संबंध घनिष्ठ हैं। उस ने भी मेरा साथ दिया और रोज़ अस्पताल में मुझे देखने गया ।
अब मौरान भी सामान्य लोगों की ही तरह जीवन का आनद ले रहा है । उस का घर उरुमुछी शहर से 40 किलोमीटर दूर छांग-ची शहर में है । अस्पताल से निकलने के बाद उसे मां-बाप से खेल कपड़े का उपहार मिला । दोनों युवकों के स्वस्थ और प्रसन्न मुंह देखकर सभी लोगों के चेहरों पर मुस्कराहट उभर आयी है । (श्याओयांग)