शीच्ये सड़क पर कदम रखने के बाद पता चलता है कि नीले पत्थरों से निर्मित यह सड़क कोई एक हजार चार सौ वर्ष पुरानी है। इस सड़क के दोनों किनारों पर खड़े मकान चीन की पुरानी वास्तुशैलियों से युक्त हैं। इनकी दीवारें नीले पत्थरों से निर्मित हैं व छतें हरे खपरैल वाली हैं। बड़ी बारीकी से तराशे गये इनके दरवाजे व खिड़कियां भी कम सुंदर नहीं हैं। यहां पुरानी वास्तुशैली का आसपास के हरे-भरे पर्वतों व स्वच्छ नदियों के साथ सामंजस्य दिखाई देता है।
शीच्ये सड़क की यह विशेष शैली किसी को भी मोहित कर सकती है।अनगिनत विदेशी पर्यटकों को भी यह इसीलिए अपनी ओर खींचती है। उस पर किसी भी समय विभिन्न विदेशी पर्यटक देखे जा सकते हैं। कुछ वहां आराम से इस संकरी सड़क पर घूमते दिखेंगे तो कुछ पुरानी चीजों की दुकानों में दुर्लभ ऐतिहासिक व सांस्कृतिक अवशषों का लुत्फ लेते मिलेंगे और कुछ पुस्तकों व चित्रों की दुकानों में खरीदारी में व्यस्त दिखाई देंगे। दूरदराज स्थित एक छोटे से कस्बे की इस मामूली सड़क पर इतने अधिक विदेशी चेहरे देख कर अंतर्राष्ट्रीय माहौल का आभास किया जा सकता है।
मजे की बात है कि शीच्ये सड़क का माहौल भी एक सा नहीं रहता। दिन में यह सड़क बहुत शांत होती है, उस पर कम लोग दिखते हैं, अधिकतर दुकानें बंद रहती हैं और पर्यटक शहर के बाहर के प्राकृतिक दृश्यों का आनन्द उठा रहे होते हैं। पर जब दिन ढलने लगता है, तो यह संकरी सड़क एकदम रौनकदार हो उठती है। उस पर भीड़ लग आती है और दोनों किनारों के रेस्त्रां व बार विदेशी पर्यटकों से खचाखच भर जाते हैं।