हजारों वर्षों से जांगर हमेशा लोककलाकारों की यादों में जीवित रहा है । लेकिन सामाजिक परिवर्तन के चलते बहुत से लोक-कलाकारों ने जांगर जैसी मौखिक कला को छोड़ दिया है । जांगर का बचाव करने के लिए श्री गा-जूने पुनः ख़बूकसैल घासमैदान पर जांगर गाना गाने लगे । वर्ष 1981 से सरकार ने विशेष सूत्र भेजकर श्री गा-जूने द्वारा गाये गये जांगर का संपादन किया , जो ढ़ाई लाख अक्षरों से गठित था । इस तरह महाकाव्य जांगर का संरक्षण करने वाला काम सफलतापूर्वक समाप्त हुआ। श्री गा-जूने के बहुत से छात्र भी हैं , उन में सब से बढ़िया है उन का पोता नीमा । गा-जूने की आशा है कि नीमा अपने महाकाव्य जांगर के सभी भाग सीख सकेगा । नीमा भी दादा की उम्मीद को पूरा करना चाहता है ।
उस ने कहा , मेरे दादा जांगर गाने के मशहूर कलाकार हैं । आज मैं ने भी उन के यहां से जांगर सीखना शुरू किया है । मुझे जांगर पसंद है , क्योंकि जांगर हमारी जाति की मूल्यवान सांस्कृतिक विरासत है । मैं अवकाश में भी जांगर गाना सीख रहा हूं , और मैं अपने दादा तथा हमारी जाति के सांस्कृतिक कार्यों के लिए अपना योगदान पेश करूंगा ।
जांगर संस्कृति का विकास करने के लिए ख़बूकसैल कांऊटी की सरकार ने बहुत प्रयास किया है । सरकार ने जांगर संस्कृति को जीवित रखने के लिए ख़बूकसैल कांऊटी में जांगर कलाकार प्रशिक्षण केंद्र खोला है । इधर के वर्षों में गा-जूने और उन के कुछ सहपाठियों ने पचास से अधिक युवा कलाकारों को प्रशिक्षित किया है , जो कम से कम एक भाग का जांगर गाना गा सकते हैं । कांऊटी की सरकार ने अपनी संस्कृति का प्रसार करने के लिए एक जांगर अभिनय दल तथा एक फेशन-शो दल स्थापित किया है। वे कभी-कभी निमंत्रण पर देश के विभिन्न क्षेत्रों में अभिनय दिखाने जा रहे हैं । इस के अतिरिक्त सरकार ने एक करोड़ य्वान की पूंजी डालकर जांगर संस्कृति कला भवन का निर्माण किया है, जिसे विश्व में जांगर संस्कृति का अनुसंधान करने का केंद्र माना जाता है ।
ख़बूकसैल कांऊटी की सरकार ने जांगर संस्कृति का प्रसारण करने में चीनी सामाजिक अकादमी , सिंच्यांग स्वायत्त प्रदेश के साहित्य संघ और सिंच्यांग विश्वविद्यालय आदि के साथ जांगर के अनुसंधान पर सहयोग शुरू किया है । अब चीनी सामाजिक अकादमी ने ख़बूकसैल कांऊटी में मौखिक कला अनुसंधान केंद्र स्थापित किया है, जो सामाजिक अकादमी द्वारा देश में स्थापित छह जातीय संस्कृति अनुसंधान केंद्रों में से एक है। जांगर संस्कृति के संरक्षण कार्यों को अमल में लाने के लिए कांऊटी सरकार ने सिंच्यांग प्रशिक्षण विश्वविद्यालय के संस्कृति कालेज़ के साथ ' ख़बूकसैल कांऊटी में जांगर कला तथा लोककला संस्कृति का संरक्षण व विकास ' समझौता संपन्न किया । दोनों पक्ष समझौते के मुताबिक जांगर संस्कृति का कारगर संरक्षण करेंगे । वर्ष 2006 के जून माह में महाकाव्य जांगर को देश के प्रथम ग्रुप के गैर-भौगोलिक संस्कृति विरासत की नामसूची में शामिल कराया गया । (श्याओयांग)