समुद्र की सतह से तीन हजार पांच सौ मीटर की ऊंचाई पर स्थित कुंगपुच्यांगता कांऊटी की भूस्थिति ऊबड़ खाबड़ है । छिंगहाई तिब्बत पठार पर स्थित होने की वजह से यहां का वातावरण काफी नमी नही है , पर सालभर में करीब 2 हजार 16 घंटों की धूप उपलब्ध रही है । समूची कांऊटी में वृक्षारोपण का क्षेत्रफल 27 प्रतिशत है ।
जब हम कुंगपुच्यांगता कांऊटी के दौरे पर पहुंचे , तो इस कांऊटी के पर्यटन ब्यूरो के प्रधान चाशिफिंगचो ने बड़े उत्साह के साथ यहां के समृद्ध पर्यटन सनसाधनों का परिचय देते हुए कहा कुंगपुच्यांगता कांऊटी में नीयांग नदी का मनोहर प्राकृतिक दृश्य , राष्ट्रीय दर्जा प्राप्त पासुंगचो झील और न्यांगफूपाको रमणीय पर्यटन स्थल सब से विख्यात हैं । पर कुंगपुच्यांगता कांऊटी में थाईचाओ प्राचीन शहर और पासुंगचो झील पर्यटन स्थल सब से ध्यानाकर्षक हैं ।
प्रिय श्रोताओ , आइये , अब हमारे साथ थाईचाओ प्राचीन शहर का दौरा करने चले । कहा जाता है कि इतिहास में थाईचाओ प्राचीन शहर च्यांगता के नाम से जाना जाता था , तिब्बती भाषा में च्यांगता का मतलब है कि सौ गांवों में वह प्रथम गांव माना जाता है । स्थानीय वासियों का कहना है कि नीयांग नदी और न्यांगफू नदी की दो घाटियों में 99 गांव स्थित हैं , जबकि इन दोनों नदियों के संगम पर ठीक च्यांगता गांव है , इस विशेष स्थान की वजह से उसे सौ गांवों में से प्रथम गांव माना जाने लगा । और तो और थांग राजवंश से ही वह चीन के भीतर क्षेत्रों से तिब्बत को जोड़ने वाला प्रमुख यातायात मार्ग ही रहा । ऐतिहासिक ग्रंथों के अनुसार पहले यहां एक व्यापार केंद्र था , छोटी बड़ी दुकाने नजर आती थीं और व्यापार करने का माहौल प्याप्त रहा था , लोग भी इसी क्षेत्र में केंद्रित रूप से बसे हुए थे । तत्काल में यहां बहुत से शानदार मठ भी निर्मित हुए थे और स्थानीय लोग पूजा करने मठ जाते थे । आज हालांकि इस थाईचाओ गांव में प्राचीन मठ वर्षाओं व हवाओं की मार से लुप्त हुए हैं , पर इन मठों के खंडहरों से तत्कालीन चहल पहल का आभास महसूस हो सकता है ।
थाईचाओ प्राचीन शहर के पीछे गुजरने वाली न्यांगफू नदी के पास एक मार्ग तिब्बत के प्राचीन मार्ग के नाम से प्रसिद्ध है । क्योंकि वह प्राचीन काल के थूफान को भीतरी इलाकों के साथ जोड़ने वाला प्रमुख यातायात मार्ग ही है । कहा जाता है कि यह मार्ग ईस्वी 617 में निर्मित हुआ था , तत्कालीन तिब्बत के राजा सुंगचानकांपू थांग राजवंश की राजकुमारी वनछंग के साथ शादी करने के लिये इसी मार्ग से होकर थांग राज की राजधानी शीआन शहर गये ।