2008-06-17 15:18:41

मृत्यु सागर रोबूपो का सर्वेक्षण कार्य

रोबूपो यात्रा के बारे में दूसरे सर्वेक्षण करने वाले सदस्यों के मन में भी ताज़ा यादें रही है। सदस्य श्री दाशच्याओ ने याद करते हुए बताया कि सर्वेक्षण क्षेत्र में प्रवेश करने के बाद उन्हें पता लगा कि यदि रास्ता न हुआ, तो उन्हें उपकरणों से अपने आप रास्ते की मरम्मत करनी पड़ेगी। कई किलोमीटर की दूरी पूरी करने के लिए पूरे एक दिन के समय की ज़रूरत है। श्री दाशच्याओ के अनुसार, पहले दिन हम तड़के तीन बजे रवाना हुए, हम चाहते थे कि हम यथाशीघ्र ही अपने सर्वेक्षण स्थल पहुंच जाएं। लेकिन, पूरा एक दिन चलने के बाद भी हम वहां नहीं पहुंच पाए।दूसरे दिन, हम सुबह आठ बजे रवाना हुए। रास्ते की मरम्मत करते हुए तीसरे पहर चार बजे तक हम ने केवल छह किलोमीटर रास्ता ही पूरा किया। हालांकि हमारे पास यात्रा के लिए गाड़ियां थीं, फिर भी यह सफर पैदल चलने से भी धीमा था। अंततः हम सर्वेक्षण स्थल पहुंच ही गए।

चार दिनों की कठिन यात्रा के बाद सदस्य अंततः सर्वेक्षण स्थल पहुंचे। सदस्यों का पड़ाव स्थल एक गहरी घाटी में था, जिस की गहराई दसियों मीटर थी। इस घाटी को पार करने के बाद ही लोग सर्वेक्षण क्षेत्र में प्रवेश कर सकते हैं। लेकिन, चूंकि यह घाटी गहरी है और इस में अनेक पत्थर भी हैं, इसलिए, इसे पार करने के लिए बड़ी गाड़ी अत्यन्त खतरनाक है। श्री तंग शिन एन ने कहा, इस समय काम को सुभीतापूर्ण रूप से जारी रखने के लिए हमारे दल के सभी सदस्यों ने लोह शॉवलों से इस सड़क की मरम्मत की। यहां कोई नहीं रहता । एक बार हम ने मिशन को पूरा करने के लिए दो गाड़ियां बाहर भेज कर रास्ता ढूंढने की कोशिश की, लेकिन, तीन दिन तक भी रास्ता नहीं मिला। इसलिए, हम ने एक साथ खुद सड़क की मरम्मत की।

सड़कों के अलावा, गंभीर प्राकृतिक वातावरण ने भी सदस्यों की परीक्षा ली। चूंकि रोबूपो केंद्र में स्थित है, सर्वेक्षण दल के आने से पहले , यहां कोई भी व्यक्ति नहीं आया था। यहां की भौगोलिक स्थिति बहुत जटिल है और यातायात की सुविधा नहीं है। सर्वेक्षण दल को अक्सर सात आठ दिनों तक बाहर ही रहना पड़ता था। रोबूपो क्षेत्र में दिन के और रात के तापमान में बड़ा अंतर आ जाता है, रात को तापमान आम तौर पर शून्य डिग्री से कम होता है, जबकि दिन में तापमान 20 डिग्री से ज्यादा होता है। इसलिए, अनेक लोगों को जुकाम हो गया । इस के बावजूद, वे अक्सर दवा खाकर सर्वेक्षण काम करने का जोखिम उठाते रहे।

चूंकि वातावरण बहुत जोखिमभरा है, इसलिए, रोबूपो क्षेत्र को मृत्यु सागर कहा जाता है। इस के बावजूद, अनेक पशु यहां आते-जाते हैं। श्री दाशच्यो ने परिचय देते समय बताया, यहां आदमी का कोई नामोनिशान नही है, लेकिन, पशु हैं,मिसाल के लिए रीछ और भेड़िया आदि सब मौजूद हैं। जबकि हमारे काम में पानी का होना हमारे लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है। पहाड़ की कुछ जगहों में झरने होते हैं, हमें वहां जाकर इन झरनों के स्थान का रेखांकन करना है। हमें झरने चाहिंए,और पशुओं को भी। अंत में हम ने एक उपाय सोचा। जहां-जहां हमें पशुओं के पांव के निशान अधिक मिले,हम ने अंदाजा लगाया कि वहां आसपास ज़रूर झरने होंगे। हमें कभी-कभी पटाखे जला कर पशुओं को डरा कर अपनी रक्षा भी करनी पड़ी।

मृत्यु सागर में हर एक जान बहुत मूल्यवान है। काम करते समय सदस्यों ने रेतीली भूमि में से पानी व खाने के लिए गुज़रने वाले पशु पक्षियों को परेशान नहीं किया। इतना ही नहीं, कर्मचारियों ने जंगली पशुओं के सामान्य जीवन में हस्तक्षेप न करने की कोशिश भी की। उन्होंने अपने खाद्य पदार्थों व पैदा हुए कचरे को जमीन में गाड़ दिया या जला दिया।

सर्वेक्षण के काम में दैनिक जीवन की गारंटी भी कर्मचारियों के सामने आयी एक भारी चुनौती है। प्रधान श्री तंग शिन एन ने कहा, चूंकि हमारे पास केवल 480 लीटर पानी ही था, और यह पानी 12 लोगों के लिए केवल एक हफ्ते के लिए ही पर्याप्त हो सकता था। लेकिन, एक हफ्ते में हमारा काम पूरा नहीं हुआ। इस के अलावा, गैस, सब्जी, खाद्य पदार्थ और दैनिक चीज़ें भी पर्याप्त नहीं थीं। कर्मचारियों के शारीरिक स्वास्थ्य को बरकरार रखने और मिशन को पूरा करने के लिए हमें बाहर जाकर कुछ चीज़ें खरीदनी पड़ी। चूंकि अर्चिन पहाड़ में अनेक घाटियां हैं, और स्पष्ट निशान भी नहीं हैं, इसलिए, गाड़ी बाहर निकालने के लिए डेढ़ दिन लग जाता था, और वापस लौटने के लिए भी लगभग 20 घंटे का समय लगता था। हम सुबह आठ बजे प्रस्थान करके दूसरे दिन तड़के पांच बजे ही सर्वेक्षण क्षेत्र तक वापस लौट पाते थे।

सर्वेक्षण क्षेत्र में रहने के पहले 12 दिनों में सर्वेक्षण दल के सदस्य हाथ मुंह भी नहीं धो पाए। लेकिन, कठोर पर्यावरण से भी दाशच्याओ और सर्वेक्षण दल के अन्य सदस्य नहीं डरे। उन के अनुसार, चूंकि हम यहां आ गए हैं, तो मिशन को तो अवश्य ही पूरा करना है। कभी-कभी हमें अपने परिवारजनों की याद आती थी। लम्बे अरसे से हम यह काम कर रहे हैं, दूसरी जगह जा कर परिवारजनों की याद तो आती ही है। लेकिन, रोबूपो एक खास स्थान है, उस वक्त मेरी सब से बड़ी अभिलाषा यह ही थी कि परिवारजन सुरक्षित रहें।

वर्ष 2007 के दो नवम्बर को सर्वेक्षण दल के सदस्य बहुत खुश थे, चूंकि सदस्य ल्यांग ह्वा की पत्नी ने उन के बच्चे को जन्म दिया था। सब ने बारी-बारी से श्री ल्यांग ह्वा को बधाई दी। ल्यांग ह्वा को इस समय अपनी पत्नि और बच्चे के पास न होने का खेद था। अस्पताल के प्रधान श्री तंग शिन एन ने भी अफसोस प्रकट किया।

दो नवम्बर को, ल्यांग ह्वा की पत्नि ने ल्यांग ह्वा की एक बेटी को जन्म दिया, लेकिन, सर्वेक्षण संस्था के नेता को मालूम नहीं था। बाद में सर्वेक्षण संस्था के नेता ने ल्यांग ह्वा को वापस बुलाने का निर्णय लिया । मैंने खुद ल्यांग ह्वा खुद का मत सुना। ल्यांग ह्वा ने कहा कि वापस लौटने की ज़रूरत नहीं है। श्री ल्यांग ह्वा काम समाप्त करने के बाद ही दल के अन्य सदस्यों के साथ घर वापस लौटे। सर्वेक्षण दल को अक्सर बाहर काम करता पड़ता है, और सभी सदस्य अपने परिवारजनों का ख्याल नहीं कर रख पाते हैं। नेता होने के नाते, कभी-कभी मुझे इस बात का बहुत अफसोस भी होता था ।

सर्वेक्षण दल के 12 सदस्यों में क्वो श शिन और क्वो य्वेई पिता और बेटा हैं। वे दोनों पूरे परिवार की शुभकामना ले कर रोबूपो गये। 10 अक्तूबर की सुबह, गाड़ियां शिन्यांग की दूसरी सर्वेक्षण संस्था के द्वार से रवाना होते समय क्वो य्वेई की पत्नि ने चार महीने की बेटी को गोद में लेकर अपने पति और ससुर को बिदा किया। श्री क्वो य्वेई ने भावुक हो कर कहा, संस्था के नेता ने भी कहा था कि इस बार स्थितियां अपेक्षाकृत कठोर होंगी। उस वक्त, मैं बहुत दुखी था, चूंकि मैंने सोचा कि मेरी बेटी बहुत छोटी है, यदि दुर्घटना हो जाती है, तो मेरी पत्नि व बेटी कैसे जीवन बिताएंगी।

सर्वेक्षण दल के सभी सदस्यों के निःस्वार्थ प्रयास के बाद रोबूपो क्षेत्र का सर्वेक्षण कार्य अंततः पूरा हो गया। इस सर्वेक्षण परियोजना के तहत न केवल प्रथम बार रोबूपो क्षेत्र की सही और पूरी जांच की गयी है, बल्कि सर्वेक्षण क्षेत्र में भौगोलिक वनस्पति, मौसम व पर्यावरण, यातायात, जल संसाधन आदि पर्यावरण की स्थिति का पता भी लगाया गया है। इस सर्वेक्षण परियोजना ने इस क्षेत्र के पारिस्थितिकी पर्यावरण का निपटारा करने के लिए वैज्ञानिक व स्पष्ट भौगोलिक सूचना व आंकड़े प्रदान किए हैं, खास कर रोबूपो जंगली ऊंट के प्राकृतिक सर्वेक्षण क्षेत्र का पारिस्थितिकी पर्यावरण और वैज्ञानिक कार्यक्रम के लिए और विश्वसनीय व अच्छी भौगोलिक सूचनाओं का आधार तैयार किया गया है।(श्याओयांग)